16 साल की बच्ची को इंसाफ दिलाने की कहानी है फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’

Monday, May 22, 2023 - 02:24 PM (IST)

नई दिल्ली,टीम डिजिटल। एक्टर मनोज बायपेयी इतने उम्दा कलाकार हैं कि वो जिस प्रोजैक्ट से जुड़ जाते हैं उसे हिट होने से कोई रोक नहीं सकता। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मनोज ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ लेकर आ रहे हैं। ये फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है, जिसमें मनोज वकील पी.के. सोलंकी का किरदार निभा रहे हैं। ये फिल्म एक कोर्ट रूम ड्रामा है, जो एक बहुत ही सेंसेटिव मुद्दे पर बनाई गई है। फिल्म एक 16 साल की बच्ची को इंसाफ दिलाने की कहानी है, जिसकी लड़ाई सिर्फ एक बंदे पी.के. सोलंकी (मनोज बाजपेयी) ने लड़ी है। ये फिल्म 23 मई को ओटीटी प्लेटफार्म जी5 पर रिलीज हो रही है। इससे पहले फिल्म के लीड एक्टर मनोज बाजपेयी, डायरेक्टर अपूर्व सिंह कर्की, प्रोड्यूसर विनोद भानूशाली ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

आपको इंडस्ट्री में 30 साल हो गए, इन 30 सालों में आप में क्या बदलाव आए हैं?
-हर आदमी बदलता है, हर आदमी अपने आपको संभालता है, सुधारता है, लेकिन अंदर से इंसान वही रहता है। अपने अंदर उसे जो कमी लगती है, उसे सही करता है। ऐसा मेरे साथ भी हुआ है। पहले मैं बहुत गुस्से वाला आदमी था, अब मैं सुधर गया। हंसते हुए कहते हैं अब मैं एकदम संत होने की कगार पर हूं।

आपने ये फिल्म क्यों चुनी? आप फिल्मों को लेकर कितने चूजी हैं?
-चूजी, तो मैं हूं...पहले भी था और अब भी हूं। ऐसा इसलिए है कि जो दिल को भाता है वो तो मैं करता ही हूं, अगर कुछ मेरे दिल को नहीं भा रहा और मैं उसे करूंगा, तो मैं अपना भी नुकसान करूंगा और सामने वाले का भी। तो जो चीज मुझे एक्साइट करती है मैं उसमें पूरे तरीके से डूब जाता हूं फिर वो फिल्म मेरी हो जाती है और मैं उस फिल्म के साथ पूरा न्याय करता हूं।
क्या कोई इस तरह की फिल्म या कहानी है जिसके साथ आप अपने आपको कभी एसोसिएट नहीं करना चाहेंगे?
-जो स्क्रिप्ट नहीं भाती है, मुझे एक्साइट नहीं करती है फिर मैं उसको नहीं करता हूं। इसके अलावा अगर कोई मुझे जैसे अपूर्व या विनोदी है स्क्रिप्ट पढ़ाने आए और पसंद नहीं, मुझे लगा फिल्म बनानी ही नहीं चाहिए तो मैं मना कर दूंगा और कारण भी बताऊंगा।

ये फिल्म गॉड वर्सेस मैन के ऊपर बनी है। तो क्या आपने कभी अपनी लाइफ में किसी गॉडमैन को फॉलो किया है?
-मेरा मानना है कि हम गुरु को नहीं चुनते बल्कि गुरु आपका चुनाव करते हैं। मेरे गुरु ने हमें खोजा, अनुशासन दिया और डायरैक्शन देते रहते हैं। हम उसको फॉलो करते रहते हैं। मैं उनको गॉडमैन तो बिल्कुल नहीं कहूंगा। वो आपको सही दिशा दिखा सकते हैं करना तुमको ही पड़ेगा।

क्या हम आपको रोमांटिक या कॉमेडी फिल्म करते हुए कभी देखेंगे?
-बिल्कुल, अगर स्क्रिप्ट अच्छी हो, धमाल हो तो क्यों नहीं करूंगा। इससे पहले मैंने फिल्म ‘सूरज पर मंगल भारी’ की थी और लोगों को बहुत पसंद आई थी। वो फिल्म 15 हफ्ते से ज्यादा समय तक थिएटर में रही थी।

हमारी रिसर्च बिल्कुल पक्की है : अपूर्व सिंह

आपकी फिल्म के ट्रेलर को न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिला। क्या आपने इस तरह का रिस्पॉन्स एक्सपेक्ट किया था?
-हमें ये पता था कि अच्छी फिल्म बनाई है। लेकिन उसके बाद कैसा रिस्पॉन्स होगा ये आप एक्सपेक्ट नहीं कर सकते हैं। एक साथ 200 लोग फिल्म देख रहे हों और एक सुर में बोले कि फिल्म अच्छी हैं, उसे हम कमाल का रिस्पॉन्स मानते हैं।
आपकी फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है। तो इसको डायरैक्ट करना आपके लिए कितना आसान, या कितना गठिन था।
-देखिए, मुश्किल तो होता है, क्योंकि आप एक सेंसिटिव टॉपिक पर कहानी कह रहे हैं पर उस मुश्किल को आप एक ही तरीके से हल कर सकते हैं, तो आप अपना रिसर्च स्ट्रॉन्ग कर सकते हैं। हमारी रिसर्च बिल्कुल पक्की है, जिसमें हमारी मदद पी.के. सोलंकी ने की।

फिल्म में क्रेडिबल एक्टर मनोज बाजपेयी हैं, लेकिन कई एक्टर्स ऐसे होते हैं जो डायरैक्टर के मुताबिक एक्टिंग नहीं करते तो उससे आप दोनों कैसे डील करते हैं?
-(मनोज) नहीं मैं डील नहीं करता हूं। मैं सीधा जाता हूं और शूटिंग रुकवा देता हूं। फिर एक्टर के साथ वेन में जाता हूं और बैठ कर उसके साथ रिहर्सल करता हूं और समझाता हूं कि ऐसा करना है। एक्टर समझ जाते हैं। (अपूर्व) वो एक्टर समझ जाते हैं जिनमें अहंकार नहीं है, जो एक अच्छी फिल्म के लिए काम कर रहे हैं। एंड गोल के लिए जो काम कर रहा है वो बिल्कुल समझेगा।

अच्छी फिल्म को सेल करना मुश्किल नहीं: विनोद

फिल्म को ओटीटी और थिएटर में रिलीज करने में कितना फर्क है। क्या आज के टाइम में फिल्म को सेल करना मुश्किल हो गया है?
-अच्छी फिल्म को सेल करना मुश्किल नहीं है। अच्छी फिल्म के लिए बाययर्स आपको थिएटर ओटीटी दोनों पर ही मिल जाते हैं। ये फिल्म जब खड़ी की गई। जब इसमें मनोज बाजपेयी जी किरदार निभा रहे हैं, ये कहानी है तो हमारे पास सिलैक्ट करने के लिए बायर्स थे। जी5 में मनोज की पहले भी कई फिल्म और सीरीज थी, जिन्हें काफी पसंद किया गया। जी5 की रीच भी काफी बड़ी है। जी काफी पुराना है, इसलिए ये सही लगा। ओटीटी पर एक और फायदा है कि आप किसी भी टाइम अपने हिसाब से कंटैंट को देख सकते हैं।

Jyotsna Rawat

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