स्टूडैंट्स को डायरैक्ट मिलेगी साइकिल सबसिडी!

Sunday, Aug 06, 2017 - 11:42 AM (IST)

लुधियाना : देशभर में स्टूडैंट्स को मिलने वाली सबसिडी को आधार कार्ड से जोडऩे और खाद्य सबसिडी को सीधे आम जनता के खाते में डालने की योजना का पायलट प्रोजैक्ट शुरू होने के बाद अब विद्यार्थियों को मिलने वाली फ्री साइकिल की सबसिडी भी सीधे उनके खाते में डालने पर विचार हो रहा है। देशभर में राज्य सरकारें हर साल करीब 70 से 80 लाख साइकिलें टैंडर प्रक्रिया के जरिए खरीदती हैं और टैंडर प्रक्रिया के जरिए खरीदी गई ये साइकिलें ही स्कूलों में स्टूडैंट्स को दी जाती हैं। आसाम में सरकार द्वारा जारी किए गए टैंडर में अनियमितता की खबरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के कार्यलय तक पहुंचे के बाद स्टूडैंस को डायरैक्ट साइकिल सबसिडी देने के मामले में विचार शुरू हुआ है। हालांकि यह राज्य सरकारों का मसला लेकिन इस मामले में सारे पक्ष पारदर्शिता चाहते हैं । पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की सरकारें साइकिल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी कस्टमर हैं और इन दोनों राज्यों से इंडस्ट्री को 15 से 20 लाख साइकिल का आर्डर हर साल मिलता है। साइकिल की टैंडर प्रक्रिया में घोटाले होने के आरोप लगने के बाद अब साइकिल सबसिडी सीधे स्टूडैंट्स के खाते में डालने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

यदि ऐसा हुआ तो देश की उन साइकिल निर्माता कम्पनियों को भारी झटका लगेगा जो अधिकतर राज्यों में साइकिल की सप्लाई करती हैं जबकि अन्य छोटे साइकिल निर्माताओं को इसका सीधा लाभ भी होगा क्योंकि उन्हें भी देश में एक बड़ा बाजार मिल जाएगा। फिलहाल कई राज्यों की टैंडर प्रक्रिया की शर्तें कड़ी होने के कारण अधिकतर साइकिल निर्माता कम्पनियां राज्य सरकारों की टैंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले पातीं और बड़े साइकिल निर्माता छोटे निर्माताओं से साइकिल बनवा कर या साइकिल के पुर्जे 
लेकर राज्य सरकारों को आर्डर सप्लाई करते हैं।

स्टूडैंट्स को फायदा, रोजगार भी बढ़ेगा 
यदि सरकार की स्टूडैंट्स को साइकिल देने की बजाय सीधी सबसिडी उनके खाते में डालने की योजना सिरे चढ़ती है तो इससे उन्हें काफी फायदा होगा। स्टूडैंट्स सरकार की तरफ  से मिलने वाली 3 से साढ़े 3 हजार रुपए सबसिडी की रकम से अपनी मर्जी की साइकिल खरीद सकेंगे। फिलहाल सरकार की तरफ  से मिलने वाली साइकिल में स्टूडैंट्स के पास विकल्पहीनता की स्थिति रहती है और उन्हें वही साइकिल लेनी पड़ती है जो सरकार की तरफ  से उन्हें दी जाती है। यदि सरकार को सीधे साइकिल की आपूर्ति बंद की जाती है तो देशभर के ग्रामीण इलाकों में कम्पनियों को अपना सेल नैटवर्क  बढ़ाना होगा जिससे निचले स्तर पर रोजगार बढ़ेगा। हर साल 70 लाख से अधिक साइकिलें यदि डीलर के माध्यम से बिकेंगी तो डीलर के पास काम करने वाले लोगों को भी उसका लाभ होगा। यदि एक डीलर साल में 1000 साइकिल की बिक्री करे तो 70 लाख साइकिल बेचने के लिए कम से कम 7000 डीलर्स का नैटवर्क जरूरी होगा और एक दुकान पर 4 लोगों को काम मिले तो इससे कम से कम 28 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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