पिता का अधूरा सपना था IAS बनना, होनहार बेटे ने कर दिया सच

Tuesday, Jul 30, 2019 - 01:13 PM (IST)

नई दिल्ली: कुछ के सपने साकार हो जाते हैं, तो कुछ उसे सच करने की कोशिश में लगे रहते हैं। एक ऐसी ही कहानी है जिसमें एक व्यक्ति ने पहली  कोशिश में ही सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर ली। हरियाणा के हासी में पढ़ाई करने वाले हिमांशु नागपाल ने आईएएस परीक्षा में 93वां रैंक हासिल किया है। हिमांशु नागपाल की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है। हिमांशु सफलता की तीन कुंजी मानते हैं सही दिशा, सही मेहनत और सही मोटिवेशन।

हिमांशु नागपाल सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर समाज के नाम एक संदेश भी दिया है कि कैसे एक चाचा ने आगे बढ़कर सहारा दिया और बेटे के लिए एक पिता के देखे सपने को सच किया। घर में आंखों में एक गहराई सी है जो खुशियों से इतनी भरी है कि खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा ही होता है जब किसी की बरसों की मेहनत, दिनरात जागने की तपस्या और हर पल संघर्ष, एक बड़ी सफलता में बदलता है। 

करियर की शुरुवात
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले हिमांशु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम किया और फिर थर्ड ईयर से ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में जु़ट गए थे, जो तीन साल पहले ही उनका सपना बन चुका था। दरअसल इस सफर की शुरुआत एक बेहद दुखद घटना के बाद हुई जब हॉस्टल में दाखिले के लिए आए पिता की घर वापसी के दौरान ही मृत्यु हो गई।

-हरियाणा के हासी में पढ़ाई कर बारहवीं में 97 परसेंट लाने वाले हिमांशु के लिए कॉलेज का माहौल बेहद विचलित कर देने वाला था उन्हें कायदे से इंग्लिश नहीं आती थी, जो आती थी उसके उच्चारण को लेकर वे बेहद घबराए रहते थे।

पिता के सपने को किया साकार
हिमांशु ने पिता की मृत्यु के बाद पिता की कही वह बात याद रखी और आज आईएएस परीक्षा पास कर पिता के सपने को साकार किया है।

चाचा ने बढ़ाया हौसला 
हर मुश्किल वक्त में चाचा ने हिमांशु को संभाला है, इस बात का भरोसा दिलाया कि वे हर वक्त उनके साथ हैं। हिमांशु ने खुद को काफी हद तक संभाल भी लिया, लेकिन तभी जीवन में एक दूसरा तूफान आया और बड़े भाई भी गुजर गए। फिर भी चाचा ने उसकी हिम्मत बनाई रखी और चट्टान की तरह साथ खड़े दिखे और हौसला बढ़ाया।

कैसे की परीक्षा की तैयारी
हिमांशु ने शुरुआत में ही एग्जाम की तैयारी करने के लिए टाइम टेबल बनाया। वह अपने टाइम टेबल के साथ समझौता नहीं करते थे चाहे वो दिन कितना भी खास क्यों ना हो। बता दें कि एक बार उनका इरादा चार्टेड एकाउंटेंट या फिर कैट की परीक्षा देकर एक वैकल्पिक करिअर चुनने की भी हुआ लेकिन जब पता चला कि कैट की फीस इतनी भारी भरकम होती है कि लोन चुकाने के लिए दो-चार नौकरियां करनी पड़ेंगी तो सिविल सर्विसेज के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा। आज हिमांशु की सही दिशा, सही मेहनत और सही मोटिवेशन ने उनके पिता का अधूरा सपना पूरा कर दिया है।

Riya bawa

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