यूजीसी ने की डीयू के कॉलेजों को स्वायत्तता देने की शुरुआत

Tuesday, May 08, 2018 - 11:29 AM (IST)

नई दिल्ली : डीयू के कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वायत्तता देने की शुरुआत कर दी है और इस कड़ी में सबसे पहला नम्बर सेंट स्टीफन कॉलेज का है।  10 मई को यूजीसी की टीम दलबल के साथ स्वायत्तता प्रदान करने के लिए आ रही है। इस खबर के सामने आते ही कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों ने विरोध कर यूजीसी में हस्ताक्षर कर पत्र भेजा है। इस पत्र में स्वायत्त किए जाने का विरोध किया गया है। वहीं डीयू शिक्षकों ने भी ठान लिया है कि जिस समय यूजीसी की टीम आएगी, उस समय शिक्षक कॉलेज के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। डीयू की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने कहा कि डीयू के कॉलेजों को स्वायत्तता देना निजीकरण श शिक्षा का व्यवसायीकरण करना है। कॉलेजों को स्वायत्तता देने से उच्च शिक्षा से दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज को वंचित करना है। डीयू के सर्वोत्तम चुनिंदा उच्च शैक्षणिक संस्थाओं को पूर्णत: स्वायत्तता दिए जाने का मतलब है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों को डीयू के कॉलेजों में आने से रोकना है। 

डीयू जब प्रशासनिक व शैक्षिक स्वतंत्रतता अपने कॉलेजों को पहले ही देती रही है। सेंट स्टीफेंस कॉलेज तो अपना दाखिला, नियुक्ति खुद करता है तो किस चीज की उसे स्वायत्तता चाहिए। प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ऑटोनॉमी पर सवाल पूछा गया पर कोई जवाब नहीं दिया। ऐसी स्थिति में यूजीसी द्वारा अपनी कमेटी भेजकर सेंट स्टीफेंस कॉलेज को स्वायत्तता की पहल करना दिल्ली विवि की अपनी स्वायत्तता पर कुठाराघात है।

कॉलेज खुद बनाएगा नियम 
कॉलेज को स्वायत्तता मिलने पर कॉलेज अपना सिलेबस, अपना एग्जामिनेशन, मार्कशीट, डिग्री व फीस खुद तय करेंगा। उनका मकसद उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना नहीं बल्कि उसकी आड़ में शिक्षा का व्यवसायीकरण करना है।

स्वायत्त होने पर कौन करेगा नियुक्तियां स्पष्ट नहीं 
सेंट स्टीफेंस कॉलेज को स्वायत्तता दिए जाने के बाद प्रिंसिपल, शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्तियां कौन करेगा, इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। कॉलेज स्वायत्तता के बाद कॉलेज के यूनिवर्सिटी से संबंध पर भी साफ नहीं किया गया है।

bharti

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