Exclusive Interview : कश्मीर के खूबसूरत सच और कड़वी हकीकत से रूबरू कराती ''नो फादर्स इन कश्मीर''

Thursday, Apr 04, 2019 - 11:33 AM (IST)

नई दिल्ली। बॉलीवुड (Bollywood) में लंबे समय से जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) का आतंक (Terrorism) और खून खराबे से भरा एक ही पहलू दर्शकों के सामने आता रहा है लेकिन इस शुक्रवार सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म रिलीज हो रही है जो जम्मू-कश्मीर का दूसरा पहलू भी लोगों के सामने रखने को तैयार है। इस फिल्म का नाम है 'नो फादर्स इन कश्मीर' (No Fathers In Kashmir) जिसमें चार चांद लगा रहे हैं दो फ्रेश चेहरे जारा वेब (Zara Webb) और शिवम रैना (Shivam Raina)। इसके साथ ही फिल्म में सोनी राजदान (Soni Razdan) , कुलभूषण खरबंदा  ( Kulbhushan Kharbanda) और अश्विन कुमार (Ashvin Kumar) दमदार भूमिका निभाते नजर आएंगे।

 

इस फिल्म को डायरेक्ट किया है ऑस्कर (Oscar) नोमिनेटेड फिल्म 'लिटिल टेरोरिस्ट' (Little Terrorist) और दो बार नेशनल अवॉर्ड (National Award) जीत चुके डायरेक्टर (Director) अश्विन कुमार ने। सोनी राजदान और अश्विन ने दिल्ली में फिल्म प्रमोशन के दौरान पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

 

 

 

ये फिल्म सेंसर बोर्ड के लिए चुनौती : अश्विन कुमार
सर्टिफिकेशन (Certification) में आने वाली परेशानियों के लिए मैं पहले से ही तैयार था। सेंसर बोर्ड (Censor Board) से मेरा काफी पुराना नाता रहा है। पहले भी मेरी दो फिल्में बैन की जा चुकी हैं इसलिए मुझे पता था कि इस फिल्म के सर्टिफिकेट के लिए भी मुझे काफी नचवाया जाएगा। अपने पिछले एक्सपीरियंस से मैं काफी कुछ सीख चुका हूं। इस बार मैंने उनको इस स्क्रिप्ट (Film Script) के जरिए चुनौती दी और उनके लिए ये दुख की बात है कि वो इस बार फेल हो गए। हालांकि उन्होंने बहुत कोशिश की इस फिल्म में बाधाएं डालने की। 8 महीने उन्होंने हमें परेशान किया। पहले उनकी एक कमेटी ने फिल्म में लगने वाले कट्स की एक लिस्ट तैयार की। उसके बाद दूसरी कमेटी बैठी तो उन्होंने पहली लिस्ट को खारिज करते हुए नई लिस्ट बनाई और हमें उन्हें ठीक करने के लिए कहा। अपने पूरे एक्सपीरियंस से तो अब मैं यही कहना चाहूंगा कि कई बार हकीकत लोगों तक पहुंचती नहीं है और इसके लिए सेंसरशिप भी जिम्मेदार है।

 

 

 

सोनी राजदान का प्रोफेशनलिज्म बेहतरीन
सोनी राजदान ने मुझे फेसबुक पर काफी मेसेज डाले थे कि कश्मीर मेरे दिल के बहुत ही करीब है, अगर आप उस पर कोई भी फिल्म बना रहे हो तो स्क्रिप्ट शेयर करो। मैंने जब स्क्रिप्ट उनसे शेयर की तो उन्होंने मिलने को कहा। फिर हम मिले तो मैंने उनसे कहा कि दादी के किरदार के लिए वो काफी युवा हैं लेकिन उन्होंने तुरंत कहा- बिल्कुल नहीं! मुझे ये स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई है और मैं ये रोल जरूर करूंगी। मुझे लगता है ये उनकी प्रोफेशनल क्वालिटी है कि उन्होंने बाकी चीजों पर ध्यान ना देकर सिर्फ एक अभिनेत्री के तौर पर स्क्रिप्ट की गहराई को समझा।

 

 

एक स्क्रीन पर दिखेंगे कश्मीर के दो पहलू
ये फिल्म मैंने उस लड़की को याद करके लिखी है जिसका हाथ मैंने पहली बार कश्मीर के गुलमर्ग में थामा था। उस वक्त मैं कश्मीर बहुत जाता था। उसके 20 साल बाद जब मैं वर्ष 2009 में कश्मीर गया डॉक्यूमेंट्री फिल्म (Documentary Films) बनाने तब मैंने खून-खराबा वाला कश्मीर देखा है। मैंने इस फिल्म के जरिए अपने ये दोनों ही एक्सपीरियंस एक साथ स्क्रीन पर लाने की कोशिश की है।

 

 

कश्मीर पर लिखी गई सबसे अलग स्क्रिप्ट : सोनी राजदान
स्क्रिप्ट पढ़ते ही मुझे समझ में आ गया था कि अश्विन वो शख्स हैं जो कश्मीर को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। मैंने कश्मीर से जुड़ी इस तरह की स्क्रिप्ट पहले ना पढ़ी थी और ना ही कोई फिल्म देखी थी जिसके कारण मैं इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहती थी। फिल्म बनने के बाद जब मैंने इसे देखा तो मुझे ये स्क्रिप्ट से भी बेहतर लगी। जरूरी है कि हम सच को देखें और समझें क्योंकि जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे तब तक हम कश्मीर के मुद्दे को सुलझा नहीं सकते। फिल्म के दोनों ही लीड एक्टर्स फ्रेश फेस हैं और उनका टैलेंट फिल्म में साफ दिखता है।

 

 

फिल्म के लिए करनी पड़ी काफी रिसर्च
इस फिल्म के लिए मुझे काफी रिसर्च करनी पड़ी। जो किरदार मैं निभा रही हूं उसका बेटा कश्मीर में कहीं गायब हो गया है। ऐसी महिला कैसा महसूस कर रही होगी ये हम नहीं समझ सकते। इसके लिए मैंने अश्विन से बात की और उन्होंने कश्मीर के ऊपर जो डॉक्यूमेंट्री बनाई थी वो देखी जिससे मुझे काफी मदद मिली। 

Chandan

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