Ai रेस में भारत की लंबी छलांग, टॉप 3 में हुआ शामिल बस इन 2 दो देशों से है पीछे
punjabkesari.in Tuesday, Dec 16, 2025 - 08:21 PM (IST)
नेशनल डेस्क : भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की 2025 Global AI Vibrancy Tool रिपोर्ट, जो वर्ष 2024 के आंकड़ों पर आधारित है, में भारत को दुनिया में तीसरा स्थान मिला है। रिपोर्ट के अनुसार भारत को कुल 21.59 अंक प्राप्त हुए हैं। इस रैंकिंग में भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका 78.6 अंकों के साथ पहले और चीन 36.95 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष पहले तक भारत इस सूची में सातवें स्थान पर था और महज एक साल में चार पायदान की छलांग लगाते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इस दौरान भारत ने यूनाइटेड किंगडम और साउथ कोरिया जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।
क्या है स्टैनफोर्ड का Global AI Vibrancy Tool?
स्टैनफोर्ड का Global AI Vibrancy Tool एक ऑनलाइन डैशबोर्ड है, जो विभिन्न देशों के AI इकोसिस्टम का आकलन करता है। यह टूल देशों को AI क्षेत्र में उनकी गतिविधियों और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता के आधार पर रैंक करता है। इसमें सात प्रमुख स्तंभों रिसर्च, टैलेंट, इकोनॉमी, पॉलिसी, इंफ्रास्ट्रक्चर, रिस्पॉन्सिबल AI और पब्लिक ओपिनियन के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है।
एक साल में सातवें से तीसरे स्थान तक कैसे पहुंचा भारत?
रिपोर्ट के अनुसार भारत की तेज प्रगति के पीछे कई अहम कारण हैं। मजबूत सरकारी नीतियां, तेजी से बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम और AI टैलेंट का बड़ा पूल भारत को इस मुकाम तक पहुंचाने में निर्णायक साबित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि AI से जुड़ी नई और बड़ी पहलों का भारत को सीधा फायदा मिला है, जिससे देश ने कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए वैश्विक AI प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत की है।
स्टार्टअप और प्राइवेट सेक्टर की अहम भूमिका
भारत की AI वाइब्रेंसी तेजी से विकसित हो रहे स्टार्टअप और एंटरप्राइज इकोसिस्टम से गहराई से जुड़ी हुई है। देश में फाइनेंस, हेल्थकेयर, एजुकेशन, लॉजिस्टिक्स और अन्य कई सेक्टर्स में AI का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। भारत का विशाल डिजिटल बाजार और सक्रिय कंपनियां इसे उभरते बाजारों में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी AI अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करती हैं।
AI टैलेंट के मामले में भारत का बड़ा फायदा
भारत को AI टैलेंट का ग्लोबल पावरहाउस माना जा रहा है। AI हायरिंग के क्षेत्र में भारत ने दुनिया में सबसे तेज़ ईयर-ऑन-ईयर ग्रोथ दर्ज की है। वर्ष 2024 में भारत AI से जुड़े GitHub प्रोजेक्ट्स में योगदान देने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना। इसके अलावा AI स्किल पेनिट्रेशन के मामले में भी भारत शीर्ष देशों में शामिल है, जो देश की मजबूत इंजीनियरिंग वर्कफोर्स को दर्शाता है।
AI रिसर्च और इनोवेशन में भारत की स्थिति
हालांकि AI रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में भारत अभी अमेरिका और चीन से पीछे है, लेकिन AI पब्लिकेशन और पेटेंट फाइलिंग में सुधार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। ये दोनों ही फैक्टर रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पिलर के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। स्टैनफोर्ड के AI इंडेक्स के अनुसार भारत लगातार अपनी AI आउटपुट क्षमता बढ़ा रहा है और खुद को एक रणनीतिक AI डेवलपमेंट हब के रूप में स्थापित कर रहा है। एकेडमिक और इंडस्ट्री के बीच बढ़ता सहयोग भी भारत की मजबूती का बड़ा कारण बन रहा है।
AI क्षेत्र में सरकार की भूमिका
भारत सरकार की IndiaAI Mission इस प्रगति में एक अहम भूमिका निभा रही है। इस मिशन को केंद्रीय कैबिनेट ने अगले पांच वर्षों के लिए लगभग 10,300 से 10,372 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी है। मिशन के तहत 10,000 से अधिक GPUs को कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ाने के लिए तैनात किया जाएगा, एक राष्ट्रीय नॉन-पर्सनल डेटा प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा और सुरक्षित व भरोसेमंद AI के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। इन पहलों का सीधा असर पॉलिसी, गवर्नेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर पिलर्स पर पड़ा है।
ऊंची रैंकिंग के बावजूद कहां पीछे है भारत?
विश्लेषकों के अनुसार, भारत को अब भी कुछ बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कटिंग-एज AI रिसर्च, वैश्विक स्तर पर पहचान रखने वाले फाउंडेशनल मॉडल्स, अमेरिका और चीन के मुकाबले हाई-वैल्यू प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फ्लो, डेटा क्वालिटी और एडवांस R&D कैपेसिटी में मौजूद बॉटलनेक्स भारत के लिए बड़ी बाधाएं हैं। इसके अलावा, प्रमुख शहरी केंद्रों से आगे रिस्पॉन्सिबल AI रेगुलेशन और AI तक समान पहुंच सुनिश्चित करना भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
भारत के AI भविष्य के लिए इस रैंकिंग का क्या मतलब है?
ग्लोबल AI वाइब्रेंसी रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंचना यह दर्शाता है कि भारत दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी AI शक्तियों में शामिल हो चुका है। साथ ही भारत लोअर और मिडिल इनकम देशों से कहीं आगे खड़ा है। हालांकि, फ्रंटियर AI क्षमताओं के मामले में भारत अभी अमेरिका और चीन से काफी पीछे है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत AI इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश जारी रखता है, रिसर्च और इनोवेशन पर अधिक जोर देता है और एथिकल व इन्क्लूसिव AI गवर्नेंस को मजबूत करता है, तो आने वाले दशक में भारत की AI ग्रोथ रेट और तेज हो सकती है।
