आमिर खान की ‘सितारे जमीन पर’ पर चोरी का सवाल, क्या ‘मकतूब’ से मिलती-जुलती है कहानी?

punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 06:24 PM (IST)

नई दिल्ली। बॉलीवुड हलकों में इन दिनों एक नई चर्चा जोर पकड़ रही है। आमिर खान की हाल ही में घोषित फिल्म 'सितारे ज़मीन पर' को लेकर कुछ अनपेक्षित तुलना शुरू हो गई है और यह तुलना हो रही है एक स्वतंत्र फिल्म 'मकतूब' से, जिसे पलाश मुच्छल ने निर्देशित किया है।

'सितारे ज़मीन पर' जहां आधिकारिक तौर पर स्पेनिश फिल्म ‘Campeones’ की हिंदी रीमेक बताई जा रही है, वहीं इसकी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की जो बौद्धिक रूप से दिव्यांग लोगों की एक टीम को मेंटर करता है कुछ लोगों को 'मकतूब' की याद दिला रही है। 'मकतूब', हालांकि बजट और स्केल में छोटी फिल्म है, लेकिन इसमें समावेशन (inclusion), भावनात्मक दृढ़ता और मानवीय गरिमा जैसे विषयों को बहुत ही संवेदनशीलता से दिखाया गया है।

इन दोनों फिल्मों की विषयवस्तु में जो समानता दिख रही है, वह कई लोगों को महज संयोग नहीं लग रही। सोशल मीडिया पर भी धीरे-धीरे दोनों फिल्मों की तुलना की जा रही है। कुछ फैन्स और इंडस्ट्री इनसाइडर्स ने दोनों की कहानी के "भावनात्मक रिश्ते" को उजागर करना शुरू कर दिया है। अभी तक किसी पक्ष ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह चर्चा अब तेज़ होती जा रही है और सवाल उठ रहा है कि क्या स्टारडम की चकाचौंध में असली, मौलिक कहानियों को दबा दिया जाता है?

'मकतूब' की घोषणा 'सितारे जमीन पर' से कुछ हफ्ते पहले ही हुई थी, और इसके विषय को लेकर पहले ही इंडस्ट्री में एक शांत सराहना शुरू हो गई थी। अब जब 'सितारे ज़मीन पर' को बड़े स्टार और स्टूडियो सपोर्ट के साथ लॉन्च किया गया है, तब लोग फिर से 'मकतूब' की ओर लौट रहे हैं  यह याद करते हुए कि एक साधारण सी दिखने वाली फिल्म भी कितनी गहराई रखती है। तो क्या यह केवल एक रचनात्मक संयोग (creative convergence) है? या फिर यह मामला और गहराई से देखने लायक है?

फिलहाल दोनों ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन जिस तरह इंडस्ट्री में प्रभाव और मौलिकता की रेखाएं अक्सर धुंधली हो जाती हैं, यह एक ऐसी बहस है जिसे बॉलीवुड अनदेखा नहीं कर पाएगा।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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