‘संस्कृत भाषा ही नहीं जीवन जीने की शैली भी’

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 09:34 AM (IST)

नई दिल्ली: संस्कृत भाषा ही नहीं, अपितु जीवन जीने की शैली भी है। चाणक्यपुरी स्थित मैत्रेयी महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित ग्यारह दिवसीय संस्कृत संभाषण कार्यशाला के समापन अवसर पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा ने ये बात कही। दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के उपप्राचार्य डॉ. ओमनाथ विमली ने कहा कि संस्कृत संभाषण कार्यशाला में संस्कृत से भिन्न अध्यापकों की सहभागिता संस्कृत के लिए शुभ संकेत है।

 

कार्यशाला में बतौर चीफ  गेस्ट आमंत्रित लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ की डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. कमला भारद्वाज ने बताया कि संस्कृत आपस में सद्भाव से रहने की सीख देती है। डॉ. प्रदीप राय ने कहा कि संस्कृत कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम भाषा है तथा इसके उच्चारण मात्र से रक्तचाप, मधुमेह इत्यादि असाध्य रोगों से बचाव हो जाता है। प्रो. यशवीर सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा मनुष्य में संस्कार एवं सदाचरण का संचार करती है। डॉ. नवीन शर्मा ने कहा कि संस्कृत भारती इस तरह के आयोजनों में सहयोग हेतु सदैव तत्पर रहती है। कार्यक्रम में संस्कृत विभाग की ओर से खुशबू शुक्ला व रिंकल को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यशाला में मंच का कुशल संचालन डॉ. अनिरुद्ध ओझा ने किया। 


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pooja

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