‘बेस्ट ऑफ फोर’ में आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं को शामिल करने के लिए याचिका

punjabkesari.in Tuesday, Sep 18, 2018 - 12:16 PM (IST)

नई दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिये ‘बेस्ट ऑफ फोर’ के अंकों की गणना के लिए मलयालम समेत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं पर विचार करने की मांग करने वाली केरल के छात्रों की याचिका पर केंद्र और विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है।      न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दिल्ली विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया और याचिका पर उनसे जवाब मांगा।      

याचिका में दावा किया गया है कि विश्वविद्यालय का चयन का मापदंड ‘मनमाना और अतर्कसंगत’ है। केरल के छह छात्रों ने कहा कि ‘बेस्ट ऑफ फोर’ की गणना सिर्फ विश्वविद्यालय की विवरणिका में संस्कृत, हिंदी, बांग्ला और पंजाबी भाषा का ही विषय के रूप में उल्लेख है। इन छात्रों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता जोस अब्राहम और एम पी श्रीविग्नेश ने किया।      


याचिका में कहा गया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य भाषाओं को इससे बाहर रखा गया है और ‘बेस्ट ऑफ फोर’ के अंकों की गणना के लिये विवरणिका में उल्लिखित विषयों की जगह किसी अन्य विषय पर विचार किया जाता है तो कुल अंक में से ढाई फीसदी अंक काट लिया जाता है। याचिका में कहा गया है, ‘‘इससे उन छात्रों को काफी असुविधा होती है जिन्होंने बोर्ड परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना और उसमें काफी अधिक अंक लाया।’’      


याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा ज्यादातर क्षेत्रीय भाषाओं को अतर्कसंगत और मनमाने तरीके से बाहर रखना संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।’’ अदालत ने याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 26 नवंबर को निर्धारित की। विश्वविद्यालय प्रवेश के इच्छुक छात्र की योग्यता सबसे अधिक अंक लाने वाले चार विषयों के आधार पर तय करता है। इन्हें ही ‘बेस्ट आफ फोर’ कहते हैं।      


सबसे ज्यादा पढ़े गए

pooja

Recommended News