सीटों से ज्यादा दाखिले से बचने को जरूरी है डीयू में एंट्रेंस टेस्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2019 - 02:02 PM (IST)

नई दिल्ली (मनीष राणा): डीयू की कटऑफ आसमान छूती है, इतनी ऊंची कटऑफ पर कहां से छात्र दाखिले लेंगे। डीयू की कटऑफ व्यवहारिक होनी चाहिए। डीयू की ऊंची कटऑफ को लेकर मचने वाला यह हल्ला इस बार हवा होता दिखाई दे रहा है और कॉलेजों के सामने दूसरी समस्या खड़ी हो गई है, जो जिसका भार उन्हें पूरे साल उठाना पड़ेगा। 99 प्रतिशत की कटऑफ जारी करने के बाद पहली कटऑफ में ही कॉलेज में सीटों से ज्यादा दाखिले हो गए। ऐसे में कॉलेजों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है और कॉलेजों को इससे बचने का एक ही रास्ता दिखाई दे रहा है। वह है डीयू में दाखिले के लिए एंट्रेस शुरू किया जाए। हिन्दू कॉलेज ने 99 प्रतिशत पर राजनीतिक शास्त्र की पहली कटऑफ निकाली,जो इस बार की सबसे ऊंची कटऑफ रही। 

कॉलेज में इस विषय की 46 सीटें है। 99 प्रतिशत की कटऑफ देख लगा था, इसमें आधे से ज्यादा सीटें खाली रह जाएगी, मगर हुआ इसका उल्टा। दाखिले के तीसरे दिन तक यहां 85 दाखिले हो चुके है। वहीं बात रामजस कॉलेज की करें तो वहां तीसरे दिन तक कुल 800 दाखिले हो चुके है। जिसमें राजनीतिक शास्त्र की 68 और 20 सुपरनुमेरी सीटों को मिलाकर कुल 88 सीटें है,जिन पर 200 दाखिले सोमवार शाम तक हो चुके थे। 

यह बात केवल हिन्दू और रामजस कॉलेज की ही नहीं बल्कि इसबार कई कॉलेजों में देखने को मिली है कि पहली कटऑफ में ही सीटों से दो से तीन गुणा तक दाखिले हो गए है। रामजस कॉलेज प्रिसिपल डॉ.मनोज कुमार खन्ना का कहना है कि इसबार अलग ही स्थिति देखने को मिल रही है। पहली कटऑफ में ही कई कॉलेजों में सीटों से ज्यादा दाखिले हो गए है। इससे यह पता चल गया है कि एंट्रेस के अलावा अब चारा रहा नहीं है। 

सीटों से ज्यादा दाखिलों का कॉलेजों पर पड़ता है भार 
सीटों से ज्यादा दाखिले होने पर कॉलेजों के लिए मुश्किले खड़ी हो जाती है। कॉलेजों को विषय में पास सीटों के अनुसार ग्रांट मिलता है,जो सीटों से ४यादा दाखिले होने पर भी उतना ही रहता है। इसके  अलावा पास सीटों के अनुपात में ही शिक्षकों की नियुक्ति होती है। इस तरह से कॉलेजों को व्यवस्था बनाए रखने में दिक्कतें होती है।

कटऑफ में आने वाले सभी छात्रों को देना पड़ता है दाखिला 
डीयू दाखिला नियमों के अनुसार एक कटऑफ से दाखिला लेने के लिए छात्रों को तीन दिन का समय मिलता है। इसके साथ ही यह भी नियम है कि जो भी छात्र कटऑफ में आ रहे है, तीन दिन तक चलने वाली दाखिला प्रक्रिया में यदि वह दाखिला लेने आते हैं,तो कॉलेज को दाखिला देना होगा,भले सीटें भर चुकी हों। यहीं कारण है कि सीटों से ज्यादा दाखिले होते हैं। 


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Author

Riya bawa

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