गैर-सरकारी जमीन पर बने स्कूलों में बार-बार होने वाली फीस बढ़ौतरी पर लगाम लगाने की तैयारी

Thursday, May 11, 2017 - 09:37 AM (IST)

नई दिल्ली : एक तरफ जहां राजधानी के निजी स्कूल 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ शिक्षकों और कर्मचारियों को देने के लिए फीस बढ़ौतरी की तैयारी में जुटे हैं वहीं दिल्ली सरकार फीस बढ़ौतरी पर लगाम लगाने के लिए गैर-सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों के खातों की जांच (ऑडिट) करवाने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार गैर-सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों के खातों की जांच के लिए मॉडर्न स्कूल बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2004 के फैसले को आधार बनाएगी।

सरकार को शिकायतें मिल रही थीं
अभिभावकों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि एक ही शहर में जब सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को फीस बढ़ौतरी की जरूरत नहीं है तो गैर-सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को फीस बढ़ाने की जरूरत क्यों है।

तो फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी
जिन स्कूलों के पास पहले से अतिरिक्त सरप्लस धन होगा उनको फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। मान्यता देने की शर्तों के तहत कोई भी स्कूल जरूरत से ज्यादा धन अपने खातों में जमा नहीं कर सकता है।

शिक्षा निदेशक को है अधिकार 
क्या सरकार निजी स्कूलों के खातों की जांच करवा सकती है, इस बारे में अधिवक्ता 
खगेश झा ने बताया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 17 (3) और नियम 180 में शिक्षा निदेशक को पर्याप्त अधिकार हैं।

फैसला बनेगा आधार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार के शिक्षा निदेशालय को सभी सरकारी व गैर-सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों के खातों का हर साल ऑडिट करवाने का आदेश दिया। 13 साल बीत जाने के बाद भी आदेश पर अमल नहीं हो सका है। अब दिल्ली सरकार निजी स्कूलों के खातों की जांच करवाएगी और इसके आधार पर यह तय करेगी कि फीस बढ़ाने की अनुमति देनी है या नहीं। अगर अनुमति देनी है तो कितने प्रतिशत यह तय किया जाएगा। जहां तक सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों का सवाल है तो वे हाईकोर्ट के पिछले साल के फैसले के तहत सरकार की अनुमति के बगैर फीस में किसी तरह की बढ़ौतरी नहीं कर सकते।

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