Interview: कभी-कभी डिजिटल डिस्कनेक्ट होना ही असली कनेक्शन लाता है- मोना सिंह
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 12:22 PM (IST)
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अजय भूयान के निर्देशन में बनी वेब सीरीज़ ‘थोड़े दूर, थोड़े पास’ आज यानी 7 नवंबर को जी5 पर स्ट्रीम हो चुकी है। इस सीरीज़ में दिग्गज अभिनेता पंकज कपूर और प्रतिभाशाली मोना सिंह मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। इनके साथ कुणाल रॉय कपूर, आयशा कडुसकर और सरताज कक्कड़ भी अहम किरदार निभा रहे हैं। यह कहानी आधुनिक दौर की उस सच्चाई को बयां करती है, जहां इंसान एक ही घर में रहकर भी एक-दूसरे से दूर होता जा रहा है। डिजिटल युग में रिश्तों के बदलते मायनों को दिखाती यह सीरीज दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है। सीरीज के बारे में कुणाल रॉय कपूर और मोना सिंह ने सीरीज के बारे में पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
मोना सिंह
सवाल: यह एक बेहद दिलचस्प कॉन्सेप्ट है। दर्शक इस सीरीज़ से क्या उम्मीद कर सकते हैं?
थोड़े दूर, थोड़े पास पूरी तरह से नॉस्टैल्जिया से भरी हुई कहानी है। यह सीरीज इंसानों के बीच खोए हुए रिश्तों और जुड़ाव को दोबारा जोड़ने की कोशिश करती है। आज के दौर में हमारे तार अब दिलों से नहीं, बल्कि वाई-फाई से जुड़े हैं। इसी सोच पर आधारित है शो का मूल विचार -डिजिटल डिटॉक्स। थोड़ी देर के लिए फोन साइड रखिए अपने अपनों को देखिए, उनसे बात कीजिए। कभी-कभी बस रुककर सोचना जरूरी होता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं, क्योंकि जो लोग आपसे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, वो स्क्रीन पर नहीं, आपके सामने मौजूद हैं। यही इस शो की असली ताकत है।
सवाल: आपका एक डायलॉग है हाउ विल वी लिव विदआउट टेक्नोलॉजी? क्या आज की ऑडियंस खुद से भी यही सवाल पूछेगी?
हां, बिल्कुल शायद सब सोचेंगे कि क्या हम टेक्नोलॉजी के बिना रह सकते हैं? लेकिन शो के अंत तक उन्हें समझ आएगा कि पहले भी लोग बिना मोबाइल के रहते थे और ज़्यादा खुश रहते थे। अब खुशी लोग मोबाइल पर ढूंढते हैं, यही असली परेशानी है।
सवाल: सीरीज में आपके किरदार के बारे में बताइए?
सिमी एक मिडिल क्लास फैमिली की महिला है जो अपने घर और करियर दोनों को संभालती है। वो डिजाइनर है लेकिन डिजिटल टूल्स पर बहुत डिपेंड करती है स्केच बनाना तक भूल चुकी है। जब फैमिली डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज लेती है तो सबसे पहले वही झटका खाती है। बिना टेक्नोलॉजी के सबको चलाना, बच्चों की चिंता करना, पति को संभालना —
वो एक रोलर-कोस्टर राइड है जिसमें इमोशन, ड्रामा और प्यार सब है।
कुणाल रॉय कपूर
सवाल: आपका किरदार कैसा है? और उस पर डिजिटल फास्टिंग का क्या असर होता है?
मेरा किरदार एक एस्ट्रोलॉजर और न्यूमेरोलॉजिस्ट है।उसकी ज़िंदगी पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर है उसके चार्ट्स, मीटिंग्स, सब कुछ कंप्यूटराइज्ड है। लेकिन उसी टेक्नोलॉजी की वजह से वो अपनी फैमिली से दूर हो गया है। बच्चों और पत्नी से कनेक्शन टूट गया है। कहानी में वो सीखता है कि कभी-कभी डिस्कनेक्ट होना ही असली कनेक्शन लाता है।
सवाल: रियल लाइफ में आप डिजिटल डिटॉक्स फॉलो करते हैं?
सच कहूं तो नहीं, मैं दिन में 3–4 घंटे फोन पर रहता हूं इंस्टाग्राम, यूट्यूब, सब कुछ। लेकिन अब गिल्ट फील होता है। यह शो मुझे खुद सोचने पर मजबूर करता है कि सीमाएं तय करना जरूरी है। एक हद तक कनेक्ट रहना ठीक है, लेकिन अगर फोन आपकी ज़िंदगी कंट्रोल करने लगे तो वहीं रुकना चाहिए।
सवाल: अगर एक वाक्य में आप अपनी सीरीज थोड़े दूर, थोड़े पास का टेकअवे देना चाहें तो क्या होगा?
मोना सिंह
अपने गैजेट्स से डिस्कनेक्ट कीजिए ताकि अपने परिवार से कनेक्ट हो सकें।
कुणाल
मैं बस यही जोड़ूंगा यह शो दर्शकों को एक पॉज़ लेने और खुद से पूछने पर मजबूर करेगा कि हम क्या कर रहे हैं और यह हमारे अपने लोगों को कैसे प्रभावित कर रहा है। सच्चा कनेक्शन पाने के लिए कभी-कभी डिस्कनेक्ट होना जरूरी है।
