INTERVIEW: बारीकियों से भरी ‘किलर सूप’ जो आपको आखिर तक बांधे रखेगी

Thursday, Jan 25, 2024 - 02:10 PM (IST)

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार मनोज बाजपेयी अब ओटीटी किंग भी बन चुके हैं। वेब सीरीज 'किलर सूप' में इस बार मनोज बाजपेयी डबल धमाल करते हुए नजर आए। ब्लैक कॉमेडी मर्डर मिस्ट्री किलर सूप' बारीकियों से भरी और कई परतों से बनी थ्रिलर है, जो आपको आखिर तक बांधे रखती है। सीरीज को मनोज बाजपेयी और कोंकणा सेन शर्मा के सपने के ऊपर 'पाया' सूप से सजाया गया है। इनके अलावा सायाजी शिंदे भी अहम किरदार में हैं। सीरीज को अभिषेक चौबे ने डायरेक्ट किया है। मनोज बाजपेयी, कोंकणा सेन शर्मा, सयाजी शिंदे और डायरैक्टर अभिषेक चौबे ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:

मनोज बाजपेयी
Q.  डबल रोल के साथ-साथ एक आंख से किरदार निभाना कितना मुश्किल रहा।

- इस सीरीज में पहली बार मैंने डबल रोल का किरदार निभाया है और किरदार की डिमांड ही एक आंख की थी तो मुझे वह करना ही था। उस लुक और आंख को तैयार करने में अढ़ाई घंटे लगते थे और मुझे अढ़ाई घंटे तक उस लुक में आने के लिए तैयार होना होता था। अच्छा लगना हर एक्टर को भाता है लेकिन खराब लुक में दिखना थोड़ा अलग होता है। लेकिन जब मैं खुद को शीशे में देखता था तो मुझे कोई परेशानी नहीं होती थी। क्योंकि जो किरदार के लिए जरूरी है हमें उस रूप में ढलना होता है।

Q. एक साथ उमेश और प्रभाकर को रोल करना कैसे मैनेज किया आपने?

-एक समय पर उमेश और प्रभाकर को रोल करना मेरे लिए आसान नहीं था। क्योंकि दोनों ही किरदार काफी अलग थे। पहले में प्रभाकर का रोल करता था फिर उसके बाद उमेश बनता था। ऐसे में मैं कुछ भी कर रहा होता था लेकिन मेरे दिमाग में वही कैरेक्टर ही चलते रहते थे दिमाग खाली नहीं रहता था कभी। अलग-अलग किरदार कि इसी पिच में बने रहना, सैट पर जाना, रिहर्सल, फिर वैन में दूसरे किरदार के लिए जाना और कई बार आप डाऊट्स, अशोरिटी से घिरे होते हैं। तो यह सब थोड़ा चुनौतीपूर्ण था। लेकिन सच कहूं तो मैंने इस समय को काफी इंजॉय किया।

अभिषेक चौबे

Q.  किलर सूप के लिए आपने लिए इतनी परफेक्ट कास्टिंग कैसे की?

- मेरे जो प्रोड्यूसर साहब हैं वहीं कास्टिंग डायरेक्टर भी हैं तो जब हमने इसके लिए लिखना शुरू किया था तब से ही मेरे दिमाग था कि मनोज बाजपेयी और कोंकणा सेन को ही इस प्रोजैक्ट के लिए अप्रोच करना है। जिसके बाद मैंने दोनों से बात की और दोनों इसके लिए मान भी गए। फिर सयाजी को इसके लिए कास्ट किया गया और कई सीन भी उन्होंने ही बताए कि कैसे करना है और इन सब से मिलकर इस सीरीज के लिए परफेक्ट कास्ट तैयार हुई।

Q.  आप अपने एक्टर्स को कितनी क्रिएटिव लिबर्टी देते हैं।

मेरी कोशिश रहती है कि मैं कलाकारों को उनका स्पेस दूं जो करना चाहते हैं उन्हें वो करने दूं। सभी इतने मंझे हुए कलाकार हैं सबने स्क्रिप्ट पढ़ी है। तो जो वो कर रहे हैं उसमें नुक्स नहीं निकाल सकते। हां अगर कोई उस फ्रेमवर्क से बाहर जा रहा है या उसे कोई परेशानी है तब हम हल निकालते हैं। बाकी बार-बार बीच में आना सही नहीं है। किरदार के अनुसार कलाकार खुद ही उसमें ढलने की पूरी कोशिश करता है।

कोंकणा सेन

Q. आप अपने किसी भी किरदार को किस आधार पर चुनती हैं।

- मेरे लिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास क्या आ रहा है और उसमें से बेस्ट क्या है। कई बार कई चीजें आप रिजेक्ट कर देते हैं कई किरदार एक जैसै होते हैं। पहले भी मेरे पास कई किरदार एक जैसे आए जो मैंने नहीं किए। फिर जब कुछ अलग, महिला आधारित या कोई ऐसा रोल जो काफी अलग हो ऑफर हुए जो मुझे पसंद आए और वो मैंने किए। मैं खुद को लक्की मानती हूं कि ऐसे अच्छे और अलग किरदार मुझे मिले और मैंने उन्हें निभाया।

सयाजी शिंदे

Q. अपने स्वभाव के उलट स्क्रीन पर इतनी नेगेटिव पर्सनैलिटी के किरदार कैसे निभा लेते हैं।

- एक एक्टर के लिए कोई बैड कैरेक्टर नहीं होता वह एक कहानी का पार्ट होता है। उसमें हम मिल कर एक सीन तैयार करते हैं और कोशिश करते हैं कि कैसे उसे अच्छा सीन बनाएं। जब भी कोई रोल मुझे ऑफर होता है तो मेरे दिमाग में अच्छा बुरा आता ही नहीं है बस मैं सोचता हूं कि जो रोल हैं उसमें अपना परफेक्ट दूं।
डायरेक्टर को जितनी उम्मीद हैं उससे थोड़ा ज्यादा अच्छा उस किरदार को निभाने की मेरी कोशिश रहती है।

Jyotsna Rawat

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