''किसी भी एक्टर के लिए एक बोनस पॉइंट है जब वो किसी रियल हीरो को पोट्रे कर रहा हो स्क्रीन पर'' - Emraan Hashmi

punjabkesari.in Friday, Apr 25, 2025 - 09:41 AM (IST)

मुंबई। पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पुरे देश को हिला दिया लेकिन ये पहली बार नहीं है जब आतंकियों ने भारतियों को निशाना बनाया हो , पहले भी कई बार ऐसा हुआ और हर बार भारत ने भी दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया।  वहीँ आतंकी हमले और आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना के स्पेशल ऑपरेशन पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं, और अब इस लिस्ट में नाम एक्टर इमरान हाशमी का भी आ गया है जिनकी फिल्म 'ग्राउंड जीरो' प्राइम वीडियो पर 25 अप्रैल को रिलीज़ हो चुकी है जो आतंकी गतिविधियों के मास्टरमाइंड गाजी बाबा के अंत के लिए बीएसएफ द्वारा चलाए गए स्पेशल ऑपरेशन की सच्ची घटना पर आधारित है। 

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इसी के चलते इमरान हाश्मी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। आपको बता दे कि ये इंटरव्यू पहलगाम हमले से पहले की गई थी।  पेश हैं मुख्य अंश:

1 - क्या वजह थी जो आपने 'ग्राउंड जीरो' को हां कहा ?

ये सच्ची कहानी है।  हमारे बीएसएफ अफसरों ने इस ऑपरेशन की जो प्लानिंग की 2001 में , ये बहुत ही ख़ास ऑपरेशन था जो हमारी हिस्ट्री का एक बहुत ही महत्वपूर्ण इवेंट रहा है जिसने एक तरफ से हमारे इतिहास को बदल दिया।  2003 में एनकाउंटर हुआ था गाजी बाबा का।  फिर किस तरह से एक पॉजिटिव प्रभाव पड़ा था हमारी सोसाइटी पर , उसके बारे में है ये पूरी फिल्म।  ये किसी भी एक्टर के लिए एक बोनस पॉइंट है जब वो किसी रियल हीरो को पोट्रे कर रहा हो स्क्रीन पर।  तो जब मुझे मौका मिला तो मैंने 'हां' कह दिया। 

2 - ये किरदार आपकी बाकी फिल्मों से बिलकुल अलग है।  तो आपने इसकी तैयारी कैसे की ?

फिजिकल तैयारी बहुत जरूरी थी इसके लिए।  एक शरीर बनाना था , वेट ट्रेनिंग और डाइट पर बहुत ध्यान दिया गया।  एक बहुत ही अनुशासनिक लाइफ होती है जो एक अफसर की वो हमें बीएसएफ कैंप पर जाकर मिली जब हम गए वहां पर शूटिंग से पहले। उनकी ट्रेनिंग क्या होती है , किस तरह से अपने गन्स को हैंडल करते हैं , रीलोडिंग , फायरिंग , उनके ऑपरेशन में उनकी किस तरह की प्लानिंग रहती है , वो सब जाना हमने वो बहुत जरूरी था और एक लुक होती है एक अफसर की , उनकी अनुशासनिक बॉडी लैंग्वेज होती है , उनको स्क्रीन पर लेकर आना , उनको जो इमोशनल माइंड सेट होता है स्पैशली कश्मीर में उस वक्त 2001 से 2003 के बीच जब जैश-ए-मोहम्मद ने एक तरह से वहां दहशत फैला रखी थी इन तीन सालों में और गाजी बाबा एक सर्टिफाइड अपराधी था जिसे हमारी टॉप ऑफिशियल सिक्योरिटी एजेंसीज पकड़ना चाहती थी।  70 जवानों की हत्या हो गई थी गाजी बाबा की वजह से , तो बहुत ही एक हाई रिस्क प्रोफैशन अब भी है ये।  तो किस तरह से बारीकी और ईमानदारी से इसे पेश करना है वो बहुत जरूरी था और उसी की पूरी तरह से तैयारी की। 

3 - एक्सेल एंटरटेनमेंट और डायरेक्टर तेजस के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा ?

बहुत शानदार , क्यूंकिमैं उनकी फिल्मों का बहुत बड़ा फैन रहा हूँ।  और जब मुझे इनका फ़ोन आया तो मैं पहले ही समझ गया था कि इनका ये एक बहुत ही स्पेशल प्रोडक्ट होगा।  एक्सेल एंटरटेनमेंट सब कुछ बहुत अच्छे से हैंडल करता है जिससे एक्टर स्ट्रेस फ्री रहते हैं जिससे वो अपने काम पर ध्यान दे सकते हैं।  और इसमें एक अच्छे डायरेक्टर भी थे तेजस , हमारी विज़न बहुत मैच करती थी।  वो इसमें जो टोनेलटी लेकर आना चाहते थे मैं भी उसको वैसे ही देखता था।  कैरेक्टर को फॉर्म देने में तेजस ने बहुत मदद की मेरी।  तो मुझे लगता है कि वो मेरे लिए एक बोनस था कि टीम अच्छी थी।  रिसर्च में भी मेरी तेजस ने बहुत हेल्प की।  

4 - शूटिंग एक्सपीरियंस कैसा रहा आपका अपने को-एक्टर्स के साथ ?

इस फिल्म की पूरी टीम ने बहुत अच्छा काम किया है।  ऑथेंटिसिटी देखने को मिलेगी। इसमें कोई भी वो फ़िल्मी बातें नहीं हैं कोर से कही गई बातें ही हैं।  हां ड्रामाटिक और एंटरटेनमेंट है इस फिल्म में लेकिन एक्टर की और करैक्टर की परफॉरमेंस से इसकी एक ऑथेन्टिसिटी आती है।  क्यूंकि हम बीएसएफ को एक तरह से शो केस कर रहे हैं जो एक्टर्स की परफॉरमेंस से ही सच लगेगा। 

5 - कहां ये फिल्म शूट हुई ? लोकेशन और वहां के लोगों का क्या कॉंट्रिब्यूशन रहा इसमें ?

श्रीनगर में ही ये पूरी फिल्म शूट हुई।  हमने ऐसी ऐसी जगहों पर शूटिंग की जिसके बारे में शायद टूरिस्ट्स को भी नहीं पता होगा कि ये जगह भी हैं श्रीनगर में।  जिस तरह की फिल्म में लुक आई है शायद वो लुक श्रीनगर की आपने कभी किसी फिल्म में भी नहीं देखि होगी।  बहुत ही खूबसूरत जहाज हैं जहाँ में दोबारा जरूर जाना चाहूंगा।  बहुत ही सेफ जगह है ये।  पहले से एक माइंड सेट था कि सेफ नहीं है मगर वो बहुत अच्छी जगह है।  

6 - अगर आप एक्टर ना हो तो आप आर्मी ज्वाइन करना चाहेंगे ?

ये बहुत ही टफ जॉब है मुझे लगता है कि ये फिल्म करने के बाद मैं एक्टर ही ठीक हूँ।  मैं आर्मी अफसर का रोल जरूर प्ले करना चाहूंगा लेकिन ये भी सच है कि आर्मी अफसर की लाइफ बहुत मुश्किल होती है।  

7 - फिल्म इंडस्ट्री की कोई ऐसी याद जो अभी तक आपके ज़हन में है ?

जब एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर मैंने एक डेढ़ साल तक इंडस्ट्री में काम किया , तब मैं 19 साल का था।  तब मेरे दिमाग में इंडस्ट्री को लेकर ग्लैमर और ग्लिटर वाली बात थी , लेकिन जब मैंने काम किया तब मुझे पता चला कि इतना ग्लैमर है नहीं जब आप फिल्म बना रहे होते हैं।  बहुत मेहनत लगती है।  वो एक माइंड सेट बदल गया मेरा जो एक बहुत अच्छी बात है और फिर उसके बाद मैं एक्टर बन गया।  

8 - एक ऐसा मैसेज जो ऑडियंस लेकर जाएगी ग्राउंड जीरो को देखने के बाद ?

यही कि ये हमारे बीएसएफ के जवानों का सबसे महत्वपूर्ण ऑपरेशन और हमारे बीएसएफ के जवानों और ऑफिसर्स को एक ट्रिब्यूट है।  

9 - ग्राउंड जीरो ने आपको पर्सनली क्या सिखाया ?

एक जवान का जो बलिदान होता है वो हमको लगता है कि हम जानते हैं इसके बारे में लेकिन जब मैं बीएसएफ कैम्प में गया उनके साथ हमारा उठना बैठना रहा एक महीने तक तब जाकर समझ आया कि वो सेक्रिफाइज किस तरह का होता है।  वो आपको किताबों या न्यूज़ चैनल देखने से कभी पता नहीं चलता है।  जब हम उनको करीब से देखते हैं तब जाकर पता चलता है कि ये जो हम चैन की नींद सोते हैं वो इनकी बदौलत है।  ये जो इतनी अच्छे से अपनी नौकरी करते हैं सब कुछ इनकी वजह से है।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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