‘श्रद्धांजलि परंपरा को’: गुरु कुंदनलाल गंगानी जी को समर्पित एक सांस्कृतिक शाम
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 05:04 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। गुरु कुंदनलाल गंगानी फाउंडेशन द्वारा आयोजित संगीतमय संध्या ‘श्रद्धांजलि परंपरा को’ ने भारतीय शास्त्रीय कला के रसिकों को एक मंच पर एकत्र किया। इस आयोजन में देश के वरिष्ठ कलाकारों ने गुरुजी की स्मृति में अपनी कला से नमन अर्पित किया।
विशेष आकर्षण रहा – पं. कुंदनलाल गंगानी पुरस्कार का पहला सम्मान पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान साहब को प्रदान किया जाना। मुख्य अतिथि नीति आयोग के डॉ. विनोद पॉल ने गुरुजी को श्रद्धांजलि दी।इनके अलावा पद्म विभूषण, सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान को प्रथम गुरु कुन्दन लाल गंगानी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उस्ताद अमजद अली खान ने क्या कहा?
“पं. कुंदनलाल गंगानी जी ने कथक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जयपुर घराने की जो गहराई उन्होंने सहेजी, वह आज आत्मा को छू रही है। उनके उत्तराधिकारी पं. राजेन्द्र गंगानी जी और पं. फतेह सिंह गंगानी जी उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।”
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
• पं. राजेन्द्र गंगानी की कथक प्रस्तुति – गुरु को समर्पित भाव और लय का सुंदर समन्वय।
• पं. फतेह सिंह गंगानी की तबला प्रस्तुति – हर थाप में गुरुजी की सीख का प्रभाव।
• उस्ताद अमान अली बंगश की सरोद पर प्रस्तुति – पिताश्री की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भावपूर्ण रचना।
• श्री शुभ महाराज वनिशित गंगानी की तबला संगत – सरोद के साथ प्रभावी संवाद।
कलाकारों के भावपूर्ण विचार
पं. राजेन्द्र गंगानी ने कहा कि “गुरुजी के सम्मान में नृत्य करना मेरे लिए पूजा के समान है। उनकी लय और स्नेह मेरी हर प्रस्तुति में जीवित हैं।” वहीं पं. फतेह सिंह गंगानी बोले “हर थाप में गुरुजी का आशीर्वाद महसूस हुआ। उनके साथ बिताया हर क्षण आज की प्रेरणा बना।” तो उस्ताद अमान अली बंगश ने भी कहा कि “गुरुजी की गहराई, सरलता और संगीतप्रेम आज भी प्रेरणा देते हैं।”
संगीतप्रेमियों की गरिमामयी उपस्थिति
यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति थी, जिसमें गुरु की स्मृति, शास्त्रीय परंपरा और भावनात्मक समर्पण का गहरा संगम देखने को मिला। कलाकारों, शिष्यों और दर्शकों की उपस्थिति ने इस संध्या को अविस्मरणीय बना दिया।
गुरु कुंदनलाल गंगानी फाउंडेशन: उद्देश्य और प्रेरणा
गुरुजी की विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने हेतु यह फाउंडेशन निरंतर कार्यरत है भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत की शिक्षण व प्रस्तुति। नई पीढ़ी को शास्त्रीय परंपरा से जोड़ना और संवाद, शोध और आयोजनों के माध्यम से सांस्कृतिक जागरूकता का प्रसार है।