डोरी सीजन 2 का पहला एपिसोड शूट करते वक्त रो पड़े थे अमर उपाध्याय , श्रीजिता डे ने भी बताए शूटिंग से जुड़े किस्से

punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 02:51 PM (IST)

मुंबई। कलर्स टीवी का पॉपुलर शो डोरी जिसे लोग काफी पसंद कर रहे थे लेकिन  फिर भी उसे बंद कर दिया गया था लेकिन अब जब खास डिमांड के बाद इसका दूसरा सीजन आया तो उसे भी खूब प्यार मिल रहा है।  डोरी के दूसरे सीजन में कई नए चेहरे जुड़े और कई पुराने भी साथ में है।  कहानी भी अपने फ्लो में आगे बढ़ रही है तो ऐसे फैंस में भी एक्ससिटेमेंट काफी ज़्यादा बढ़ चुकी है कि आगे क्या होगा ।  इसी के चलते शो के लीड एक्टर्स अमर उपाध्याय और श्रीजिता डे ने  पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबानी/हिन्द समाचार से ख़ास बातचीत की और दिलचस्प बातें शेयर की।

अमर उपाध्याय

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1 - सीजन 2 में कैसा है आपका किरदार ? क्या होंगे बदलाव ?

गंगा प्रसाद सीजन 1 में था वो बहुत ही गरीब इंसान है दिव्यांग है उसका एक हाथ काम नहीं करता बचपन से। उसकी वजह से उसकी शादी नहीं होती, गरीब  भी वो बहुत ज़्यादा है।  ज़िंदगी को लेकर वो रो रहा होता है गंगा घाट पर बैठकर, अपनी ज़िंदगी को कोस रहा होता है इतने में कोई एक बच्ची को छोड़कर चला जाता है तो वो उस बच्ची के लिए गंगा में कूद जाता है एक हाथ से तैरकर बच्ची को बचाता है। सबसे पूछता है कि किसकी बच्ची है जब कोई नहीं बोलता तो वो खुद ही उस बच्ची को घर लेकर आ जाता है। सब उसे कहते हैं कि तू कैसे पालेगा उसे लेकिन वो कहता है कि 'मैं देख लूँगा',  फिर वो बच्ची को अपनी बनाकर पालता है और पहला सीजन बच्ची 6 - 7 साल की होती है वहां खत्म हो जाता है। लेकिन दूसरे सीजन में अब लड़की बड़ी हो चुकी है  उसके सपने भी बड़े हो चुके हैं। अब उस  सबके लिए कुछ बड़ा करना है।  तो उसका पिता उसे बहुत सपोर्ट करता है।  तो हर तरह से अपनी बच्ची को सपोर्ट करने वाला, बेटियों को आगे बढ़ाने वाला है मेरा किरदार। जो समाज से लड़ने वाला अकेला बंदा दिखाया गया है। 

2 -  कौन सा ऐसा सीन था जिसे करते वक्त आप अपने आंसू नहीं रोक पाए ?

पहले ही एपिसोड में मैं बहुत इमोशनल हुआ था , जब मैं बच्ची को घर पर लेकर आता हूँ तो नानी गुस्सा करती है , सारे मोहल्ले वाले इकट्ठा हो जाते हैं और कहते हैं में एक दिव्यांग गरीब आदमी कैसे एक बच्ची को ले आया और कैसे उसे पालेगा , एक औरत के बिना बच्ची को कैसे संभालेगा , तो वो वहां किरदार भी इमोशनल होता है और मैं भी। मेरी आँखों में से भी पानी आ गया था।  

3 - क्या ओटीटी का टीवी पर प्रभाव पड़ा है ?

जब कोविड के टाइम में ओटीटी का चलन बढ़ा एकदम तो सबको लगा कि इसने टीवी को दबा दिया लेकिन ऐसा नहीं हुआ , क्यूंकि जैसे ही कोविद का प्रभाव खत्म हुआ तो टीवी फिर से  फॉर्म में आ गया।  और मुझे लगता है कि टीवी हमेशा के लिए रहेगा।  जब तक मनोरंजन की दुनिया है तब तक टीवी नहीं जाएगा।  क्यूंकि कंटेंट हमारा ज़्यादा इवॉल्व नहीं हुआ है ओटीटी की तरह लेकिन अब हो रहा है।  

4 - क्या आपको लगता है कि अब ओटीटी को भी सेंसर बोर्ड की जरूरत है ?

हां जी , ओटीटी पर सेंसर बोर्ड न होने की वजह से कई बार भाषा पर कंट्रोल नहीं रहता।  गाली गलोच भी होती है , सेक्सुअल कंटेंट भी ज़्यादा हो जाता है।  मेरे हिसाब से हमारा कल्चर ऐसा नहीं है , अगर हम वेस्ट को कॉपी करने की कोशिश करेंगे तो वो उनका कल्चर है हमारा नहीं।  तो कहीं ना कहीं मुझे भी ऐसा लगता है कि एक लिमिटेशन और कंट्रोल ओटीटी पर भी होना जरूरी है। 

5 - क्या टीवी पर भी बदलाव की जरूरत है ?

ख़ास तौर पर पैसे और समय को लेकर। अभी हो गया है।  12 घंटे निर्धारित कर दिए गए हैं और 12 घंटे ही लोग काम करते हैं।  और पैसों को लेकर भी दायरे सेट कर दिए गए हैं कोई मंथली पर होते है तो कोई पर डे।  पहले होता था 15 - 15 घंटे अब नहीं होता।

6 - टीवी में एक्टर्स को रातो-रात रिसप्लेस कर दिया जाता है लेकिन एक्टर खुद शो नहीं छोड़ सकता , इसपर क्या कहना है आपका ?

क्या होने चाहिए कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव ?हां ये होता है कई बार होता है ऐसा।  लेकिन ऐसा नहीं कि हर बार ऐसा हो।  इसी वजह भी अलग - अलग होगी।  

श्रीजिता डे 

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1 - कैसा है इस शो में आपका किरदार ?

किरदार बहुत ही अनोखा है , काफी इंटेंस किरदार है और काफी कम्प्लेक्सिटी है इस किरदार में।  

2 - आपको इतना ब्रेक क्यों लिया इंडस्ट्री से ?

मेरी 2-2 बार शादी हुई इस वजह से क्यूंकि जो जर्मनी वाली शादी थी उसके लिए तो हमें बार-बार जर्मनी जाना आना पड़ा इस लिए , क्यूंकि हमारे प्रोफैशन में काम के साथ शादी की तयारी बहुत मुश्किल थी।  फिर जर्मन शादी के बाद इंडियन शादी हुई उसमें बिजी रही मैं।  हालांकि इस सब के बीच मैंने एक शो शैतानी रस्में भी किया लेकिन उसमें भी वो मज़ा नहीं आ रहा था और वैसे भी लगातार मैं सुपर नेचुरल शो कर रही थी तो उससे भी मुझे एक ब्रेक चाहिए था।  

3 - डोरी का पहला सीजन हिट गया तो कोई अब प्रेशर फील होता है कि उतना ही सफल बनाना है इस शो को ?

दरअसल मैं कम्पेरिज़न में विश्वास ही नहीं रखती।  लेकिन हाँ ये सच है कि एक बैंच मार्क इस शो ने क्रिएट किया था मगर बात ये भी है कि अगर मैं ना भी सोचु तो भी मुझे पता था कि लोग ये जरूर उम्मीद करेंगे कि राजनंदिनी भी वैसा ही औरा बना सके जितना पिछले सीजन में सुधा जी ने बनाया था।  और मुझे नहीं लगता कि मैं किसी की उम्मीद पूरी न की वो मैंने पुरे मन से अपना किरदार निभाया  फीलिंग तो आ ही जाती है कि सबको हमसे उम्मीदें बहुत हैं। 

4 - अमर उपाध्याय के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा ?

उनको तो मैं बचपन से देखती आ रही हूँ , उनके लिए बहुत इज़्ज़त है मेरे मन में , कुछ 'क्यूंकि सास भी कभी बहु थी' की बातें मैंने उन्हें बताई भी अपनी बचपन की।  वो बहुत ही अच्छे है उनका औरा ऐसा है कि कभी लगा ही नहीं कि वो इतने सीनियर हैं।  उनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा।  उनसे सीखने को भी बहुत कुछ मिला।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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