ट्रेन में पढ़ाई करने वाले शशांक मिश्र बने IAS

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2019 - 01:17 PM (IST)

नई दिल्ली: हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों से जूझते हुए किसी न किसी दिन सफलता हासिल करता है। एक ऐसी ही कहानी की बात करने जा रहे है जिसने कड़ी मेहनत के दम पर यूपीएससी में 7वीं रैंक हासिल कर ली है। यूपीएससी की ओर से हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की चुनौतिपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। देश के कई युवा बचपन से इस परीक्षा को पास कर IAS बनने का सपना संजोते हैं। शशांक मिश्रा की कहानी ऐसी ही मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है। 

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यूपी के मेरठ के रहने वाले शशांक मिश्रा ने यूपीएससी में 7वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा कर लिया है। बता दें कि शशांक मिश्रा जब 12वीं पढ़ाई कर रहे थे तो उनके पिता का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी का दौर शुरु हो गया जिसके कारण फीस भरना तक मुश्किल था। इन सब परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने धैर्य बनाया रखा जिस वजह से आज उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया। 

Image result for ट्रेन में की पढ़ाई, बिस्किट खाकर गुजारे दिन, यूपीएससी में 7वीं रैंक हासिल कर शशांक मिश्र बने IAS

पारिवारिक जीवन और कैसे पूरी की पढ़ाई 
-शशांक मिश्रा के पिता यूपी के कृषि डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर थे। जब पिता का निधन हुआ था उस वक्त वह 12वीं के साथ आईआईटी की तैयारी कर रहे थे। पिता के निधन के बाद तीनों भाई -बहन की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई थी। 

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-12वीं में अच्छे मार्क्स के कारण उनकी कोचिंग की फीस कम कर दी गई। इसके बाद आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 137वीं रैंक आई। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया था। इसके बाद उनकी अमेरिका की मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी लग गई थी। 

जानें कैसे रहा सफर 

#यूपीएससी का सपना पूरा करने के लिए शशांक ने यूएस कंपनी की नौकरी और अच्छे पैकेज को ठुकरा दिया। साल 2004 में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 
आर्थिक तंगी के कारण शंशाक ने दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाना शुरू कर दिया। 

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#कोचिंग सेंटर में पढ़ाने के बावजूद भी उनकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वह दिल्ली में किराए के घर में रह सके। ऐसे में वह मेरठ से दिल्ली रोजाना अप डाउन करने लगे। इसमें दो घंटे लगते थे, इसके कारण शशांक ट्रेन में पढ़ाई करते थे। 

#शशांक ने दो साल तक तैयारी की थी। इस दौरान कई बार उन्हें भूख लगने पर भरपेट खाना नहीं मिला। कई बार वह बिस्किट खाकर गुजारा करना पड़ा। शशांक की मेहनत रंग लाई और पहले ही अटेंप्ट में एलाइड सर्विस में सिलेक्शन हो गया। साल 2007 में दूसरे प्रयास में उन्होंने पांचवीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया। शशांक फिलहाल एमपी के उज्जैन जिले के कलेक्टर हैं। 


 


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Author

Riya bawa

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