पुलिस वाले भी इंसान ही होते हैं, यही दिखाता है दिल्ली क्राइम: शेफाली शाह
punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 04:55 PM (IST)
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नेटफ्लिक्स के चर्चित शो ‘दिल्ली क्राइम’ ने जब अपना पहला सीज़न रिलीज़ किया था तब उसने न सिर्फ दर्शकों को झकझोर दिया बल्कि टीवी कंटेंट की परिभाषा ही बदल दी। यह शो 13 नवंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुका है। इस शो की आत्मा मानी जाने वाली शेफाली शाह जिन्होंने डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी का किरदार निभाया अब तीसरे सीजन के साथ वापस लौट आई हैं। इस सीजन में शेफाली के साथ हुमा कुरैशी, सयानी गुप्ता, मीता वशिष्ठ, अंशुमान पुष्कर और केली दोरजी नजर आ रहे हैं। इसी के चलते शेफाली शाह ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार की संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
शेफाली शाह
सवाल: ‘दिल्ली क्राइम’ का सीज़न 3 आ रहा है तो आपने पहले सीज़न से अब तक की अपनी इस यात्रा में क्या बदलाव महसूस किया?
जवाब: बहुत बड़ा बदलाव है। जब हमने पहला सीज़न किया था, तब हम सब बस एक ऐसा शो बना रहे थे जिसे हम खुद प्यार करते थे। हमें नहीं पता था कि इसका इतना असर होगा। उस वक्त नेटफ्लिक्स ने भी बाद में शो को लिया था। लेकिन जैसे ही ऑडियंस की प्रतिक्रिया आई ऐसा लगा कि कुछ बहुत खास बन गया है। ‘वर्तिका चतुर्वेदी’ लोगों के लिए “मैडम सर” बन गईं वो प्यार और अपनापन अप्रत्याशित था। अब तीसरे सीजन तक आते-आते, प्रेशर बहुत बढ़ गया है क्योंकि लोग इस किरदार से बहुत जुड़ गए हैं। जब आप शूटिंग करते हैं तब प्रेशर नहीं होता पर रिलीज से पहले बहुत दबाव महसूस होता है। फिर भी मैं अपने किरदार से बहुत जुड़ी हूं वर्तिका मेरे लिए सिर्फ रोल नहीं इमोशन है।
सवाल: वर्तिका के किरदार में एक खास बात यह है कि वह सिर्फ एक अफसर नहीं, बल्कि एक मां, पत्नी भी है। आपको लगता है कि यह असल जीवन में लोगों को जोड़ती है?
जवाब: बिल्कुल। ‘दिल्ली क्राइम’ की सबसे खूबसूरत बात यही है कि यह दिखाता है कि पुलिस वाले भी इंसान होते हैं। वो घर लौटते हैं, उनके अपने दर्द और जिम्मेदारियां होती हैं। वर्तिका अपने काम और घर दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है कभी बच्चे की कॉल मिस हो जाती है, कभी ऑफिस की, पर वो हर वक्त दिल से जुड़ी रहती है।
जहां तक मेरी खुद की ज़िंदगी की बात है, कोई ऑटो पायलट मोड नहीं है । हर दिन एक नई चुनौती होती है घर के स्टाफ से लेकर बच्चों तक सबको संभालना पड़ता है। औरतों के लिए ये नॉर्मल है, लेकिन आसान नहीं। फिर भी, यही ज़िंदगी है और मैंने इसे खुशी-खुशी चुना है।
सवाल: आपके सेट पर महिला एक्टर्स की भरमार रहती है चाहे ‘दिल्ली क्राइम’ हो या लास्ट ईयर जैसी फिल्में। क्या महिला ऊर्जा सेट का माहौल बदल देती है?
जवाब: बिल्कुल। जब एक सेट पर ज्यादा महिलाएं होती हैं, तो एक अनकही सिस्टरहुड बन जाती है। आपसी समझ और सहयोग अपने आप बढ़ जाता है। ‘लास्ट ईयर’ के सेट पर तो यह एहसास और भी गहरा था, बहुत संवेदनशील और कोमल एनर्जी थी वहां। वो माहौल बेहद निजी और ईमानदार था। और हां, जब आपके साथ मिता वशिष्ठ, रसिका दुग्गल, ह्यूमा कुरैशी जैसी शानदार एक्ट्रेसेज हों तो सेट पर सीखने और महसूस करने के पल खुद-ब-खुद बनते हैं।
सवाल: मीता और हुमा जैसे कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: मीता और हुमा के साथ मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा। आपको सच बताऊं तो मीता जी के साथ मैंने कभी काम नहीं किया। मैं उनसे सेट पर मिली थी। हमारे बीच 2 सीन हैं। वो क्राइम वर्ल्ड की है तो एक सीन होता है इंटेरोगेशन का जिसे वह इतना बखूबी करती हैं कि वर्तिका का मुझे उनसे कुछ कम ही लगा। उनका काम इतना अच्छा था कि हम उन्हें देखते ही रह जाते थे। वहीं हुमा के साथ भी मेरे 2 सीन हैं और फिर वही कि वो कितनी बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। वो ऑफ कैमरा भी काफी अच्छी हैं। मेरे लिए तो ऐसे एक्टर्स के साथ काम करना ट्रीट है।
सवाल: आपने हाल ही में लास्ट ईयर में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। वो अनुभव कैसा रहा?
जवाब: ओह, वो अनुभव तो मेरी ज़िंदगी का एक खूबसूरत अध्याय है। मुझे याद है, मुझे खुद अमिताभ जी का कॉल आया था मैं उस वक्त रिक्शा में थी! पहले तो यकीन ही नहीं हुआ कि सच में अमिताभ बच्चन बात कर रहे हैं। सेट पर उनके साथ काम करना बहुत सीख देने वाला अनुभव था। वो एक जेंटल, ग्रेसफुल और बेहद प्रोफेशनल इंसान हैं। उनके साथ खड़े होकर काम करना अपने आप में सम्मान की बात है।
सवाल : आपकी सीरीज का अब एक वफादार दर्शक पश्चिमी देशों में भी है। ऐसे में आपके लिए इंटरनेशनल मेकर्स के साथ काम करना कितना जरूरी है?
जवाब: ईमानदारी से कहूं तो मुझे अब तक बहुत सारे ऑफर्स नहीं मिले हैं लेकिन हां, मैं चाहती हूं कि मैं अपने पंख और फैलाऊं। मैं चाहती हूं कि अगर मौका मिले तो दुनिया के अलग-अलग कोनों में जाकर काम करूं। लेकिन मेरे लिए हमेशा एक ही बात अहम होती है क्या वो किरदार इसके लायक है? अगर रोल दमदार और सार्थक है तो मैं जरूर करूंगी।
हां, अगर फिल्म क्रिस्टोफर नोलन या स्टीवन स्पीलबर्ग की हो तो मैं वहां स्पॉट गर्ल बनकर भी काम कर लूंगी। और अगर मेरिल स्ट्रीप की फिल्म हो तो मैं उन्हें कॉफी भी सर्व करने को तैयार हूं। लेकिन बाकी प्रोजेक्ट्स में, मैं तभी हां कहती हूं जब कोई किरदार मुझे अंदर तक छू जाए।
सवाल: अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में थोड़ा बताइए?
जवाब: मेरा अगली फिल्म विपुल के साथ आएगी जिसका नाम है हिसाब। इस फिल्म को विपुल ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म में अभिषेक बनर्जी, रोहताश समेत कई अच्छे एक्टर्स हैं। इस फिल्म को शूट करने में बहुत मजा आया है। यह फिल्म नए साल पर आने वाली है। इसके अलावा भी एक फिल्म है जिसे करने में मुझे काफी मजा आया। इस फिल्म में थोड़ी डार्क कॉमेडी होगी। इसके अलावा मैंने दो-तीन स्क्रिप्ट पढ़ी हैं और उनके लिए हां बोला है।
