२० साल एक्ट्रेस विद्या बालन के साथ, हिंदी सिनेमा की एक बेमिसाल यात्रा
punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 02:14 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बीस साल पहले, विद्या बालन ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा और चुपचाप इस बात को फिर से परिभाषित कर दिया कि एक 'लीडिंग लेडी” का असली मतलब क्या होता है। परिणीता (2005) से अपने दमदार डेब्यू के साथ ही विद्या ने पर्दे पर एक ऐसी छवि पेश की—जो गरिमा, ताक़त और सच्चाई से भरी हुई थी—जिसे बॉलीवुड ने उस समय तक पूरी तरह अपनाया भी नहीं था।
जब सिनेमा पर पुरुष-प्रधान कहानियों का दबदबा था, विद्या ने ऐसे किरदार चुने जो महिलाओं को केंद्र में रखते थे। फिर चाहे वो द डर्टी पिक्चर में उनका बोल्ड रूप हो, कहानी में उनकी खामोश लेकिन मज़बूत मौजूदगी, या शेरनी में उनका सधा हुआ आक्रोश—विद्या ने हमेशा लीक से हटकर सोचने की हिम्मत दिखाई।
उन्हें खास बनाता है सिर्फ उनका अभिनय नहीं, बल्कि उनकी यह सोच भी कि सिनेमा में एक महिला की अहमियत सिर्फ ग्लैमर या बॉक्स ऑफिस से तय नहीं होती, बल्कि उन कहानियों से होती है जो वह दुनिया को दिखाने का साहस रखती है।
बीस साल बाद भी, विद्या बालन आज भी साहस, हुनर और आत्मविश्वास की मिसाल हैं। उनकी यात्रा केवल एक सफल करियर की कहानी नहीं, बल्कि यह सिखाने वाली राह है—कि अपनी शर्तों पर जीना और आगे बढ़ना सबसे बड़ी जीत है।