हम सभी ना चाहते हुए भी सोशल मीडिया की दिखावटी दुनिया का हिस्सा हैं: विद्या बालन

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 06:10 PM (IST)

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल।  विद्या बालन रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'दो और दो प्यार' से सिल्वर स्क्रीन पर कमबैक कर रही हैं। विद्या की इस बहुप्रतीक्षित फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जिसको दर्शकों का अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। फिल्म में एक शादीशुदा जोड़े की कहानी है, जिनकी शादी में रोमांच नहीं बचा है और दोनों का ही फिर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो जाता है। फिल्म में विद्या बालन, प्रतीक गांधी, इलियाना डिक्रूज और सेंथिल राममूर्ति अहम भूमिका में हैं। 'दो और दो प्यार' 19 अप्रैल 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। ऐसे में इसके बारे में प्रतीक गांधी और विद्या बालन ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

 

विद्या बालन

Q.  आजकल रिश्तों में भावनात्मक
जुड़ाव कम होता जा रहा है, आप सोशल मीडिया को इसका कितना जिम्मेदार मानती हैं?
एक-दूसरे के लिए कहां, हम तो खुद के लिए भी वक्त नहीं निकाल पाते। हम अपनी भावनाओं को समझ नहीं पाते और सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावटी दुनिया का हिस्सा बने रहते हैं। अगर हमारा दिन खराब भी जाता है, तो भी हम एक अच्छी तस्वीर पोस्ट करते हैं कि दस लोग कमेंट करें। लेकिन एक-दूसरे से बैठकर बात नहीं कर पाते कि आज मेरा दिन अच्छा नहीं गया। हम सभी ना चाहते हुए भी इस दिखावटी दुनिया का हिस्सा हैं। आजकल फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों के इतने सारे दोस्त हैं, लेकिन निजी कोई नहीं है। अगर आप कॉफी शॉप भी जाते हैं, तो आसपास लोगों को फोन पर ही लगा हुआ देखेंगे। ऐसा देखा जाता है कि लोग अगर अकेलापन महसूस करते हैं, तो वो भी सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं। यह सोचकर कि उस पर लोग सलाह देंगे। सोचिए, वह उन लोगों से सुझाव मांग रहे हैं, जिन्हें वो खुद जानते भी नहीं हैं।


Q.  पहले के प्यार और आज के प्यार में काफी अंतर हो गया है। आप इससे कितना इत्तेफाक रखती हैं?
हां, सुनने में तो आ रहा है कि लोग बहुत ज्यादा बेसब्र हो गए हैं। एक-दो मुलाकातों के बाद उन्हें लगता है कि इतना मजा नहीं आ रहा है तो वो किसी दूसरे को तलाश करने लगते हैं। आजकल हर किसी चीज के लिए ऐप्स हैं, सब कुछ हमारे घर तक पहुंच जाता है तो उनमें विकल्प बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। उन्हें लगता है कि निजी जिंदगी
भी ऐसी ही हो गई है, संबंध भी ऐसे ही होने चाहिए।  

 

Q.  इस फिल्म के जरिए आपने अपने किरदार से क्या सीखा?
मैंने काव्या से सीखा है कि हर किसी का प्यार जताने का तरीका अलग होता है और अगर वो अलग है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो आपसे प्यार नहीं करता। हर कोई एक तरह से प्यार नहीं जता सकता। अगर वो आपकी तरह अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर रहा है तो इसका मतलब ये नहीं कि प्यार नहीं है।

 

Q.  सिद्धार्थ रॉय कपूर और आप कैसे मिले?
मैं उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड के बैकस्टेज पर मिली थी। मुझे मेरा पहला बेस्ट एक्ट्रैस अवॉर्ड 'पा' के लिए मिला था, बस वो लेकर मैं बैकस्टेज गई, बाइट वगैरह देकर निकल रही थी कि मुझे वो मिल गए। मैंने कहा कि अच्छा... ये मेरे प्रोड्यूसर हैं। मैंने उनका नाम तो सुना था लेकिन उनसे मिली नहीं थी। उनके जाने के बाद मैंने वहां मौजूद टीम से उनके बारे में थोड़ी जानकारी निकाली तो पता चला कि वो मैरिड हैं। लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि वो पहले ही अलग हो चुके हैं। फिर जिंदगी हमें साथ ले आई। 

 

प्रतीक गांधी


जिंदगी मिली है, तो इसे खुलकर जिएं ब्रेकअप तो होते रहते हैं: प्रतीक गांधी


Q.  आज के समय में आप सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप को कैसे देखते हैं?  
मुझे लगता है कि बदलना तो लोगों का स्वभाव है। डिजिटल वर्ल्ड में हम अटेंशन के भूखे हो रहे हैं। हम पांच दिन के टेस्ट मैच से लेकर 20-20 तक आ गए। ऐसे समय में रिश्ते में जिंदगी भर रहना इस पीढ़ी के लोगों के लिए मुश्किल विचार हो गया है। हम ज्यादा समय तक किसी चीज से जुड़े नहीं रहना चाहते लेकिन इंसान होने की वजह से हमें दूसरों से प्यार तो चाहिए ही होता है। अब अगर वो किसी एक व्यक्ति से नहीं मिलेगा तो वह उसे ढूंढता ही रहेगा। रही बात सिचुएशनशिप की तो जब लोगों को कुछ बोलने के लिए समझ में नहीं आता तो वह उसे सिचुएशनशिप का नाम दे देते हैं। ऐसा अभी तक मुझे समझ में आया है। हो सकता है कि ये गलत हो।

 

Q. रियल लाइफ में जब कपल का झगड़ा होता है तो पति को ज्यादा सुनना पड़ता है। आपके केस में भी ऐसा है क्या?
नहीं, मेरे हिसाब से दोनों को सुनना और बोलना चाहिए। अगर आप झगड़े के बाद बोलना बंद कर देते हैं, तो लड़ाई फिर गंभीर हालत में चली जाती है।


Q. ब्रेकअप और तलाक के बाद डेटिंग को लेकर आप क्या सोचते हैं?
आप जीना नहीं छोड़ सकते न। अपने माता-पिता के गुजर जाने के बाद भी आप जिंदा रहते हैं ना। आपको यह जिंदगी मिली है, तो आप इसे खुलकर जिएं। ब्रेकअप वगैरह तो जिंदगी का हिस्सा है, जिंदगी नहीं है।

 


Q. भामिनी ओझा के साथ आपकी पहली मुलाकात कब हुई और फिर बात आगे कैसे बढ़ी?
मेरी उनसे पहली मुलाकात साल 2005 में हुई थी। स्टेज पर मेरी परफॉर्मेंस चल रही थी, तभी मैंने उन्हें ऑडिटोरियम में देखा। वो नाटक देख रही थीं। ये एक ऐसा नाटक था, जिसमें कोई संवाद नहीं था। मैंने उन्हें नोटिस किया कि ये कौन है। फिर जब नाटक खत्म होने के बाद वो हमारे पास आई और उन्होंने सबको बधाई दी तो मालूम हुआ कि वो भी एक्टर हैं। फिर मैंने किसी तरह से उनका नंबर निकाला, उन्हें मैसेज किया। फिर एक-डेढ़ साल तक तो ऐसे ही सब चलता रहा। बाद में हम पहली बार कॉफी पर मिले और बात आगे बढ़ी। तब हम मेल पर बात करते थे। ये सोशल मीडिया वगैरह तब नहीं था।


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Content Editor

Varsha Yadav

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