विदेश में पढ़ने को प्राथमिकता दे रहे पंजाब,घटी कालेजों में स्टूडैंट्स की संख्या

Monday, Aug 06, 2018 - 12:06 PM (IST)

जालंधरः दोआबा क्षेत्र के कालेज आर्थिक संकट में घिरते जा रहे हैं। हर साल विद्यार्थियों के दाखिले की संख्या घटती जा रही है। कालेजों में विद्यार्थियों की संख्या घटने के दो बड़े कारण सामने आए हैं। दोआबा क्षेत्र, जो एनआरआईज के गढ़ के तौर पर भी जाना जाता है। यहां के लोगों का रुझान विदेशों में जाकर पहमे की तरफ बढ़ता जा रहा है। अब विद्यार्थी 12वीं कक्षा के बाद कालेज में दाखिला लेने की जगह विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं। यहां धड़ल्ले से आइलैटस करवाने के सैंटर खुले हुए हैं और इमीग्रेशन के दफ़्तर हर गली -मोहल्ले में मिल जाते हैं। ओर तो ओर गांवों में भी आइलैटस और इमीग्रेशन वालों ने अपने डेरे लगा रखे हैं। इस कारण विद्यार्थी 12वीं करने के बाद आइलैटस करने को प्रथमिकता दे रहे हैं।

कालेजों में दाखिला घटने का दूसरा बड़ा कारण पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के अंतर्गत दलित विद्यार्थियों के फंड का ना आना है। केंद्र में जब डा. मनमोहन सिंह का नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी तब तक पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के पैसे समय पर आते रहे। वर्ष 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार होंद में आई तब से ही सबसे बड़ा काट पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के फंडों को लगा है। वर्ष 2015 से इस स्कीम के अंतर्गत आने वाले फंड में देरी और पंजाब सरकार की तरफ से इस स्कीम के अंतर्गत आए फंड को इधर -उधर खर्चने कारण कालेजों को समय सिर पैसे नहीं मिले तो कालेजों ने दलित विद्यार्थियों को इस स्कीम के अंतर्गत दाख़िला देने से टाल -मटोल करनी शुरू कर दी।


पीटीयू के डीन एनपी सिंह का कहना था कि इस बार 20 प्रतिशत विद्यार्थी कम दाखिल हुए हैं। पंजाब की जगह हिमाचल, जे एंडके, बिहार, झारखंड से विद्यार्थी आ रहे हैं। पीटीयू और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के दाखिले की आखिरी तारीख 15 अगस्त है। पीटीयू ने विद्यार्थियों को यहां दाखिल होने के लिए अपनी वैबसाईट पर यह प्रमुखता के साथ दिया हुआ है कि यूनिवर्सिटी की सांझ कैनेडा की थामस यूनिवर्सिटी के साथ हो गई है और यहां दाखिल होने वाले विद्यार्थी उसी पाठ्यक्रम में कैनेडा में भी दाखिला ले सकते हैं।


पंजाब अनएडिड कालेज एसोसिएशन के प्रधान आंशू कटारिया ने बताया कि जिन कालेजों में फार्मेसी, कृषि, नर्सिंग के पाठ्यक्रम कराए जाते हैं, जिनकी मांग कैनेडा में ज़्यादा है, वह सीटें तो पुरी भर जातीं हैं परन्तु इंजीनियरिंग की सीटें खाली रहने से कालेजों को नुक्सान हो रहा है। 

Sonia Goswami

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