ई-कचरे की मदद से इस युवक ने बनाए 600 ड्रोन, दुनिया में किया भारत का नाम रौशन

Tuesday, Feb 04, 2020 - 10:50 AM (IST)

नई दिल्ली: आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो करियर को आसानी से ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो पहले ही प्रयास में और बेहद कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर लेते हैं। इन्हीं होनहारों में से एक हैं कर्नाटक के मांड्या के प्रताप एनएम। वैसे तो भारत में इनोवेटिव सोच रखने वालों की कोई कमी नहीं है प्रताप एनएम उन्हीं इनोवेटिव लोगों में से एक हैं। 

ई-कचरे की मदद से बनाते है ड्रोन
-सबसे खास बात यह कि प्रताप ई-कचरे की मदद से ड्रोन बनाते हैं, जो कि जरूरत पड़ने पर लोगों के काम भी आते हैं। प्रताप को ड्रोन वैज्ञानिक के तौर पर भी जाना जाता है। वे टूटे हुए ड्रोन, मोटर, कैपेसिटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीजों से ड्रोन तैयार करते हैं। इससे पर्यावरण के अनुकूल भी साबित होता है।   

-उन्होंने खुद से 600 ड्रोन विकसित किए हैं।  यही नहीं उन्होंने कई प्रोजेक्ट पर भी काम किया है, जिनमें सीमा सुरक्षा के लिए टेलीग्राफी, यातायात प्रबंधन के लिए ड्रोन तैयार करना, मानवरहित वायुयान, रेसक्यू ऑपरेशन के लिए यूएवी, ऑटोपायलेट ड्रोन शामिल हैं। 

 -हैकिंग से बचाव के लिए ड्रोन नेटवर्किंग में क्रिप्टोग्राफी पर भी काम किया है। जब कर्नाटक में बाढ़ आई हुई थी तो उनके बनाए ड्रोन ने आपदा राहत कार्य में काफी मदद की थी। ड्रोन की मदद से पीड़ितों को दवाई और भोजन की मदद पहुंचाई गई थी।  

14 साल की उम्र  में हुआ ड्रोन से परिचय 
ड्रोन से प्रताप का परिचय 14 साल की उम्र में हुआ तब से उन्होंने ड्रोन को खोलना और ठीक करना शुरू किया। 16 साल की उम्र तक आते-आते उन्होंने कबाड़ से एक ड्रोन बनाया जो कि उड़ सकता था और तस्वीरें भी खींच सकता था। ये सब प्रताप ने खुद से ही सीखा इसके बाद प्रताप ने मैसूर के जेएसएस कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स से बीएससी की।  

सम्मान और पुरस्कार
प्रताप को अब तक 87 देशों से निमंत्रण मिल चुका है।  इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो 2018 में एलबर्ट आइंस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। 2017 में जापान में इंटरनेशनल रोबोटिक्स प्रदर्शनी में गोल्ड और सिलवर मेडल से सम्मानित किया गया और 10 हजार डॉलर की राशि भी दी गई। 


 

Riya bawa

Advertising