ऐसा कन्टैंट नहीं देना चाहता, जिससे किसी के सामने शर्मिंदा होना पड़े : हर्षवर्धन राणे

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 05:15 PM (IST)

नई दिल्ली।  कॉलेज, दोस्ती और प्यार को लेकर बॉलीवुड में काफी फिल्में बन चुकीं हैं। जिन्हें दर्शकों ने खूब प्यार भी दिया है, एक बार फिर निर्देशक बिजॉय नांबियार एक कॉलेज कहानी लेकर आए हैं। यह फिल्म कॉलेज लाइफ की कहानी दिखाती है। कभी बचपन के दोस्त रहे दो युवा जब एक ही कॉलेज में मिलते हैं, तब शुरू होती है खूनी लड़ाई। फिल्म 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को लेकर डायरेक्टर बिजॉय नांबियार, हर्षवर्धन राणे, ईहान भट्ट और निकिता दत्ता ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

 

बिजॉय नांबियार

Q. फिल्म को तमिल और हिंदी दो भाषाओं में बनाना है, यह आपने पहले से ही सोचा था?
यह एक कॉलेज फिल्म है और इसका विषय वैश्विक है, यह किसी एक क्षेत्र विशेष के लिए नहीं हैं। सभी कॉलेज के स्टूडेंट्स इससे रिलेट करते हैं। इस फिल्म के जरिए हमारे पास एक ऐसा मौका था कि इस कहानी को इस विषय को हम ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचा सके, तो तमिल और हिंदी में यह फिल्म बनाई है, ताकि दोनों भाषाओं के दर्शकों तक फिल्म पहुंचे। यही वजह रही कि फिल्म को दो अलग-अलग भाषाओं में बनाया और इसके साथ मैं अपने एक्सपैरीमैंट्स भी करना चाहता था।  

 

Q. हिंदी पार्ट के लिए हर्षवर्धन और ईहान को कैसे चुना?
हर्षवर्धन तो इस कहानी का शुरू से ही हिस्सा रहा है, हमने जब इस फिल्म को बनाने का तय किया तो हमारी बात उस समय हर्षवर्धन से हो रही थी और हर्ष ने मुझसे पूछा मैं कॉलेज स्टूडेंट लगूंगा न, मैंने कहा बिल्कुल। ईहान की कास्टिंग होने में थोड़ा समय लगा, जब तक कि हमें एक परफेक्ट एंग्री यंग नहीं मिला। ईहान में मुझे वह लगा जैसे मैं अपने किरदार से चाहता था।


 
Q. आपका एक अलग विजन और एंगल होता है तो किसी प्रोजेक्ट पर काम करते समय क्या सोचते हैं।
फिल्म के लिए हर कहानी का अपना अलग रंग रूप होता है। मैं जब भी किसी प्रोजेक्ट पर काम करता हूं तो मेरे पास उसको लेकर काफी सारे विचार होते हैं, जिन्हें मैं बाकी लोगों के साथ शेयर करता हूं और मुझे उस पर फीडबैक भी मिलते हैं। जब मैं नरेट करता हूं तो मैं सोचता हूं कि हां यही फिल्म मैं बनाना चाहता हूं। जब सब कुछ लॉक हो जाता है तब फिर उसके लिए कास्टिंग, बजट और बाकी चीजों के बारे में सोचता हूं।


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हर्षवर्धन राणे


Q. आपको हमेशा अलग-अलग भूमिकाओं में देखा है, आप किरदार का चुनाव कैसे करते हैं?
एक एक्टर के तौर पर हम काफी कुछ सुनते हैं। जो लोग कह रहे हैं तो उसी कोशिश में अलग-अलग चीजें करने को मिली और इस बात को लेकर खुशी भी होती है कि वह दर्शकों को पसंद भी आई और बिजॉय सर के साथ दोबारा काम करके भी ऐसा नहीं हुआ कि मेरा किरदार एक जैसा लगा हो। यह बिजॉय सर का कमाल है।

 

Q. ‘सनम तेरी कसम’ जैसी हिट फिल्म करने के बाद भी आप चुनिंदा काम क्यों करते हैं?
‘सनम तेरी कसम’ के लिए मेरे पास कमेंट आते हैं, पार्ट 2 क्यों नहीं बनाई? ऐसा सुनकर लगता है लोग टिकट खरीद कर मेरी फिल्म देखना चाहते हैं। जहां तक चुनिंदा काम की बात है, तो मैं वही फिल्में करना चाहता हूं, जो लोगों को टच करें। सनम तेरी कसम में तो लोगों ने मुझे पसंद किया। मैं उम्मीद करता हूं कि दंगे में भी ऐसा ही हो। सच कहूं तो मैं वेब सीरीज इसलिए भी नहीं कर पाया, क्योंकि मैं हर फिल्म को परिवार के साथ बैठकर देखना चाहता हूं। मैं गाली-गलोच वाला ऐसा कन्टैंट नहीं देना चाहता, जिससे मुझे अपने पैरेंट्स या किसी और के सामने शर्मिंदा होना पड़े या आंखें चुरानी पड़े।

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निकिता दत्ता


Q. आपने 2012 में मिस इंडिया में भाग लिया था तो सोचा था आप एक्ट्रेस बनेंगी?
सच कहूं तो एक्ट्रेस बनने का तो कभी भी नहीं सोचा था, लेकिन मैं बचपन से ही डांस अच्छा करती थी। मैंने कभी प्लान नहीं किया था मिस इंडिया में जाने का, बस ऐसे कह सकते हैं कि रास्ते में आया और मैंने उसमें हिस्सा लिया। उस समय मैं कॉलेज में थी और मिस इंडिया से वापस आकर मैंने एग्जाम दिए, सोचा कहां प्लेसमेंट मिलेगी, लेकिन एक समय ऐसा लगा कि कैमरे के सामने में खुश रहती हूं, मुझे अच्छा लगता है तो बस अपने आप सब कुछ होता चला गया और आज यहां हूं। मैं खुद को लकी मानती हूं।

 

Q. प्यार और दोस्ती को लेकर आपकी क्या डेफिनेशन हैं?
प्यार को लेकर सभी के अपने अलग-अलग फंडे होते हैं और यही इसकी खूबसूरती है। मैं रिलाइज करती हूं कि प्यार एक ऐसी चीज है जो आप पूरे दिल से करते और निभाते हैं और फिर उससे कोई उम्मीद नहीं रखते। अगर आपको सच्चा प्यार मिल रहा है तो आप बहुत लक्की है। फैमिली, दोस्ती सभी के लिए मैं यही चीज मानती हूं।

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ईहान भट्ट


Q. जब आप कॉलेज में थे तो आप किस से इंस्पायर थे, तब आपने सोचा था आप एक्टर बनेंगे?
जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो मैं अपनी क्लास में अकेला लड़का था, जो सिंगर था उस समय पर 'सच कह रहा है दीवाना' मेरा बहुत पसंदीदा गाना हुआ करता था। मुझे सिंगिंग करना, ड्राइंग करना पसंद था। हमेशा से ही मैं आर्टिस्ट रहा हूं, तो मुझे एक्टर बनना है यह तो मुझे शुरू से ही पता था और जब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं तो मैंने घरवालों से बात की मुझे एक्टर बनना है, जिसके बाद मुझे काम के लिए मैसेज भी आते थे और फिर पहली फिल्म भी मिल गई।

 

 

Q. आप इस फिल्म का हिस्सा कैसे बने?
यह किरदार एक गुस्से वाले लड़के का है। बिजॉय सर ने मुझे ऑडिशन के लिए बुलाया था तो सर ने सिर्फ एक बात बोली मोर एंग्री। जब मैंने पहला टेक किया था तो वह मैंने अपने हिसाब से काफी गुस्से में ही किया था, लेकिन जब सर ने कहा मोर एंग्री तो फिर मैंने वैसा ही किया, जैसा सर चाहते थे और इस तरह मेरी कास्टिंग हुई।


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Content Editor

Varsha Yadav

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