सीखने की ललक, काम से बेइंतहा प्यार और जिद्दीपन ने पहुंचाया इस मुकाम पर : मनोज बाजपेयी

punjabkesari.in Tuesday, Jun 04, 2024 - 01:12 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मनोज बाजपेयी की अपकमिंग फिल्म 'भैया जी' के ट्रेलर को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। ट्रेलर में उन्हें रॉबिनहुड का भी बाप बताया गया है और देसी सुपरस्टार की उपाधि भी दी गई है। ऐसे में उनके फैंस इस फिल्म के लिए काफी एक्साइटेड हो गए हैं। 24 मई को रिलीज हो चुकी इस फिल्म में मनोज दबंग होने के साथ-साथ काफी खतरनाक और बिंदास लग रहे हैं। साउथ फिल्म के टच के साथ इस फिल्म में धमाकेदार एक्शन और भरपूर रोमांच नजर आ रहा है। 'भैया जी' के बारे में मनोज बाजपेयी ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...  

 

Q. 30 साल के करियर में ये आपकी 100वीं फिल्म है, तो कैसी फीलिंग आ रही है? 
-जाहिर सी बात है कि अच्छा लग रहा है कि इतने साल मैंने ऐसी इंडस्ट्री में गुजारे जो काफी मुश्किल इंडस्ट्री है। सपना तो यही था कि एक्टर बनकर अपने जीवन को चलाना है। कभी स्टारडम जैसी चीजों के बारे में सोचा नहीं, इसीलिए थिएटर भी मैंने किया नहीं। लेकिन मुबंई शहर में पहुंचा था तो ऐसा लगा था कि यार यहां 10 दिन भी कर लूं तो बहुत ज्यादा होगा और आज इतने साल हो गए। 
बीच में कई बार चीजें बहुत कठिन लगीं और ऐसा लगा कि सब कुछ यहीं पर खत्म होने वाला है। फिर भी 30 साल हो गए तो ये अपने आप में ही एक अचंभा है। मैं हमेशा कहता हूं कि मेरी यात्रा किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि छोटे गांव से निकला एक किसान का बेटा जिसने कभी बड़ा शहर नहीं देखा था और अचानक आप 18 साल की उम्र में दिल्ली आ जाते हो। ऐसे समय में जब यातायात वगैरह ज्यादा फैला हुआ नहीं था और सड़कें भी कुछ कमाल नहीं थीं। 

 

Q. फिर होर्डिंग देखकर ऐसे बोलना कि कुछ साल बाद मेरा भी पोस्टर यहां होगा?  
-जब आप छोटे होते हो, तो आपके अंदर अथाह एनर्जी होती है और बहुत ज्यादा साहस होता है क्योंकि आपके पास उम्र होती है लेकिन जब मैंने काम करना शुरू किया दिल्ली में तब लगा कि कितनी चीजें सीखनी हैं। मैंने अपने मन में सोच तो लिया था कि होर्डिंग पर मेरा फोटो होगा। लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए आपको नाकों चने चबाने पड़ेंगे क्योंकि आपको अपनी अंग्रेजी और उर्दू ठीक करनी है। आपको नाटक करने हैं और अभिनय सीखना है। जो अभिनय आप सोच रहे थे वही अभिनय नहीं है, अभिनय एक अथाह समंदर है। लेकिन हां एक चीज है कि जब मैं काम सीखने में लगा तो मुझे 10 साल लगे और आज इतने साल के बाद मैं ये कह सकता हूं कि हर फिल्म के साथ मेरी चुनौतियां कम नहीं हुईं वो बढ़ती ही जा रही हैं। 

 

Q. इसके लिए आप किन तीन चीजों को श्रेय देना चाहेंगे? 
-पहली सीखने की ललक हमेशा रखिए। मुझमें अभी भी है। दूसरा अपने काम से बेइंतहा प्यार। इतना ज्यादा प्यार कि मुझे लगता नहीं कि इससे ज्यादा प्यार मैंने किसी व्यक्ति या किसी चीज से किया है। मेहनत करने की अथाह ऊर्जा और जिद्दी आदमी। अगर मुझे कोई चीज चाहिए, तो मैं उसे पाने के लिए 15 साल भी कोशिश करता रहूंगा। 

 

Q. 'भैया जी' के ट्रेलर की बात करें तो उसमें आपके लिए 'देसी सुपरस्टार' लिखा गया है। इसके पीछे की क्या कहानी है? 
-अपूर्व सिंह कार्की जो निर्देशक हैं, उन्होंने मेरे साथ 'सिर्फ एक बंदा काफी है' की थी। उनका सपना रहा है बचपन से एक दिन उस तरह की फिल्म बनाऊंगा जिसमें स्लो इमोशन होगा। हीरो को लार्जर देन लाइफ दिखाऊंगा। मेरे पास एक कहानी थी तो मैंने उन्हें ऐसे ही सुनाई। ये कहानी बहुत साल से मेरे दिमाग में थी। उन्होंने कहानी सुनी तो वो मेरे पीछे पड़ गए कि मैं बहुत दिनों से तमिल-तेलुगू जैसी एक फिल्म बनाना चाहता हूं और यही वो कहानी है। तो मैंने कहा ले लो। फिर वो बोलते हैं कि आपको ही करना होगा। मैंने उनसे कहा कि मैं नहीं कर पाऊंगा। लेकिन वो पीछे पड़ गए कि नहीं आपने ही करना है। 

 

Q. आपको ऐसा क्यों लग रहा था कि ये फिल्म आप नहीं कर पाएंगे? 
-इस तरह के एक्शन के लिए खास तैयारी करनी होती है। मैं उस तरह से कभी ट्रेन्ड नहीं रहा। तो उन्होंने कहा कि आप चिंता मत करो, मैं सब देख लूंगा। उसके बाद वो एस. विजयन को ले आए। वह हिंदुस्तान के सबसे टफ एक्शन डायरैक्टर माने जाते हैं। जब वह आए तो उन्होंने मेरी ऐसी रगड़ाई की कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था। फिल्म बन गई तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं लिखूंगा देसी सुपरस्टार। मैंने कहा कहां आप ये लिख रहे हो। फिर उन्होंने कहा कि नहीं सर मैं तमिल-तेलुगू की तरह चीजों को इस्तेमाल करूंगा। मेरी बचपन की तमन्ना है। ट्रेलर लॉन्च के समय उन्होंने पहले मुझे रफ वीडियो भेजी। जब कुछ घंटे बचे पोस्ट करने में तो उन्होंने मुझे फाइनल भेजा। 

 

Q. 'एक बंदा काफी है' की सफलता के बाद फिर उसी टीम के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? 
-वो तो मेरे लकी चार्म हो गए ना। लेकिन जब दूसरी फिल्म पर काम शुरू हो गया तो हमारे पास प्रोड्यूसर के तौर पर ओसवाल जी थे। मेरी कंपनी भी थी जो पूरा सैटअप कर रही थी। फिर मेरी विनोद जी से बात हुई। मैंने कहा कि आप भी आ जाओ और कुछ संभाल लो। तो एक परिवार की तरह हम एक-दूसरे की कमजोरी और हिम्मत को समझते हैं।

 

Q. इतने वर्षों में आपने हर तरह के किरदार निभाए हैं। अब आगे क्या बाकी है?  
-कुछ नई कहानियां। जैसा कि मैंने आपसे कहा कि अभिनय मेरा पेशा नहीं है, मेरा प्यार है। मैं हर वो कहानी करना चाहता हूं जिसमें कुछ नया हो। मुझे किसी ने कहा कि आपने 5-6 पुलिस वाले किरदार कर लिए। मैंने कहा कि 10 और कर लूंगा क्योंकि मैं पुलिस नहीं किरदार निभाता हूं। तो ऐसे किरदार भरे पड़े हैं, हमारी दुनिया में। एक मनोज बाजपेयी क्या हजार आ जाएं, किरदार हमेशा ज्यादा रहेंगे, अ​भिनेता कम होंगे। हम 'फैमिली मैन सीजन 3' की शूटिंग कर रहे थे, तो राज एंड डीके जो थे वो बोले कि मनोज तुम नर्वस हो रहे हो। मैंने कहा कि हां दो-तीन साल बाद कर रहे हैं, तो नर्वस हो रहा हूं। तो वो बोले कि नहीं तुम नर्वस हो नहीं दिखा रहे हो। तीन दिन बाद उनको एहसास हुआ कि मैं दिखा नहीं रहा था, सच में नर्वस था। मैं बाकियों से ज्यादा नर्वस होता हूं।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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