Review:  ऐसी फिल्म जो दिखाती है एक औरत की हक की लड़ाई, यामी-इमरान ने जीता दिल

punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 09:41 AM (IST)

फिल्म : हक (Haq)
कलाकार: यामी गौतम (Yami Gautam), इमरान हाशमी (Emraan Hashmi), वर्तिका सिंह (Vartika Singh), शीबा चड्ढा (Sheeba Chaddha) आदि।
निर्देशक:सुपर्ण एस. वर्मा (Suparn S. Verma)
रेटिंग : 3*

हक: इमरान हाशमी और यामी गौतम की बहुप्रतीक्षित फिल्म  सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है। शाहबानो केस पर आधारित ये फिल्म एक औरत की उसके हक के लिए लड़ाई को दिखाती है। जो अपने हक के लिए चार दीवारों की लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक लेके जाती है। फिल्म का निर्देशन सुपर्ण एस. वर्मा ने किया है। आइए जानते है कैसी है फिल्म हक।


कहानी
फिल्म की कहानी शाहबानो केस पर आधारित है। साल 1965 में उत्तर प्रदेश के कस्बे से शुरू होती है। जहां मशहूर वकील अब्बास खान (इमरान हाशमी) शाजिया  बानो (यामी गौतम धर) से शादी करते हैं। दोनों की शादी को कई साल गुजर जाते हैं और उनके तीन प्यारे बच्चे होते हैं और खुशहाल जिंदगी जी रहे होते हैं। लेकिन एक दिन अचानक अहमद शायरा(वर्तिका सिंह) से दूसरा निकाह कर लेते हैं। सायरा के घर आने के बाद माहौल बदल जाता है। एक ही छत के नीचे दो औरतों का गुज़ारा नामुमकिन हो जाता है। शाजिया अब अपने बच्चों के साथ मायके लौट जाती है। शुरुआत में अहमद कुछ खर्च भेजता है, लेकिन धीरे-धीरे वह भी बंद हो जाता है। यही से शुरू होती है शाजिया के हक की लड़ाई और उसका संघर्ष जो चार दीवारों से निकल कर हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाता है। इस बीच शाजिया के साथ क्या क्या होता उसे किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है ये जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।

अभिनय
अभिनय की बात करें, तो यामी अपने अभिनय से आपको शाजिया के सफर पर पहले ही सीन से ले जाती हैं। यामी इस तरह के गंभीर और संवेदनशील रोल बखूबी निभाना जानती हैं। एक मजबूत औरत के रोल में वह खुद को साबित करती हैं। अब्बास खान के रूप में इमरान हाशमी एक पति और वकील दोनों रोल में खूब जंचे हैं। इमरान एक ऐसे एक्टर हैं जो चॉकलेट बॉय से लेकर अब्बास जैसा धार्मिक सत्ता और व्यक्तिगत आस्था के बीच फंसे एक व्यक्ति का किरदार बखूबी निभा सकते हैं। वर्तिका का रोल छोटा है लेकिन वो अपने किरदार में अच्छी लगी हैं। शीबा चड्ढा और दानिश हुसैन अपने सधे हुए अभिनय से मुख्य कथा को मजबूती देते हैं।

निर्देशन
निर्देशन की बात करें तो फिल्म का निर्देशन सुपर्ण एस. वर्मा ने किया है। फिल्म में बिना किसी मेलो ड्रामा के कहानी पर फोकस किया गया है। फिल्म कहीं भी आपको खींची हुई नहीं लगती है। फिल्म में एक सादापन नजर आता है जो इसे और खास बनाता है। फिल्म में संवाद बहुत दमदार है जो आपको ताली बजाने पर मजबूर कर सकते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक से लेकर कोर्टरूम ड्रामा तक कहानी को अच्छा स्पोर्ट करते हैं। छोटी मोटी कमियों को नजरअंदाज किया जाए तो फिल्म का निर्देशन अच्छा है।

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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