क्या कोरोना संकट के बीच स्कूलों का सिलेबस छोटा होना चाहिए?

punjabkesari.in Saturday, Jun 20, 2020 - 01:50 PM (IST)

नई दिल्ली: देशभर में कोरोनावायरस के मामले बढ़ने के कारण सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए थे। एेसे में लॉकडाउन के कारण घर पर कैद छात्र अॉनलाइन स्टडी कर रहे है और कुछ छात्र इंटरनेट सुविधा न होने की वजह से स्टडी नहीं कर पा रहे है। इससे एजुकेशन सेक्टर प्रभावित हो रहा है, इसी बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए इस शैक्षणिक सत्र (2020-21) के पाठ्यक्रम और स्कूल के घंटे घटाने पर विचार कर रहा है। 

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मंत्रालय ने इस विषय पर शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों से मांगे सुझाव-

#ज़्यादातर स्कूलों के छात्र ऑनलाइन क्लासेस के कारण पाठ्यक्रम घटाए जाने के पक्ष में हैं। लेकिन कुछ का कहना है कि  "पाठ्यक्रम कम होना ही चाहिए क्योंकि अभी जिस तरह से ऑनलाइन क्लासेस हो रही हैं, उस तरह से पूरा सिलेबस कर पाना मुश्किल है।

# जिस चैप्टर को कराने में दो दिन लगते थे, ऑनलाइन क्लास में वही चैप्टर चार-पांच दिन में हो रहा है। टाइम दोगुना हो गया, इससे तो पाठ्यक्रम पूरा होने में बहुत ज़्यादा टाइम लगेगा."

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नौवीं की छात्र का मानना है कि पाठ्यक्रम कम होने से बच्चों पर बोझ कम होगा। एक छात्र का कहना है कि इंटरनेट सुविधा न होने की वजह से बच्चों की तो ऑनलाइन क्लास भी नहीं हुई, ऐसे में उनपर पाठ्यक्रम का ज़्यादा दबाव होगा, इसलिए पाठ्यक्रम घटाना ही चाहिए।

क्या पाठ्यक्रम कम होने से होगा नुकसान
बहुत सारे पेरेंट्स के मन में ये आशंका भी है पाठ्यक्रम घटाने से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो नहीं होगा? इस पर जवाब में कहा गया है कि पाठ्यक्रम कम करने को लेकर इतना चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि सिलेबस कम भी कर दें तो जिन बेसिक चीज़ों को सीखना है, वो तो सीख ही जाएंगे। मतलब कम सीखे, लेकिन ठीक से सीखें तो इससे कुछ नुकसान नहीं होगा बल्कि मैं तो कहूंगा इस बार परीक्षा के तरीक़े को भी आसाना रखना चाहिए।"

पाठ्यक्रम कम करने को लेकर शिक्षकों के सुझाव -

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#शिक्षक, शिक्षा विशेषज्ञ और परिजनों का कहना है कि  हिस्ट्री और साइंस जैसे विषयों में कुछ ऐसे टॉपिक होते हैं जो बच्चों को आगे चलकर काम नहीं आते, उन्हें हटाया जा सकता है।

#कई टॉपिक ऐसे होते हैं जो बच्चों ने पिछली कक्षाओं में पढ़े होते हैं, उससे मिलते-जुलते टॉपिक को हटाया जा सकता है।

# गणित और विज्ञान जैसे विषयों में ये सब थोड़ा सोच समझ कर करना होगा, क्योंकि हर टॉपिक एक दूसरे से जुड़ा होता है लेकिन उसमें ये किया जा सकता है, अभ्यास और नंबर ऑफ प्रोब्लम सोल्विंग को कम किया जा सकता है।”


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Author

Riya bawa

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