सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की एक राष्ट्र, समान पाठ्यक्रम संबंधी याचिका

Friday, Dec 08, 2017 - 06:43 PM (IST)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’के तहत छह से 14 साल के बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने संबंधी याचिका आज खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह‘एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’का आदेश कैसे दे सकती है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने गाजियाबाद के प्राथमिक विद्यालय की सहायक शिक्षिका नीता उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,हम इस विषय पर क्या कह सकते हैं, सब कुछ अदालत ही तो नहीं कर सकती। यह संभव नही है।

याचिकाकर्ता ने सरकार को छह से 14 साल के सभी बच्चों को समान पाठ्यक्रम से पढ़ाई करवाने का निर्देश देने की मांग की गयी थी। इस याचिका में केंद्र को छह से 14 साल के बच्चों के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा तथा समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद विषय पर प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाने तथा ऐसी मानक किताबें देने का निर्देश देने को कहा गया है, जिनमें मूलभूत अधिकारों, मूलभूत कर्तव्यों, निर्देशात्मक सिद्धांतों और प्रस्तावना में निर्धारित किये गये स्वर्णिम लक्ष्यों पर आधारित पाठ हों। 

नीता उपाध्याय  ने संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत वर्तमान शिक्षा प्रणाली को विसंगतिपूर्ण बताया है। याचिका में कहा गया है कि बच्चों के अधिकारों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव किये बगैर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने तक इसका विस्तार किया जाना चाहिए।  इसमें आगे कहा गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि समान शिक्षा प्रणाली धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करेगी।

Advertising