दरी पर बैठकर अंधेरे में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे

Sunday, Feb 17, 2019 - 04:09 PM (IST)

नई दिल्ली (अनुराग जैन): मुकुंदपुर स्थित निगम के प्राइमरी स्कूल में शिक्षा के नाम पर मजाक चल रहा है। बच्चों के लिए स्कूल में बैठने के लिए डेस्क या फर्नीचर तो दूर ट्यूबलाइट तक खराब पड़ी हुई हैं। इस स्कूल में बच्चे दरी पर बैठकर अंधेरे में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। करीब 10 वर्ष पहले बने इस स्कूल में आज तक बेंच की व्यवस्था नहीं की गई है। हैरानी की बात तो यह है कि स्कूल में दरी भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है। अगर सभी बच्चे स्कूल में उपस्थित हो जाते हैं तो उन्हें घर से दरी खुद ही लानी पड़ती है। उत्तरी नगर निगम के अधीन मुकुंदपुर इलाके में यह इकलौता प्राइमरी स्कूल है। दो शिफ्टों में चलने वाले इस स्कूल में करीब पांच हजार बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल के रियलिटी चेक में सामने आया है कि कड़ाके की सर्दी होने के बावजूद भी बच्चे यहां मॉर्निंग शिफ्ट में भी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। साथ ही क्लासरूम में लगी ट्यूबलाइट्स तक खराब पड़ी हुई थीं। ऐसे में अध्यापक खिड़कियां खोलकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि स्कूल में अध्यापकों द्वारा कई बार निगम को फर्नीचर और ट्यूबलाइट्स के लिए अवगत कराया जा चुका है। लेकिन हर बार उनकी डिमांड को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है। उधर, इस मामले में मेयर आदेश गुप्ता ने व्यस्तता जाहिर करते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। 

स्कूल में मात्र एक सफाई कर्मचारी 
स्कूल में स्टाफ की भी भारी कमी बताई जा रही है। पूरे स्कूल की सफाई के लिए मात्र एक कर्मचारी है। शनिवार को सफाई कर्मचारी भी छुट्टी पर होता है। जिस वजह से स्कूल की सफाई ही नहीं हो पाती है और बच्चों को गंदगी के बीच ही पढऩा पड़ता है। स्कूल में दौरे के बाद मालूम हुआ कि छोटे बच्चे बदतर हालातों के बीच पढऩे को मजबूर हैं। बच्चों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। -अशोक अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट 


 

bharti

Advertising