फोन में अगर है ये ऐप्स तो हो जाएं सावधान! वरना हो सकता है भारी नुकसान
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 05:33 PM (IST)
नेशनल डेस्क : भारत में स्मार्टफोन अब हर किसी की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। बैंकिंग से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग, ऑफिस के काम से लेकर दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत तक, अधिकांश गतिविधियां अब मोबाइल फोन पर निर्भर हो गई हैं। स्मार्टफोन का बढ़ता इस्तेमाल जहां हमारी जिंदगी को आसान बना रहा है, वहीं इसके साथ ऑनलाइन ठगी, फर्जी कॉल और साइबर अपराध के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह खतरा अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि छोटे शहर और कस्बों में भी आम लोगों को साइबर फ्रॉड का सामना करना पड़ रहा है।
स्क्रीन-शेयरिंग और रिमोट एक्सेस ऐप्स का खतरा
विशेषज्ञों ने चेताया है कि AnyDesk, TeamViewer और QuickSupport जैसे स्क्रीन-शेयरिंग और रिमोट एक्सेस ऐप्स आम यूजर्स के लिए बेहद जोखिम भरे हो सकते हैं। इन ऐप्स का मूल उद्देश्य तकनीकी सहायता प्रदान करना होता है, जैसे कि किसी कंप्यूटर या मोबाइल की समस्या दूर करना। लेकिन साइबर अपराधी इन ऐप्स का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए कर रहे हैं।
एक बार यदि यूजर ने अपने स्मार्टफोन का एक्सेस अपराधियों को दे दिया, तो ठग आपके फोन में मौजूद मैसेज, बैंकिंग ऐप्स, ओटीपी, पासवर्ड और अन्य निजी डेटा तक आसानी से पहुंच बना सकते हैं। यह प्रक्रिया रियल टाइम में होती है, यानी अपराधी आपके फोन की हर गतिविधि को लाइव देख और नियंत्रित कर सकते हैं।
साइबर अपराधियों की चाल
साइबर अपराधी अक्सर खुद को बैंक कर्मचारी, कस्टमर केयर एजेंट या सरकारी अधिकारी बताकर यूजर को फोन करते हैं। वे किसी समस्या का डर दिखाकर यूजर से स्क्रीन-शेयरिंग ऐप इंस्टॉल करवाते हैं। जैसे ही ऐप एक्टिव होता है, अपराधी फोन की हर गतिविधि पर नजर रखने लगते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान अपराधी बैंक ट्रांजैक्शन देख सकते हैं, ओटीपी और पासवर्ड चुरा सकते हैं, निजी फोटो और मैसेज एक्सेस कर सकते हैं, और बिना जानकारी के पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। कई मामलों में कुछ ही मिनटों में यूजर का बैंक अकाउंट खाली हो जाता है। इसके अलावा, अपराधी फोन में मौजूद अन्य व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी का भी दुरुपयोग कर सकते हैं, जिससे भविष्य में और भी धोखाधड़ी होने का खतरा रहता है।
सुरक्षा के उपाय
विशेषज्ञों की सलाह है कि बिना वास्तविक जरूरत के कभी भी स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स अपने फोन में न रखें। किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर कोई भी ऐप इंस्टॉल न करें। ऐप डाउनलोड करते समय उसकी परमिशन (Permissions) जरूर जांचें। कभी भी ओटीपी, पासवर्ड, बैंकिंग डिटेल्स या अन्य निजी जानकारी किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
साथ ही, यदि किसी टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत है, तो हमेशा भरोसेमंद और आधिकारिक स्रोतों से ही सहायता लें। अपनी व्यक्तिगत जानकारी और डेटा की सुरक्षा के लिए फोन में एंटीवायरस ऐप्स और सुरक्षा सेटिंग्स को अपडेट रखना भी जरूरी है।
साइबर फ्रॉड होने पर शिकायत कैसे करें
यदि आप साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करें। इसके लिए आप सरकारी वेबसाइट cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, आप राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके भी मदद ले सकते हैं। शिकायत समय पर दर्ज कराने से अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होता है और अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
