‘जोरम’ एक महान फिल्म बनी है, जो देखेगा वह जरूर दस लोगों को रिकमेंड करेगा : मनोज बाजपेयी

punjabkesari.in Tuesday, Dec 05, 2023 - 09:49 AM (IST)

अभिनेता मनोज बाजपेयी एक बार फिर अपनी दमदार अदाकारी के साथ स्क्रीन पर हाजिर होने के लिए तैयार हैं। अभिनेता की सरवाइवल थ्रिलर फिल्म ‘जोरम’ 8 दिसम्बर को सिनेमाघरों में दस्तक देगी। ‘जोरम’ में मनोज बाजपेयी को आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय के शख्स की भूमिका में दिखाया गया है। देवाशीष मखीजा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मनोज बाजपेयी के साथ मोहम्मद जीशान अय्यूब और स्मिता तांबे जैसे बेहतरीन एक्टर्स अहम किरदार में नजर आएंगे। ‘जोरम’ के बारे में मनोज बाजपेयी और फिल्म के निर्देशक देवाशीष मखीजा ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। 

मनोज बाजपेयी

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Q. आप फिल्मों का चुनाव कैसे करते हैं?
A. बॉक्स ऑफिस कलैक्शन और ट्रैंड से हटकर मैं सिर्फ यह देखता हूं कि सामने कौन सी स्क्रिप्ट है। यह मुझे उस तरह से आकर्षित कर रही है, जैसे मैं आमतौर पर होता हूं। इसके लिए जरूरी है कि बतौर एक्टर मेरा विकास हो रहा हो, मैं एक ऐसी दुनिया का हिस्सा बनूं जो दर्शकों ने पहले कभी नहीं देखी हो। मैं यह नहीं देखता कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितना कमाएगी। मेरा काम है स्क्रिप्ट में वह सारी चीजें ढूंढना जो एक अभिनेता के तौर पर मुझे बहुत कुछ सिखाए। मुझे चुनौती दे, जिसे निभाना चैलेंङ्क्षजग हो। मेरा हमेशा से कहना है कि मैं पागलों की तरह आराम करता हूं और पागलों की ही तरह काम करता हूं। कोशिश यही रहती है कि डायरैक्टर से पहले मैं मनोज बाजपेयी को सरप्राइज करूं कि तू सोचता था कि तू नहीं कर सकता है लेकिन तूने कर दिखाया। तू सोचता था कि तू इस स्क्रिप्ट के साथ बस इतना ही सीख सकता है लेकिन तूने उससे ज्यादा सीखा। मैं खुद से चुनौती लेता हूं और बाकी जो बच जाती हैं वह डायरैक्टर दे देते हैं। 

Q. दसरू के किरदार के लिए आपने कैसे तैयारी की?
A. ऐसे किरदार निभाने के लिए आपको अपने जीवन के अनुभव काफी काम आते हैं। मैंने बचपन से लोगों को खेतों में काम करते हुए देखा है, उनके बच्चों के साथ मैं खेलता था। तो उनके तौर-तरीके किरदार के अनुरूप अपनाना सबसे जरूरी काम है। ऐसे में जब आपको कोई किरदार मिलता है तो आप उसके बारे में सोचते हैं कि इसे कहां से उठाऊं। फिल्म के निर्देशक की रिसर्च आपके काफी काम आती है। साथ ही आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर भी किरदार के अनुरूप ढलना होता है। पूरी तरह से तैयार होकर ही मैं शूट पर जाता हूं, लेकिन मैं वहां स्क्रिप्ट लेकर कभी नहीं जाता। अगर मैं उसे लेकर गया तो फिर मैं देवाशीष के साथ झगड़ा ही करता रहूंगा। इसलिए मैं सिर्फ किरदार के बारे में सोचता हूं। 

Q. क्या ‘जोरम’ हर तरह के दर्शक वर्ग को पसंद आएगी?
A. पता नहीं, लेकिन इतना हम जरूर मानते हैं कि यह एक महान फिल्म बनी है। जो भी फिल्म देखने जाएगा वह जरूर इसे दस लोगों को रिकमेंड करेगा। यह मुझे पूरा विश्वास है। फिल्म देखने के बाद आप खुद ही अपनी जिम्मेदारी समझेंगे कि मैं इतनी कमाल की फिल्म देखकर आ रहा हूं तो अपने दोस्तों और परिवार को इसके बारे में जरूर बताऊं। 

Q. फिल्म का कोई सीन जो आपको याद रहेगा?
A. वैसे तो पूरी फिल्म ही आपको बहुत सारी सीख देती है, लेकिन ‘जोरम’ का क्लाइमैक्स बहुत अच्छा है। इसके अलावा इसके बहुत सारे सीन ऐसे हैं जो अभी तक लोगों ने किसी फिल्म में नहीं देखे हैं। इसके लिए फिल्म के निर्देशक से लेकर इससे जुड़े हर व्यक्ति ने बहुत मेहनत की है। 

 

देवाशीष मखीजा

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Q. फिल्म ने इंटरनैशनल फिल्म फैस्टीवल में खूब नाम कमाया है। ऐसे में दर्शकों से आपको किस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है?
A. हमें जोरम के लिए दर्शकों से बहुत सारा प्यार मिल रहा है। काफी सालों से कोई भारतीय फिल्म पांचों महाद्वीपों के टॉप फिल्म फेस्टिवल में नहीं दिखाई गई। ऐसे में हमनें इसे दिखाने के लिए एक भी महाद्वीप नहीं छोड़ा। यह असल में काफी मुश्किल रहा क्योंकि अगर आप कोई फिल्म बनाते हैं तो अमेरिका, यूरोप को वह पसंद आती और एशिया को नहीं आती या फिर एशिया और यूरोप को समझ में आती है अफ्रीका को नहीं आती। हमने हर कॉन्टिनेंट के टॉप फेस्टिवल में इसे दिखाया। इसके लिए हमें हरतरफ से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिले। 

Q. 2014 में ‘जोरम’ को मनोज बाजपेयी ने हां कहा इसके बाद इसकी कहानी में क्या बदलाव आए?
A.  इतने समय में फिल्म की मूल कहानी में तो हमने कोई बदलाव नहीं किए। अगर ऐसा होता तो मनोज जी फिल्म छोड़ देते। 2016 में उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी। इसके बाद हमने इस पर काम शुरु कर दिया था। हम यह चाहते थे कि फिल्म का दायरा बड़ा हो, जिससे यह ज्यादा से ज्यादा से दर्शकों के पास पहुंच पाए।  

Q. ‘जोरम’ की शूटिंग के समय आपके सामने किस तरह की चुनौतियां आईं? 
A. भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो आज तक मेरी सारी फिल्में एक ही जगह सीमित थी। लेकिन ये फिल्म महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक पूरा एरिया कवर करती है। किरदार के हिसाब से आप इन सभी जगहों को फिल्म में देखेंगे। तो यह हमारे लिए काफी चुनौतिपूर्ण था। 2016 में भी बार-बार यही सवाल उठ रहा था कि एक छोटी सी बच्ची के साथ इन जगहों पर शूटिंग होगी कैसे? और तू करेगा कैसे? उस समय हमें भी नहीं पता था कि सबकुछ कैसे होगा। लेकिन दिमाग में सोच हुआ था कि सबकुछ किस तरह से करना है।   

Q. यंग जैनरेशन और मनोज बाजपेयी जैसे एक्टर्स के बीच आपको क्या अंतर नजर आते हैं?
A. मैं आपको सच बताऊं तो मनोज जी की जेनरेशन से गिन चुनकर तीन-चार एक्टर्स ही हैं जो किरदार के साथ जीते हैं और उसमें घुसने की पूरी कोशिश करते हैं। उस जमाने के कई सारे एक्टर्स स्टार न होकर भी खुद को स्टार मानते हैं। वहीं आज की जेनरेशन की बात करें तो वो ऐसे नहीं है वो काम और सीखने के भूखे हैं। जो दूसरे कलाकारों को अपना आदर्श मानते हैं और जीतोड़ मेहनत करते हैं। यहां तक कि अपनी इमेज के बारे में भी नहीं सोचते। वो कुछ भी करके सिर्फ काम चाहते हैं।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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