दिल्ली के सरकारी स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं में नहीं आ रहे छात्र

Tuesday, May 21, 2019 - 11:19 AM (IST)

नई दिल्ली (प्रियंका सिंह): दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे छात्रों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार की तरफ से समर कैंप, मिशन बुनियाद और रिमेडियल क्लास गर्मी की छुट्टियों में चलाई जा रही है। इसकी शुरुआत 15 मई से हो चुकी है। लेकिन, सरकार की तरफ से चलाई जा रही इस योजना का मकसद पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गर्मी की छुट्टियों में चल रहे योजनाओं में छात्रों भागीदारी न के बारबर हैं। दरअसल, शिक्षा निदेशालय की अधिकारिक वेबसाइट पर सरकारी स्कूल में चल रहे समर कैंप, मिशन बुनियाद और रिमेडियल क्लास में छात्रों की हाजिरी अपलोड किया जा रहा है। अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार पहले दिन 15 मई को सिर्फ 30.11 फीसदी छात्र ही स्कूलों में पहुंचे थे। वहीं 16 मई को 32.26 फीसदी, 17 मई को 31.45 फीसदी और 20 मई को 31. 46 फीसदी स्कूल में छात्रों की हाजिरी रही।

गौरतलब है कि गर्मी की छुट्टियों में चल रहे इन योजनाओं को लेकर सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि स्कूल के एचओएस और शिक्षक अतिरिक्त कक्षाओं के महत्व के बारे में अभिभावकों बताए। ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र इस योजना का फायदा उठा सके। लेकिन हाजिरी के आकड़ों को देखने के बाद लग नहीं रहा है कि इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंच रहा है। संबंधित मामले को लेकर शिक्षा निदेशालय के निदेशक विनय भूषण से बात करने की कोशिश की गई। लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।  राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव ने सरकार के इस पहल पर सवाल उठाते हुए कहा है कि तुगलकी फरमान के जरिए साल के बारह महीने स्कूल चलाकर सरकार बच्चों से उनका बचपन छीन रही है।

शिक्षकों की भारी कमी
अतिरिक्त कक्षाएं केवल चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं। दिल्ली सरकार मात्र बेहतर शिक्षा का झूठा ढोल पीट रही है। साथ ही स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, जिसकी वजह से भी छात्रों की संख्या पर असर पड़ रहा है। ऐसे में मुठी भर शिक्षकों द्वारा कंपार्टमेंट के छात्रों की कक्षाएं, 10वीं और 12वीं की निदानात्मक कक्षाएं, मिशन बुनियाद, समर कैंप इन सभी को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि कम शिक्षक होने की वजह से सभी कक्षाओं का टाइम टेबल भी नहीं बन पा रहा है।

Riya bawa

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