हाथी दांत के अवैध शिकार को बेहद गहराई और मार्मिकता से दिखा रही ‘पोचर’

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 11:00 AM (IST)

नई दिल्ली। सिनेमाघरों से इतर ओ.टी.टी. पर इन दिनों एक से बढ़कर एक बेहतरीन कंटैंट दर्शकों के लिए मौजूद है। इसी कड़ी में 'पोचर' एक नई इन्वेस्टिगेटिव क्राइम वैब सीरीज भी प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो गई है। सीरीज में एक ऐसा मुद्दा उठाया गया है, जो अक्सर मनोरंजन की दुनिया में अनदेखा कर दिया जाता है। यह एक बेहतरीन क्राइम ड्रामा सीरीज है, जो सच्ची घटनाओं पर आधारित है। सीरीज में हाथियों के अवैध शिकार, हाथी दांत की गैर-कानूनी तस्करी और उससे जुड़े अलग-अलग पहलुओं को बेहद गहराई और मार्मिकता से दिखाया गया है। 'पोचर' की को-प्रोड्यूसर आलिया भट्ट हैं और इसमें निमिषा सजयन, रोशन मैथ्यू, दिब्येंदु भट्टाचार्य, अंकित माधव एवं कानी कुश्रुति अहम भूमिका निभा रहे हैं। 'पोचर' के बारे में निर्देशक रिची मेहता के साथ दिब्येंदु और रोशन ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...


रिची मेहता

Q. वाइल्ड लाइफ क्राइम के बारे में बताने के लिए काफी कुछ है, फिर आपने इसी प्लॉट को क्यों चुना?
जवाब- इसकी वजह यह है कि मैंने 2015 में India in a Day नाम से डॉक्यूमैंट्री की थी। जिसके लिए मुझे देशभर से लोगों का बहुत प्यार मिला। अक्तूबर, 2015 में उस डॉक्यूमैंट्री की शूटिंग के समय ही मुझे हाथी के दांत एक फ्लैट में मिले। इसके बाद मैंने एन.जी.ओ. के लोगों को बुलाकर पूछा कि ये सब क्या है। उन्होंने बोला कि यह इतिहास की सबसे बड़ी हाथी के दांतों की तस्करी थी, जिसके लिए उन्होंने करीब एक साल तक रिसर्च की। उन्होंने कहा कि क्या आप इसे अपनी डॉक्यूमैंट्री में ले सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि मुझे कुछ समय दीजिए, मैं इस पर पूरी रिसर्च करूंगा, क्योंकि मुझे नहीं पता वाइल्ड लाइफ क्राइम क्या होता है। इनके माफिया कौन होते हैं। इसके बाद मैंने इस पर काफी रिसर्च की। मुझे एहसास हुआ कि यह कहानी तो उनकी है जो सभी के लिए पर्यावरण की रक्षा करते हैं।

 
Q. रिसर्च के दौरान आपके सामने क्या चुनौतियां आईं?
जवाब- रिसर्च मेरे लिए कोई चुनौती नहीं है मुझे इसमें बहुत मजा आता है। पूरे प्रोसैस में यह हिस्सा मेरा पसंदीदा है। इस सीरीज के लिए सारी चीजें अपने आप ही कनेक्टिड होती गई। जब मैं 'दिल्ली क्राइम' कर रहा तब उसी टाइम मैं वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सपंर्क में आया। वहां से मुझे काफी पुराने आर्काइव मिले। उनसे मुझे काफी हैल्प मिली। इसके बाद मैंने जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क में फॉरैस्ट वॉचर्स के साथ वर्कशॉप्स कीं। पर्यावरण पर बनी डॉक्यूमैंट्रीज देखीं। इसके बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामने आता गया।

 

दिब्येंदु भट्टाचार्य

Q. आप इस प्रोजेक्ट का हिस्सा कैसे बने?
जवाब- मुझे कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा की तरफ से संजय जी का पहला फोन आया था। इसके बाद मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए ऑडिशन दिया, क्योंकि मुझे रिची के साथ काम करना था। पहले भी हम एक प्रोजेक्ट में साथ काम कर रहे थे फिर वह किसी वजह से आगे नहीं बढ़ पाया। ऑडिशन के बाद मेरा सिलेक्शन हो गया। फिर रिची से इसकी कहानी के बारे में पता चला। वाइल्ड लाइफ क्राइम और असल घटनाओं के बारे में पहले मुझे सामान्य जानकारी थी। रिची ने इस पर काफी रिसर्च की, जिसमें इतनी सारी चीजें सामने आईं कि बतौर एक्टर मेरी भी आंखें खोलने वाली थी।


Q. आप अपने किरदार के लिए खुद को कैसे तैयार करते हैं?
जवाब-मेरी अप्रोच हर सीरीज के लिए स्क्रिप्टेड होती है। स्क्रिप्ट यानी ब्रांड द डायरैक्टर चाहे वह रियल लाइफ किरदार हो या डिमांड के मुताबिक कोई रोल हो। जैसा मुझे करने के लिए कहा जाता है, मैं उसके मुताबिक ढल जाता हूं। हां कभी-कभी जस्टिफाई करना मुश्किल होता है। ऐसे में मैं किरदार से खुद को रिलेट करने की कोशिश करता हूं। उसके सुपर ओप्जेक्टिव को पकड़ता हूं, उससे सवाल करता हूं, जिसके मुझे साधारण जवाब मुझे एक्टिंग के दौरान मिलते हैं।

 

रोशन मैथ्यू

Q. सीरीज के लिए की गई रिसर्च पढ़ने के बाद असल तथ्य और घटनाओं पर आपका रिएक्शन रहा?
जवाब- आंकड़े तो मेरे लिए भी शॉकिंग थे। मुझे जानवरों के अवैध शिकार और इससे जुड़ी कई चीजों के बारे में गहराई से जानकारी नहीं थी। बतौर एक्टर आपको कई ऐसी चीजों के बारे में जानना होता है, जिससे आप अपने किरदार से रिलेट कर पाएं। इसमें रिची ने बहुत काम किया है। अगर आप तथ्यों को लेकर सारी चीजें अपने दिमाग में सोचेंगे भी तो भी आप चौंक जाएंगे। जो चीजें हमने पेज पर पढ़ीं उसे हमें पर्दे पर लाना था, तभी वह इफेक्टिव हुआ।


Q. किरदार को निभाने के लिए आपकी क्या अप्रोच रही?
जवाब- मेरा किरदार एक ऐसे शख्स पर था जो सच में है और लगातार बाहर की दुनिया में अच्छा काम रहे हैं। रिची की स्क्रिप्ट बहुत डिटेल में होती है, जो चीजें एक्टर को अपना रोल प्ले करने के लिए चाहिए, वह सब कुछ उसमें होता है। इस दौरान मुझे बहुत सारी नई चीजें पता चलीं। हमारी पहली बातचीत जब फोन पर हुई, वही करीब 40 मिनट तक चली। रिची बहुत अलग तरह के हैं, उनका चीजों को देखने का नजरिया अलग है, कहने का तरीका अलग है। जिसे मेरे हिसाब से सभी को जानना और देखना चाहिए।
 
Q. जंगल में शूट करने का अनुभव कैसा रहा?
जवाब- बहुत अनुभव मिला, मजा भी बहुत आया, लेकिन जंगल मजे करने की जगह नहीं है। शूट से पहले जंगल में रहने वाले जानवरों के प्रति व्यवहार को सीखा।


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Content Editor

Varsha Yadav

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