Exclusive Interview: पहले सिर्फ इंट्रोडक्शन था, ''द कश्मीर फाइल्स अनरिपोर्टेड'' है असली कुंडली

Monday, Aug 14, 2023 - 03:57 PM (IST)

नई दिल्ली। साल 2022 में रिलीज हुई फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने कश्मीरी पंडितों के दर्द, पीड़ा और नरसंहार को जिस तरह पर्दे पर पेश किया, उसने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए। इसी विषय के साथ विवेक रंजन अग्निहोत्री एक बार फिर से वापस आ रहे हैं। 'द कश्मीर फाइल्स अनरिपोर्टेड' एक डॉक्यू सीरीज है, जो कश्मीर के इतिहास और 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई दर्दनाक घटनाओं को परत-दर-परत आपके सामने लाएगी। यह डॉक्यू सीरीज 11 अगस्त 2023 से जी 5 पर स्ट्रीम कर रही है। इस बारे में विवेक रंजन अग्निहोत्री ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।     
कश्मीर फाइल्स में क्या रह गया था, जो इस डॉक्यू सीरीज में दिखाया जाएगा? 

जवाब- इसका जवाब मैं दो तरह से दे सकता हूं। एक हमारे यहां जब शादियां होती हैं तो लड़के और लड़की की तस्वीर भेजते हैं और उसके बारे में थोड़ी-सी जानकारी देते हैं कि कौन है, क्या काम करता है? एक तरह का ब्रीफ इंट्रोडक्शन होता है। जब वो लड़का या लड़की पसंद आ जाए, तो कुंडली मिलाते हैं तो यही समझ लीजिए कि 'द कश्मीर फाइल्स' सिर्फ इंट्रोडक्शन था और यह सीरीज उसकी असली कुंडली है। यह पूरी तरह से कश्मीर में होने वाले हिंदुओं के नरसंहार के बारे में बताएगी। यह कश्मीरी पंडितों की कहानी है, जिन्हें अपने देश से विस्थापित होना पड़ा।  इसमें इतिहासकारों, विशेषज्ञों, वास्तविक पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ की गई बातचीत भी शामिल है।

क्या आप इसे 'कश्मीर फाइल्स' से पहले बनाना चाहते थे? 

जवाब- जी हां, हमारा पहला प्रोजेक्ट तो यही डॉक्यू सीरीज थी, कश्मीर फाइल्स तो बस बन गई। उस समय हमने सोचा कि चलो इसकी फिल्म ही बना लेते हैं। मैंने चार-पांच साल पहले ट्विटर पर टाइटल्स भी मांगे थे तो इस सीरीज का टाइटल डिंपल कौल ने दिया था जो एक रिसर्चर हैं। पहले हमने ये नाम फिल्म के लिए सोचा था लेकिन उस समय मैंने इसे डॉक्यू सीरीज के लिए बचा लिया था।   

इस डॉक्यू सीरीज को कैसे लोग न देखें, इसके लिए आप कोई डिस्क्लेमर देना चाहेंगे? 

जवाब- मैं चाहूंगा कि इसे धूर्त किस्म के लोग न देखें, जो पैदाइशी धूर्त हैं और एक एजैंडे के तहत काम कर रहे हैं। जिसके पास दिल है, धड़कन है, सांस है, भावनाएं हैं, जो देश की संस्कृति, इतिहास और इंसानियत से मोहब्बत करता है, उस हर व्यक्ति को यह जरूरी देखनी चाहिए। अगर आप कमजोर दिल हैं, तब भी आपको ये जरूर देखनी चाहिए क्योंकि जब आप ऐसी चीजें देखेंगे तभी आपका दिल मजबूत होगा।  

ओ.टी.टी. पर कुछ लोग मसालेदार और फिक्शन पर आधारित कंटेंट देखना चाहते हैं, क्या वह लोग इसे पसंद करेंगे?  

जवाब- ये बॉलीवुड टाइप की सोच है। पहले सोचते थे कि ऑडियंस मूर्ख और सिलेक्टिव है लेकिन कश्मीर फाइल्स ने इसे गलत साबित कर दिया। 'कश्मीर फाइल्स अनरिपोर्टेड' भी इस बात को गलत साबित करेगी। नंबर एक ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर सबसे पॉपुलर हैं वो या तो डॉक्यूमेंट्रीज हैं या डॉक्यू सीरीज हैं।   

आपकी फिल्म से कश्मीर में कोई बदलाव आया है? 

जवाब- हमारी फिल्म से कश्मीर में एक बदलाव तो आया है वो ये कि वहां 1990 के बाद जो बच्चे पैदा हुए, उन्हें ये पता ही नहीं था कि यहां कभी पंडित रहते थे। ये फिल्म देखकर उन्हें ये तो समझ आया कि हमसे भी कोई झूठ कहा गया है। उन्होंने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। वहीं, पहले जब मैं कश्मीर जाता था तो वहां मुझे कोई पहचानता नहीं था। अब वहां लोग मुझे जानते हैं और मेरे फैंस भी हैं।  

ऐसे कई लोग हैं जो कहते हैं कि आप एकतरफा कहानी बयां कर रहे हैं, क्या इस सीरीज के साथ भी ऐसा देखने को मिलेगा? 

जवाब- यह सीरीज पूरी तरह से एकतरफा है। दुनिया में किसी कहानीकार की ये जिम्मेदारी नहीं है कि वो दोतरफा कहानी सुनाए। अगर आप एक अमीर और गरीब आदमी की कहानी सुना रहे हैं, जिसमें आपका हीरो गरीब है तो आप गरीब का ही तो दर्द सुनाएंगे। मैंने इसमें सिर्फ कश्मीरी पंडितों की कहानी को लिया है। उस समय जो पुलिस और आर्मी के लोग शहीद हुए, इसमें उनका दर्द नहीं है। मेरा जम्मू कश्मीर पुलिस पर फिल्म बनाने का भी मन है। उनके जैसा त्याग और बलिदान किसी ने देखा ही नहीं होगा। रही दो पक्ष की बात तो मैं उस व्यक्ति का जिंदगीभर गुलाम बन जाऊंगा, जो दो पक्ष की कहानी बता सके।    

इसके बाद आप और कौन-कौन सी कहानियों पर फिल्म बनाना चाहेंगे?  

जवाब- अभी तो 'वैक्सीन वॉर' ही कर रहा हूं। इसके बाद 'दिल्ली फाइल्स' आ रही है, जो विभाजन की सच्चाई को सामने लाएगी।  फिर मैं एक ऐतिहासिक विषय पर भी काम कर रहा हूं। कई लोग पूछेंगे कि महाभारत। तो हो सकता है कि मैं महाभारत पर भी फिल्म बनाऊं।

Jyotsna Rawat

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