एक देश चलाना, राजनेता होना, बहुत ही मुश्किल काम है खासकर हमारे जैसे देश में: अमित सियाल
punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 01:27 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सच्ची घटनाएं जब पर्दे पर उतरती हैं तो सिर्फ कहानी नहीं दिखती, पूरा इतिहास बोल उठता है और ऐसी ही एक सीरीज है 'द हंट - द राजीव गांधी असांसिनेशन केस' जिसमें भारत के सबसे बड़े और चौंकाने वाले राजनीतिक हत्याकांडों में से एक राजीव गांधी हत्याकांड के बारे में बताया गया है जो एक बार फिर से उस कड़वे सच को पर्दे पर लाने का प्रयास कर रही है। इस सीरीज़ में अभिनेता अमित सियाल जैसे दमदार कलाकार जुड़े हैं, जो अपने रियलिस्टिक अभिनय के लिए जाने जाते हैं। सीरीज़ 4 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनिलिव पर रिलीज़ हो चुकी है और इसको डायरेक्ट किया है नागेश कुकुनूर ने। इसी के चलते सीरीज के लीड एक्टर अमित सियाल ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश
सवाल: सीरीज को लेकर कैसा रिस्पांस मिल रहा है?
रिस्पांस बहुत अच्छा मिल रहा है। दर्शक बहुत पसंद कर रहे है शो को।
सवाल: इस तरह की स्टोरी पर काम करना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा?
वो सभी असली लोग हैं, इसलिए हमेशा एक ज़िम्मेदारी का एहसास रहता है कि हमें उनके बारे में ईमानदारी और संवेदनशीलता रखनी चाहिए। इसमें ये भी शामिल है कि वो अफसर कैसे थे, उनका बर्ताव कैसा था, वो क्या करते थे, कैसे दिखते थे — इन सब बातों की बारीकियों पर भी बहुत ध्यान देना पड़ता है। यानी बहुत ज़िम्मेदारी से और साथ ही बहुत डिटेलिंग के साथ काम करना पड़ता है
सवाल: राजीव गांधी की हत्या तो पूरे देश के लिए बहुत इमोशनल टॉपिक है। एक एक्टर के तौर पर इसे निभाते हुए आपने उस सीरियसनेस को कैसे मेंटेन किया?
ये जो स्क्रिप्ट है, वो अपने आप में ही बहुत ठोस और जानकारी से भरपूर है, जो इस पूरे मामले से जुड़ी है। और जिस किताब पर ये आधारित है '90 Days अनिरुद्ध मित्रा की', वो भी एक बहुत ही गहराई से महसूस की गई अडॉप्टेशन है।जब स्क्रिप्ट इतनी टाइट होती है, तो एक अभिनेता के तौर पर मेरी और सभी की ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है। मैंने अलग से जाकर ज्यादा इन्वेस्टिगेशन की डिटेल्स में तो नहीं पढ़ा, लेकिन हाँ, मैं डॉ. डी. आर. कार्तिकेयन के बारे में जानता हूँ , वो कैसे थे, उनका नजरिया क्या था, उन्होंने कैसे इस केस को लीड किया, और उन्होंने कैसी टीम बनाई।इस शो को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ ट्रीट किया गया है। खास ध्यान रखा गया है कि किसी एक की भी साइड न ली जाए, और जो भी इन्वेस्टिगेशन हुई, उसे बिल्कुल न्यूट्रल तरीके से दिखाया जाए।
सवाल: इस सीरीज की तैयारी करते वक्त आपके पास रिसर्च के लिए किस तरह की फैक्ट्स या डॉक्यूमेंट्स आए?
सारी ज़रूरी डिटेल्स तो मेरी स्क्रिप्ट में ही थीं। इसलिए अलग से रिसर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। लेकिन जिस किरदार को मैं निभा रहा हूँ, उनकी ज़िंदगी के बारे में मैंने काफी पढ़ा। उनके इंटरव्यू भी देखे, ताकि मैं उन्हें बेहतर समझ सकूँ। ये सब मेरे लिए काफी मददगार साबित हुआ, क्योंकि उनके बारे में अच्छा-खासा मटेरियल मौजूद था।
सवाल: ऐसी रियल और सेंसिटिव कहानी पर काम करना आपके लिए रिस्क था या ज़िम्मेदारी ज़्यादा लगी?
मुझे लगता है सबसे पहले और सबसे ज़्यादा ये एक ज़िम्मेदारी होती है , खास तौर पर फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर की और मुझे लगता है कि उन्होंने इस विषय को बहुत ही ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ संभाला है। हम सब इस घटना की गंभीरता को अच्छी तरह समझते हैं। मेरी नज़र में ये ज़्यादा रिस्क से कहीं बढ़कर एक ज़िम्मेदारी है और वो भी एक बेहद चुनौतीपूर्ण ज़िम्मेदारी।
सवाल: क्या इस रोल का आपकी पर्सनल लाइफ पर भी कोई असर पड़ा?
इस घटना का मुझ पर पहले से ही असर था, क्योंकि ये तब हुआ था जब मैं सिर्फ 16 साल का था। और उसके कई महीनों तक ये चर्चा का विषय बना रहा। ये अपने आप में एक अलग ही तरह का मामला था। पहली बार इस तरह का मामला सामने आया था। हाँ, ये सच में एक बहुत बड़ा झटका था। और अब इस शो का हिस्सा बनने से उस हादसे की याद फिर से ताज़ा हो जाती है।
सवाल: इस प्रोजेक्ट के बाद क्या आपका नजरिया बदला? जैसे देश, पॉलिटिक्स या हिस्ट्री को देखने का तरीका?
मैं हमेशा से ही ये मानता था , सिर्फ इस शो का हिस्सा बनने की वजह से नहीं, बल्कि वैसे भी कि एक देश चलाना, एक राजनेता होना, ये बहुत ही मुश्किल काम है। खासकर हमारे जैसे देश में, जो इतना विविधता से भरा हुआ है। इतनी अलग-अलग संस्कृतियाँ, भाषाएँ, बोलियाँ और इतने तरह के लोग हैं यहाँ। ऐसे देश को चलाना वाकई एक बहुत बड़ी और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है। मेरे हिसाब से यही इस प्रोजेक्ट से मिलने वाली सबसे बड़ी सीख भी है।
सवाल: आप इस शो को किस तरह से डिस्क्राइब करेंगे ?
ये एक सीरीज़ पुराने अंदाज़ की पुलिस जांच पर आधारित शो है, जो घटनाओं को वैसे ही दिखाता है जैसी वो थीं बिना किसी तरह की सनसनीखेज़ी के या किसी एक पक्ष को फायदा पहुँचाए। बस वही टुकड़े पेश करता है जो असल में इस इन्वेस्टिगेशन के दौरान सामने आए। असल में ये एक इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर है, जो सच्ची घटना पर आधारित है और यही बात इसे और भी दिलचस्प बनाती है।