इक्कीसवीं सदी के अनुरूप हो शिक्षा प्रणाली: वेंकैया नायडू

Sunday, Nov 18, 2018 - 05:11 PM (IST)

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को यहां क्रिया विश्वविद्यालय के स्थापना का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश में अच्छे शोधकर्मियों की काफी कमी है और पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या घटती जा रही है। इसके अलावा देश में गरीबी की समस्या के साथ साथ पर्यावरण की भी गहरी समस्या है। यह देखते हुए हमें विश्वविद्यालयों में नवाचार को बढ़ाने की जरुरत है और इसके लिए उच्च शिक्षा को 21वीं सदी के अनुरूप बदलना जरूरी है। उन्होंने देश में अच्छे शोधकर्मियों की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए 21वीं सदी की जरुरतों के अनुरूप उच्च शिक्षा को नये सिरे से बदलने की जरुरत पर बल दिया है।

शिक्षा में सरकारी और निजी सहभागिता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अब शिक्षा व्यवस्था इन दोनों के आपसी समन्वय से कारगर हो सकती है और सरकार इसमें एक नियामक भूमिका निभा सकती है।  उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की भारत में उच्च शिक्षा का स्तर विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के स्तर से काफी नीचे है और दुनिया के क्यूएस रेंकिंग में 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों में भी कोई स्थान नहीं है।

नायडू ने ये भी कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों में न केवल फंड की कमी बल्कि शिक्षकों की कमी की भी समस्या है और एमए के बाद अध्ययन की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसके अलावा वर्तमान पीढ़ी के प्रोफेसरों के अवकाश ग्रहण करने से भी अच्छे शिक्षकों का भी संकट पैदा हो गया है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कौशल विकास की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2022 तक 70 करोड़ युवकों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य प्राप्त करने के बाद भारत दुनिया में कौशलयुक्त युवकों का सबसे बड़ा देश बन जायेगा।  

bharti

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