IAS Success Story: आंखों की रोशनी चली गई पर सफलता की राह नहीं छोड़ी, बनी IAS OFFICER

Friday, Aug 07, 2020 - 11:03 AM (IST)

नई दिल्ली: हर कोई चाहता है कि एग्‍जाम में सफलता मिले, लेकिन कामयाबी तो उसी को मिलती है जो इस राह में आने वाली चुनौतियों से हार नहीं मानता बल्‍कि इनसे लड़कर अपना रास्‍ता बना लेता है। ऐसा ही कर दिखाया है 25 साल की उम्र में पूर्णा ने। बता दें कि पूर्णा देख नहीं सकती हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया जिसका सपना आंखों से सक्षम लोग भी देखते हैं। 

पूर्णा की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है। बता दें कि इस साल पूर्णा ने यूपीएससी परीक्षाओं में 286 वीं रैंक हासिल की है। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हर एक इंसान को प्लानिंग और स्ट्रेटेजी की खास जरूरत होती है, इससे आप आसानी से हर एक परीक्षा क्रैक कर सकते हैं।

जानें सफलता का मंत्र

चार बार प्रयास के बाद मिली 286 वीं रैंक 
पूर्णा ने सिविल सर्विसेज के लिए चार बार प्रयास किया लेकिन वह 2016 से ही सिविल सेवा एग्जाम की तैयारी कर रही है। अंत इस बार ऑल इंडिया में 286 वीं रैंक मिली है। 

पारिवारिक जीवन
पूर्णा के पिता एक सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और मां एक होम मेकर हैं। पूर्णा ने कहा कि मेरे मम्मी-पापा दोनाें चाहते थे कि मैं IAS अफसर बनूं। उनके पिता ने उन्हें इसके लिए तैयारी करवाई। वो बताती हैं‍ कि जब मैं 11वीं कक्षा में थी, तभी से पापा ने मेरे मन में यूपीएससी की तैयारी की बात डाल दी थी।

स्कूली से कॉलेज की शिक्षा
स्कूली शिक्षा के बाद, पूर्णा कॉलेज के लिए चेन्नई चली गईं। वो बताती हैं कि कॉलेज में उनके प्रोफेसरों ने उन्हें सीखने में मदद की। यही नहीं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कॉलेज लाइब्रेरी को मेरे उपयोगी बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा तैयार किया।

पूर्णा ने बताया, "कॉलेज से मैं चेन्नई में मणिधा नेयम संस्थान गई, ये एक ऐसा मंच था जिसने मुझे खुद को स्थापित करने में मदद की। मैं और मेरे दोस्त सरकारी संस्थान में भी गए और साथ ही अड्यार में भी तैयारी की। पूर्णा के माता-पिता और दोस्तों ने बहुत  साथ दिया। पूर्णा का कहना है कि आज जो कुछ भी हासिल किया है, उसकी वजह यही लोग हैं मेरे लिए जो बलिदान किए हैं वो घरवालों ने ही किए हैं."

Riya bawa

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