सिर्फ इन वजह से रह जाते हैं बच्चे इंग्लिश में पीछे, जानें
Monday, Aug 14, 2017 - 05:22 PM (IST)
नई दिल्ली : आज के समाज में अंग्रेजी का बहुत महत्व है। जो व्यक्ति अंग्रेजी में बात करता है उसे काफी पढ़ा-लिखा और सभ्य समझा जाता है। इसके उलट जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं, उन्हें लोग अनपढ़ और गंवार समझते हैं। इसलिए आजकल के सभी माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहते हैं, ताकि उनका बच्चा समाज में सभ्य और समझदार बनने के लिए अंग्रेजी बोल सके। आजकल भारत में भी केवल उन्ही लोगों को नौकरी मिल पा रही है, जो अच्छी अंग्रेजी जानते हैं। ऐसे में लोगों का अंग्रेजी ना जानना ही बेरोजगारी की वजह बन रहा है। कई कैंडिडेट्स तो इतने अच्छे हैं, लेकिन उन्हें अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान नहीं है, इस वजह से वह पीछे रह जाते हैं। शिक्षा के स्तर के मामले में प्राइवेट इंस्टीट्यूट हों या स्कूल, सभी की हालत खस्ता हो चुकी है। वैसे तो सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने का दावा किया जाता है लेकिन असल में ऐसा कुछ है नहीं। इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ने के बावजूद 50 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में कमजोर रह जाते हैं।
योग्य अध्यापकों की कमी
भारत इस समय योग्य शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। जब अच्छे शिक्षक ही नहीं होंगें तो वो विद्यार्थियों को क्या योग्य बना पाएंगें। बस इसी चक्कर में भारत का आने वाला भविष्य बिगड़ रहा है।
नियमों का पालन ना करना
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की इंग्लिश स्पीकिंग पर खास ध्यान दिया जाता है। प्राइवेट स्कूलों में ये नियम है कि बच्चों को अंग्रेजी भाषा में ही बात करनी है। ऐसा ना करने पर उन्हें सज़ा भी दी जाती है जबकि सरकारी स्कूलों में ऐसा कोई भी नियम नहीं है। ऐसे स्कूलों में इंग्लिश को बस एक सबजेक्ट की तरह पढ़ाया जाता है
माता-पिता का पढ़ा लिखा ना होना
कहते हैं कि बच्चे जो सुनते और देखते हैं वहीं करते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता पढ़े-लिखे होते और इंग्लिश में बात करते हैं उनके बच्चे भी अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं। लेकिन जिन घरों में माता-पिता हिंदी में बात करते हैं वहां बच्चों को भी हिंदी बोलने की ही आदत पड़ जाती है।