जल्दी ही फुल टाइम पाठ्यक्रम शुरू करेगा UPID

punjabkesari.in Friday, Nov 10, 2017 - 12:48 PM (IST)

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार सूबे में विभिन्न शिल्पकलाओं को प्रोत्साहन देने और इस क्षेत्र में आगे बढऩे के इच्छुक युवाओं को बेहतर मंच देने के लिये ‘यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन’ (यूपीआईडी) में वर्ष 2019 तक पूर्णकालिक पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है।  कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत यूपीआईडी की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने  बताया,‘‘हम वर्ष 2019 तक अपने संस्थान में पूर्णकालिक पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। इस वक्त संस्थान में सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों का पठन-पाठन किया जा रहा है।’’  

उन्होंने कहा कि यूपीआईडी अपने यहां डिग्री पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा। संस्थान स्नातक, परास्नातक और परास्नातक डिप्लोमा की शुरुआत करने के साथ-साथ उद्यमियों के लिये अल्पकालिक पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना बना रहा है। क्षिप्रा ने बताया कि रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने पर संस्थान का खास ध्यान है। भविष्य में विजुअल मर्चेण्डाइजिंग और फैशन पत्रकारिता के कोर्स भी शुरू किये जाएंगे।  उन्होंने बताया कि संस्थान शिल्पकारों तथा उभरते हुए शिल्पियों को उनके उत्पादों की डिजाइनिंग और मार्केटिंग में भी मदद करेगा। 

संस्थान जल्द ही स्थानीय शिल्पकारों तथा राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पियों की बैठक बुलायेगा, ताकि पुरस्कृत शिल्पकार अपने अनुभव साझा कर सकें। संस्थान केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के सम्पर्क में है, ताकि बुनकरों को इससे जोड़ा जा सके। संस्थान बुनकरों के लिये मण्डलवार शिविर लगाने की योजना बना रहा है। क्षिप्रा ने उम्मीद जाहिर की कि यूपीआईडी अगले पांच वर्षों में निफ्ट तथा एनआईडी के समकक्ष संस्थान बन जाएगा। यूपीआईडी अपने यहां विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिये प्रवेश परीक्षा के जरिये दाखिला लेगा। यह उत्तर प्रदेश का अपना डिजाइन संस्थान होगा।  उन्होंने बताया कि यूपीआईडी भारत तथा दुनिया के अन्य देशों के बीच शिल्प का बौद्धिक आदान-प्रदान करने पर भी जोर देगा। आपसी संवाद के जरिये स्थानीय शिल्पियों को अन्तरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी।  क्षिप्रा ने बताया कि यूपीआईडी अपने छात्र-छात्राओं को स्टार्ट-अप शुरू करने और अपने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री में मदद करेगा। प्रदेश के हर गांव तक पहुंच बनाना संस्थान का उद्देश्य है। अगर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कारीगर बाजार तक आने में असमर्थ हैं तो हम बाजार को उनके पास ले जाएंगे। 


 


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