‘695’ जैसा किरदार पहले कभी नहीं निभाया : अरुण गोविल

Wednesday, Jan 17, 2024 - 11:39 AM (IST)

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। 22 जनवरी का दिन देश ही नहीं ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूरे देश में राममय की लहर है लेकिन श्रीराम जन्मभूमि का इतिहास भारत के सबसे विवादित मुद्दों में से भी रहा है। ऐसे में राम मंदिर के 500 साल के संघर्ष और इतिहास से जुड़ी एक फिल्म 'सिक्स नाइन फाइव' 19 जनवरी 2024 को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस फिल्म में अरुण गोविल के अलावा अशोक समर्थ, मुकेश तिवारी, गोविंद नामदेव, अखिलेंद्र मिश्रा और गजेंद्र चौहान जैसे कई और कलाकार अहम भूमिका में नजर आएंगे। इस बारे में फिल्म की स्टारकास्ट ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

 

अरुण गोविल

Q. रामायण के बाद लोगों को आप में ही श्री राम नजर आए और आप आज इस फिल्म से भी जुड़े हैं। इस पूरी यात्रा को आप कैसे बयां करेंगे?   
-इस जर्नी को बयां करने के लिए बहुत समय लगेगा। वहीं '695' की बात करें तो इस फिल्म में मैंने जिस तरह का किरदार निभाया है, वैसा पहले कोई किरदार नहीं किया था। मेरा गेटअप भी एक अच्छे खासे बूढ़े व्यक्ति का है, जो संत हैं और हिंसा का बिल्कुल भी सहारा नहीं लेना चाहते हैं। धूर्त, चालाकी और मक्कारी उनके मन में नहीं है। उनकी हर बात यही कहती है कि जो प्रभु चाहेंगे, वही होगा, सिर्फ आप अपना कर्म करते रहो। ये कैरेक्टर मेरे लिए नया था तो मुझे इसे करते हुए बहुत अच्छा लगा क्योंकि किरदार बहुत सकारात्मक है। इसमें मेरे शिष्य (अशोक समर्थ) बने हैं। मैं और वो एक-दूसरे के विलोम हैं। उनका मानना है कि चुप रहकर काम कर सकते हैं, मैं नहीं। मैं अपनी आवाज उठाऊंगा। मुझे अपना एक भी डायलॉग याद नहीं है, लेकिन उनके हैं।

Q. क्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा फिल्म को प्रभावित करेगी? 
- जरूर करेगी। क्यों नहीं, हम अपनी चीजों को सही समय पर दिखाएं। इस समय देश में राम मय माहौल है और यह फिल्म इससे जुड़ी हुई है। लोगों को पता लगेगा कि इस मंदिर का इतिहास क्या है और वर्षों संघर्ष के बाद किस तरह सभी चीजें हुई।

Q. राम मंदिर को लेकर जिस तरह से जन जागृति हुई है, इसका श्रेय आप किसे देना चाहेंगे? 
- इसका श्रेय किसी एक चीज को नहीं दिया जा सकता। लोगों में श्री राम को लेकर जिस तरह की जन जागृति हुई है इसका पहला अध्याय श्रीरामानंद सागर की रामायण थी। फिर धीरे-धीरे इससे लोग जुड़ते चले गए। 6 दिसंबर से शुरू हुआ यह मामला बाद में कोर्ट पहुंच गया। लेकिन इसके पीछे एक व्यक्ति को मैं जरूर श्रेय देना चाहूंगा और वो हैं श्री नरेन्द्र मोदी। मैं उनसे कभी मिला नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने अपने मन में ठान लिया था कि ये काम मुझे करना है और मैं इसे करूंगा। उन्होंने इस देश, जनता और काम को जिस तरह की ऊर्जा दी है, वो दुर्लभ है। मैंने ऐसा व्यक्ति पहले कभी नहीं देखा। तो अगर एक व्यक्ति के श्रेय की बात आती है, तो मैं उन्हें इसका पूरा श्रेय देता हूं। आज हर व्यक्ति सिर्फ राम मंदिर के बारे में ही बात कर रहा है। मुझे लगता है यह पल सामाजिक, धार्मिक और सनातन धर्म की दृष्टि से मेरे जीवन की सबसे बड़ी घटना है।

 

अशोक समर्थ 

Q. इस फिल्म के माध्यम से आप लोगों को क्या बताना चाहते हैं? 
- हिंदू सनातन धर्म की जो परिपूर्ण व्याख्या है, जिसे आज की तारीख में लोग अपने-अपने तरह से दूसरों को समझाते हैं लेकिन सनातन धर्म के प्रचारक व प्रसारक हमारे संतों ने अपने विचारों से जो व्याख्या दी है, हम फिल्म के माध्यम से उसे लोगों तक पहुंचाएंगे। दूसरी बात हमारी संस्कृति में गुरु और शिष्य की जो परंपरा रही है वो कितनी अद्भुत थी, यह भी इस फिल्म में बताया गया है। 'सिक्स नाइन फाइव' के जरिए अगर किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने की कोशिश करेंगे तो वो गलत होगा।

Q. फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद पहला रिएक्शन क्या था? 
-जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो जो मुझे बोलना है सबसे पहले उसके लिए मुझे बहुत हिम्मत करनी पड़ी। मेरा किरदार महंत रामचन्द्र दास परमहंस जी से प्रेरित है, जिसका नाम रघुनंदन है। हम शांति, सहनशीलता और सद्भावना का मार्ग लेकर चले, अगर प्रैक्टिकली देखा जाए तो इस भूमि पर हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाए। लेकिन करें क्या ये हमारी पंरपरा थी। आज वो चित्र दुरुस्त हुआ है, यह केवल 3 तारीखों तक समाहित नहीं है, ये पूरा 500 साल तक का इतिहास है जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को लेकर चलता है। आज 2024 में देखा जाए तो 6-7 साल में हिंदुओं में जो बदलाव निर्माण हुआ है, वह जिसकी वजह से हुआ है उस किरदार को मुझे निभाने का मौका मिला। इस किरदार ने मुझे बहुत कुछ दिया है, जो जीवनभर में मेरे साथ रहने वाला है।

 

अखिलेंद्र मिश्रा

Q. इस फिल्म में काम करना बाकी फिल्मों से कैसे अलग था? 
- फिल्म की शूटिंग अयोध्या में हुई थी, ऐसे में इसमें काम करना काफी अलग था। अयोध्या अपने आपमें एक आध्यात्मिक नगरी है और भगवान श्रीराम को लेकर इस शहर का वातावरण पूरी तरह से राममय है। सरयू के तट पर हमने शूटिंग की, जो बहुत मार्मिक था। वहां के लोगों से हमने इससे जुड़ी काफी कहानियां भी सुनी थीं। ऐसे में जब हम सीन शूट कर रहे थे तो मेरे दिमाग में वो सारी चीजें घूम रही थीं। ऐसा लगा कि सभी भावनाएं मेरे सामने प्रतिबिंबित हो रही हों। 42 डिग्री के तापमान में शूटिंग करने पर भी एक अलग ही एनर्जी रहती थी। वहां कण-कण में राम हैं और संत का किरदार निभाना अपने आप में खास है।

 

श्याम चावला

Q. 'सिक्स नाइन फाइव' का क्या अर्थ है और आपने यह टाइटल क्यों चुना?  
-  6 यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा ​गिराया था, जिसके बाद 9 ​नवंबर को राम ​मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आया था। 5 अगस्त को पी.एम. मोदी ने भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया था। इसके अलावा इन पूरे अंकों को मिलाकर 'जय श्री राम' भी बनता है, इसीलिए इस फिल्म का नाम 'सिक्स नाइन फाइव' रखा गया है। श्री राम के टाट से लेकर ठाठ तक की कहानी इस फिल्म में हैं। हमारे प्रभु जी पहले टाट में थे और वहां से 22 जनवरी को पूरे ठाठ से विराजमान होंगे। इस समयकाल के बीच की पूरी घटनाएं हमने इसमें पिरोने की कोशिश की है। 

Jyotsna Rawat

Advertising