प्यारी यादों से परंपराओं तक: सोनी सब की कलाकारों ने बताया करवा चौथ कैसे बनता है खास

punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 01:16 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 7 अक्टूबर, 2025: करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो परंपरा और भावनाओं का सुंदर संगम है। यह वह दिन है जब रंग-बिरंगी रस्में गहरे विश्वास और प्रेम से जुड़ती हैं और चांदनी रात में प्यार का उत्सव मनाया जाता है। मेहंदी रचाने और सुबह-सवेरे की सरगी से लेकर, दिल में प्रार्थनाएं लिए चांद का इंतज़ार करने तक, भारत भर की महिलाएं इस पर्व को अपार उमंग और ख़ुशी से मनाती हैं। सोनी सब की लोकप्रिय अभिनेत्रियां श्रेनु पारिख, करूणा पांडे, बृंदा त्रिवेदी और गौरी टोंक अपनी प्यारी यादें, पसंदीदा परंपराएँ और करवा चौथ का उनके लिए क्या अर्थ है, यह साझा करती हैं।

गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय में देवी पार्वती की भूमिका निभा रहीं श्रेनु पारिख ने कहा, “मैं एक गुजराती हूँ और मेरी शादी एक महाराष्ट्रीयन परिवार में हुई है, इसलिए करवा चौथ हमारे पारंपरिक त्योहारों का हिस्सा नहीं रहा। लेकिन समय के साथ मैंने इसके भाव और उत्साह को बहुत पसंद करना शुरू कर दिया। मैंने अपनी कई सहेलियों को पूरे प्रेम और उत्साह से व्रत रखते देखा है और कहीं न कहीं वह ऊर्जा आप तक भी पहुँच जाती है। मेरे लिए यह रस्मों से ज़्यादा साथ मिलकर प्यार और अपनापन मनाने का त्योहार है। सजने-सँवरने से लेकर पूरे दिन एक-दूसरे को छेड़ने और फिर चाँद का इंतज़ार करने तक यही छोटी-छोटी बातें इस दिन को ख़ास बना देती हैं।'

इत्ती सी ख़ुशी में नंदिता की भूमिका निभा रहीं गौरी टोंक ने कहा,  “मेरे लिए करवा चौथ हमेशा से एक सुंदर परंपरा रही है। यह केवल व्रत रखने का दिन नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और यश और मेरे रिश्ते का उत्सव है। समय के साथ यह एक परंपरागत रस्म से ज़्यादा एक भावनात्मक अनुष्ठान बन गया है। मुझे इसकी तैयारी करना, त्योहारी ऊर्जा का हिस्सा बनना और वह खास पल जीना बहुत अच्छा लगता है जब चाँद निकलता है। मेरे लिए यह दिन साथ, कृतज्ञता और उस साझेदारी का जश्न है जिसे हम लगातार संवारते हैं। यह भले ही साल में एक दिन है, पर इसकी भावनाएँ लंबे समय तक दिल में बनी रहती हैं।”

पुष्पा इम्पॉसिबल में पुष्पा की भूमिका निभा रहीं करूणा पांडे ने कहा, “करवा चौथ मेरे दिल के बहुत करीब है। जब मैं चंडीगढ़ में मास्टर्स कर रही थी, तब महिला हॉस्टल में रहती थी। वहाँ अविवाहित लड़कियाँ भी इस परंपरा को निभाती थीं। हम सब सुबह जल्दी उठकर मेस में बनी साधारण सरगी खाते और फिर पूरा दिन व्रत रखते। तब यह किसी खास इंसान के लिए नहीं, बल्कि मिलकर त्योहार मनाने की खुशी के लिए होता था। शादी के बाद मैंने विधिवत व्रत रखा, लेकिन अब काम के व्यस्त कार्यक्रम और शूटिंग की वजह से हमेशा आसान नहीं होता। फिर भी मैं इसकी असली भावना में विश्वास रखती हूँ। मुझे सभी रस्में—तैयार होना, पूजा करना और चाँद का इंतज़ार करना—बहुत सुंदर लगते हैं। देखें गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय, इत्ती सी ख़ुशी और पुष्पा इम्पॉसिबल,  हर सोमवार से शनिवार, केवल सोनी सब पर

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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