शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं देश के 23 IIT

punjabkesari.in Wednesday, Feb 15, 2017 - 05:02 PM (IST)

नई दिल्ली : हमारे देश में हर साल ना जाने कितने छात्र अपने भविष्य को बनाने के लिए आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिला लेने के लिए जी तोड़ मेहनत करते है। आईआईटी में दाखिला पाना उनके सपने के सच होने जैसा है, लेकिन हाल में ही आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान भी टीचरों की कमी से बुरी तरह जूझ रहे हैं। देश की 23 आईआईटी में शिक्षकों के औसतन लगभग 35 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं।
 
मध्य प्रदेश के नीमच के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने एक अक्टूबर 2016 तक की स्थिति के मुताबिक यह जानकारी दी है।
 
खाली पड़े हैं 2,672 पद
अधिकारी ने बताया कि देश के 23 आईआईटी में कुल 82,603 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और इनमें काम कर रहे शिक्षकों की संख्या 5,072 है, जबकि इन संस्थानों में अध्यापकों के कुल 7,744 पद स्वीकृत हैं यानी 2,672 पद खाली रहने के कारण इनमें 35 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है। आरटीआई के तहत दिये जवाब में यह भी बताया गया कि देश के सभी आईआईटी में शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात 1:10 रखने यानी हर 10 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक नियुक्त करने की भरसक कोशिश की जाती है।  हालांकि, फिलहाल सभी 23 शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में औसतन हर 16 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक मौजूद है।
 
नए आईआईटी खोले गए लेकिन टीचर नहीं: आनंद कुमार
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के प्रतिभावान विद्यार्थियों को आईआईटी चयन परीक्षा की कोचिंग देने वाले पटना स्थित संस्थान ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार कहते हैं, ‘गुजरे बरसों में सरकार ने धड़ल्ले से नये आईआईटी तो खोल दिये। लेकिन इनमें पर्याप्त शिक्षकों, भवनों, प्रयोगशालाओं और अन्य आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है। इससे इन इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है। नतीजतन वैश्विक स्तर पर ब्रांड आईआईटी को नुकसान पहुंच रहा है।’ बहरहाल, आरटीआई के जरिये मिली जानकारी से पता चलता है कि शिक्षकों की गंभीर कमी से पुराने आईआईटी भी जूझ रहे हैं


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