जब बात नीरज पांडेय की आती है तो राइटिंग ही सब कुछ है - चित्रांगदा सिंह

punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 03:25 PM (IST)

मुंबई। नवंबर 2022 में नेटफ्लिक्स पर एक बहुत  शानदार सीरीज़ 'खाकी - द बिहार चैप्टर' रिलीज़ हुई थी जिसके बाद से ऑडियंस कुछ उसी तरह का देखने को उत्सुक थी अब आख़िरकार दर्शकों का ये इंतज़ार खत्म हो गया है क्यूंकि नेटफ्लिक्स पर 20 मार्च को रिलीज़ हो चुकी है 'खाकी - द बंगाल चैप्टर' , जिसमें आईपीएस अधिकारी अर्जुन मैत्रा और उनके द्वारा गैंगेस्टरों के खात्मे के साथ - साथ राजनितिक उथल-पुथल की कहानी को दिखाया गया है। सीरीज़ को डायरेक्ट देबातमा मंडल और तुषार कान्ति राय  ने किया और इसकी क्रिएटर हैं नीरज पांडे।  इसमें जीत , प्रोसेनजीत चैटर्जी , ऋत्विक भौमिक , आदिल ज़फर खान और चित्रांगदा सिंह लीड रोल में नज़र आ रहे हैं।  
इसी के चलते सीरीज़ के लीड एक्टर्स जीत, ऋत्विक भौमिक , आदिल ज़फर खान और चित्रांगदा सिंह ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश: 

चित्रांगदा सिंह 

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1- क्या है आपका किरदार और कैसे बनी आपका इसका हिस्सा?

मैं बहुत खुश हूँ कि मैं इस सीरीज़ का हिस्सा हूँ और डायरेक्टर नीरज ने ये सोचा कि मैं बिलकुल सही रहूंगी इस किरदार के लिए।  मैं निभा रही हूँ एक पॉलिटिशियन का किरदार।  दरअसल मैं काफी समय से नीरज के साथ काम करना चाहती थी और उनको मैंने एक बार मैसेज भी किया था कि मैं आपके साथ काम करना चाहती हूँ फिर एक महीने के अंदर ही उन्होंने मुझे मैसेज किया कि एक प्रोजेक्ट है जिसे डायरेक्ट मैं नहीं कर रहा लेकिन मेरा ही प्रोजेक्ट है।  तो जब मैंने स्क्रिप्ट देखी तो मुझे बहुत एक्ससिटेमेंट हुई क्यूंकि जितना भी मैंने काम आज तक किया है ये सबसे अलग है।  बहुत खुश हूँ और वैसे भी इस सीरीज़ के साथ मेरा ओटीटी डेब्यू भी हुआ है क्यूंकि इससे पहले मैंने कोई सीरीज़ नहीं करी थी। 

2- आपने पहली बार एक राजनेता का किरदार निभाया, तो इसकी तैयारी कैसे की?

तैयारी तो पहले यही थी कि डायरेक्टर का क्या नजरिया था,  किस तरह की नेता है, कैसा परफॉरमेंस चाहिए था, इंटरनल और इमोशनली क्या चल रहा है उसकी लाइफ में, ये बहुत जरूरी था।  तो एक प्रजेंस होती है जिस पर काम किया जाता है, उसकी क्या एनर्जी है किरदार की।  बहुत सारे लेयर होते है राइटिंग में, जो मदद करता है और वही एक किरदार को निखारता है।  जब बात नीरज पांडेय की आती है तो राइटिंग ही सब कुछ है और सच कहूं तो राइटिंग ही इस सीरीज़ की बैक बोन है। 

3- क्या आपको पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट है?

हां जी, मुझे पॉलिटिक्स खासकर अपने देश की पॉलिटिक्स में बहुत इंटरेस्ट है और मुझे लगता है कि हमारे देश के हर नागरिक को पोलिटिकली जागरूक होना चाहिए।  

4- इस सीरीज में काम करने से आपके राजनीतिक दृष्टिकोण में कोई बदलाव आया है?

हर चीज़ की एक डार्क साइड होती है और उसी चीज़ को इस सीरीज़ में बहुत अच्छे तरीके से दिखाया गया है।  तो उसे देखने के बाद आप समझ सकते हैं कि कहां क्या झूठ है। तो कह सकते हैं कि कुछ समझ बड़ी है मेरी।    

जीत

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1- कैसा किरदार निभा रहे हैं आप?

मैं इस सीरीज़ में अर्जुन मैत्रा  हूँ  और एक सच्चा पुलिस अफसर जैसे होता है वैसा ही वो है।  जैसे राइटर ने लिखा और डायरेक्टर ने बताया मैंने बस उसे वैसा ही निभाने की कोशिश की है और तो मुझे लगता है किस्मत की वजह से इसका हिस्सा बना क्योंकि मुझे किस्मत पर बहुत विश्वास है।
 
2- एक्शन और इमोशनल सीन्स को निभाना कितना चुनौतीपूर्ण रहा?

बहुत अच्छा था, शुरुआत के दिनों में गर्मी बहुत ज़्यादा थी और उसमें शूट करने में तो और मज़ा आ गया क्योंकि पसीने निकल गए शूट करने में।  अब्बास भाई जो एक्शन के मास्टर हैं उन्होंने ने ही पूरी कोरिओग्राफी की है तो करने में बहुत मज़ा आया।  एक एक्टर के तौर पर तो ये एक बहुत बड़ी ब्लेसिंग है कि आप इतना एक्शन करते हो सारी मारधाड़ करते हो और फिर आप वापिस घर निकल जाते हो और उसके कोई कंसीक्वेंस भी नहीं है। तो ये बहुत मज़्ज़ेदार था।  

3- जब भी कोई सीरीज़ या फिल्म आती है तो लोग उसे ही सच मानने लगते हैं, आपको क्या लगता है कि खाकी को देखने के बाद लोगों का क्या नज़रिया होगा? 

अगर देखते वक्त कोई भी सीन आपको आपने से जुड़ा लगने लगे तो मेकर्स का काम तो समझो बन गया और यही तो हम सब चाहते हैं।  अगर हम ऑडियंस को कहानी में घुसा सकें , कहानी का हिस्सा बना लें , इसमें इन्वॉल्व हो जाएं तो इससे खूबसूरत बात तो कोई और हो ही नहीं सकती और हर मेकर का यही सपना होता है।  

4- शूटिंग के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो आपका यादगार पल बन गया?

मेरे लिए तो पूरी जर्नी ही यादगार बन गई है , मैंने बहुत एन्जॉय किया है खाकी की शूटिंग को।  ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन सबकी केमिस्ट्री बहुत शानदार थी जो आपको स्क्रीन पर जरूर दिखेगी।  

5- क्या आपको लगता है कि ऐसी कहानियां समाज में जागरूकता लाने में मदद कर सकती हैं?

ये तो एक फिक्शन सीरीज़ है और आप कैसे इन चीज़ों को ले रहें हैं उसपर निर्भर करता है।  वैसे भी डिस्क्लेमर जाता है इसका कि ये फिक्शन है।  इसलिए इसको फिक्शन की तरह ही देखना चाहिए।  इसकी अच्छी बातें अगर आप घर ले जा जाते हैं तो अच्छी बात है और बुरी बातों को वैसे ही दफन कर दें जैसे किरदार को दफ़न करते हैं।  


ऋत्विक भौमिक

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1- कैसा है आपका किरदार और कैसे जुड़े आप खाकी के साथ?

मेरा तो सेम ही प्रोसेस था हमेशा की तरह मैंने ऑडिशन दिए और फिर सेलेक्ट हुआ।  और ऑडिशन देना मुझे अच्छा भी लगता है क्यूंकि आप प्रोजेक्ट करें या ना करें लेकिन ऑडिशन से आपकी एक्टिंग की प्रेक्टिस जरूर होती रहती है और अगर ऑडिशन देते - देते अगर सगोर जैसा किरदार मिल जाए तो वो तो सोने पर सुहागा हो जाता है।  जब मैंने इसकी स्क्रिप्ट पढ़ी ना तो सबसे पहला सवाल मेरे मन में ये आया कि रणजीत का किरदार कौन निभा रहा है क्यूंकि रंजीत और सगोर की जो दोस्ती लिखी गई है इस शो में , वो दोस्ती अगर हम सही तरिके से स्क्रीन पर नहीं उतार पाए तो हमारे किरदार काम नहीं कर पाएंगे।  तो साइन करने के कुछ ही दिनों बाद मेरी मुलाकात हुई आदिल से जो रंजीत प्ले कर रहे है , मीटिंग के 10 मिंट बाद ही मुझे पता चल गया था कि हम दोनों की बहुत बनेगी और किरदार अच्छे से निकल कर बाहर आएँगे।  

2- आपने कहा कि आप सागोर बनकर गए थे कोलकाता तो वापिस किस रूप में आए?

हम ऋत्विक और आदिल बनकर ही लौटे थे क्योंकि कोलकाता जाने से पहले हमने सागोर और रंजीत बनना सीख लिया था। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो ये थोड़ा इम्पैक्टफुल तो था , क्यूंकि जिस तरह के ये किरदार हैं दोनों के दोनों रंजीत और सगोर  , जिस तरह की सिचुएशन में वो हैं जो उनका माइंड सेट है , उस चीज़ के बारे में अगर आप रोज़ सोचे तो और कई महीने वही बनकर रहें तो कहीं ना कहीं थोड़ा इफ़ेक्ट तो होता ही है। लेकिन एक बात ये भी है कि एक ही किरदार हम सारि ज़िंदगी नहीं निभाते सिवाए अपने।  हम ऋत्विक और आदिल सारी ज़िंदगी रहेंगे लेकिन रंजीत और सागोर कुछ महीनों के लिए ही थे।  फिर कोई और किरदार आता है तो किरदार से किरदार जम्प करते -करते हम पिछले वाले किरदार को तो छोड़ ही जाते हैं लेकिन कुछ न कुछ असर तो रह ही जाता है मगर उम्मीद करते हैं कि हम अच्छे रंग ही लेकर निकले उनमें से।  और शूट के दौरान उनके साथ हुआ है जो उन्होंने किया है वो शो के साथ ही खत्म हो जाए।  

आदिल ज़फर खान

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1- कैसा है आपका किरदार और कैसे जुड़े आप खाकी के साथ ? 

मैं नीरज सर के साथ पहले भी काम कर चूका हूँ और ये उन्ही का विश्वास था जो  मैं इस सीरीज़ का हिस्सा बना और इसके लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूँ।  जैसा कि ऋत्विक ने बताया वैसा ही हुआ था ऋत्विक मेरे पहले को-एक्टर थे जिनसे मैं मिला था और मेरी भी मीटिंग से पहले वही फीलिंग थी क्युकी हमारे किरदार ही ऐसे लिखे गए थे।  लेकिन मैं खुश हूँ कि ऋत्विक वो किरदार निभा रहे है , हमने साथ में कई वर्कशॉप की।हाथ में ही किरदारों को निखारा , सारा प्रोसेस बहुत ही शानदार था।  ऐसा हो गया था कि कोलकाता जाने से पहले हम लोग रंजीत और सगोर बन चुके थे।   

2- शूटिंग के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो आपका यादगार पल बन गया?

पूरा सफर यादगार।  मैं तो रात को सोने से पहले बैठकर सोचता हूँ कि शूटिंग के टाइम इस दिन ये हो रहा था।  शूटिंग के दौरान कोलकाता की हम वो जगहों पर गए जिनको कभी देखा ही नहीं था वो एक्सपीरियंस बहुत अच्छा रहा था।  शानदार को - एक्टर्स के साथ काम  एक्सपीरियंस भी बहुत ज़्यादा अच्छा था।  ये सारी यादें बहुत अच्छी हैं।  इतना ज़्यादा काम मैंने किया नहीं है लेकिन जितना किया है ये उनमें से सबसे अच्छा एक्सपीरियंस रहा।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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