सवालों के घेरे में JNU की अटेंडेंस पॉलिसी''

Monday, Jan 07, 2019 - 02:19 PM (IST)

एजुकेसन न्यूजः जवाहल लाल नेहरू विश्वविद्यालय में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर लागू पॉलिसी 21 देशों की 75 यूनिवर्सिटीज में सबसे विरोधात्मक है। शुक्रवार को संसद के सदस्यों द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएनयू के शिक्षक संघ ने अनिवार्य उपस्थिति के खिलाफ वहां के प्रशासन पर फिर से दबाव बनाने की कोशिश की है। शिक्षक संघ ने एक सर्वे का हवाला देते हुए जेएनयू की शिक्षक उपस्थित पॉलिसी को चुनौती दी है।

 

जानकारी के अनुसार जेएनयू के शिक्षक संघ ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शिक्षकों से बिना किसी सलाह-मशविरे या चर्चा किए उनके लिए अनिवार्य उपस्थिती का नियम लागू कर दिया। शिक्षकों का कहना है कि अब तक अनिवार्य उपस्थिति का नियम सिर्फ छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों पर लागू होता था, लेकिन शिक्षकों पर इसे लागू करने का कोई प्रावधान नहीं था जबकि अब सभी शिक्षकों को अनिवार्य उपस्थिति के लिए बाध्य किया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि जेएनयू प्रबंधन अब शिक्षकों का उपस्थिति रजिस्टर के बजाय बायोमैट्रिक मशीन से दर्ज करवाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन शिक्षक इस पॉलिसी के विरोध में खड़े हुए हैं। 

 

सर्वे में शामिल हुए दुनियाभर के शिक्षक 
जेएनयू की शिक्षक अनिवार्य उपस्थित पॉलिसी को लेकर हुए सर्वे में दुनियाभर के शिक्षक शामिल हुए और इस पॉलिसी के बारे में जानकर आश्चर्यचकित रह गए। शिक्षकों का आरोप है कि बीती 13 जुलाई को हुई 146वीं अकेडमिक काउंसिल की मीटिंग के एजेंडे में कहीं भी शिक्षकों के लिए अनिवार्य अटेंडेंस की बात नहीं की गई थी, लेकिन ये नियम लागू किया गया। नियम के लागू होते ही शिक्षकों की फेलोशिप, मेडिकल कवरेज, कॉन्फ्रेंस, रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए छुट्टी पर रोक लगाई जाने लगी। इस मुद्दे को लेकर शिक्षक संघ ने इस पॉलिसी को गलत साबित करने के लिए दुनियाभर के 21 देशों में चलने वाली 75 यूनिवर्सिटीज की अटेंडेंस पॉलिसी का सर्वे किया, सर्वे में शामिल अमूमन सभी शिक्षकों ने जेएनयू के इस नियम पर आश्चर्य जताया। 

Sonia Goswami

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