क्या नौकरशाहों के बच्चे सरकारी स्कूलों में करेंगें पढ़ाई ?

Tuesday, Oct 09, 2018 - 01:44 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में सभी नौकरशाहों के बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में ही पढ़ाने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूपी सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट का साल 2015 का आदेश लागू करवाने में नाकाम रही है। फैसले के 3 साल बाद भी राज्य सरकार ने अमल की रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायेतर (एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल) कबूलनामा बेहद कमजोर सबूत है, लेकिन कोर्ट अगर संतुष्ट हो तो कि यह मर्जी से दिया गया है तो इसके आधार पर आरोपी को दोषी करार दे सकते हैं।

एक पूर्व बैंक कर्मचारी पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का दोष बरकरार रखते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी, “मैंने बैंक के दो वरिष्ठ अधिकारियों को जो कबूलनामा दिया था, उसी के आधार पर मुझे सजा दे दी गई लेकिन यह नहीं कह सकते कि कबूलनामा मर्जी से दिया गया था।’ हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसलों में माना है कि यह कबूलनामा मर्जी से दिया गया था और यह दोष साबित करने का आधार हो सकता है।

 
जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कबूलनामे पर अदालतों को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह आत्मविश्वास से प्रेरित हो और अन्य सबूत इसकी पुष्टि करें। अगर कोर्ट को भरोसा हो कि एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कबूलनामा मर्जी से दिया है तो यह सजा का आधार बन सकता है। यह फर्जीवाड़ा 1992 से 1994 के दौरान हुआ था। इसे ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पांच साल की सजा को घटाकर तीन साल कर दी।

Sonia Goswami

Advertising