NCERT जारी करेगा नर्सरी में दाखिले के लिए गाइडलाइन

Sunday, Apr 29, 2018 - 04:08 PM (IST)

नई दिल्ली : नर्सरी में दाखिले को लेकर की जाने वाली मनमानी पर रोक लगाने और  एजुकेशन में सुधार  के लिए एनसीईआरटी की जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी । जिसमें नर्सरी में पढ़ने के लिए बच्चे की उम्र तीन साल तय की जाएगी। साथ ही कहा गया है कि दाखिले की प्रक्रिया के दौरान मूल्यांकन और बातचीत शामिल नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा शिक्षकों के पास प्री स्कूल एजुकेशन में डिप्लोमा होना चाहिए। एनसीईआरटी ने कहा है कि प्री स्कूल एजुकेशन दो साल का होगा। अभी तक नर्सरी में एडमिशन के लिए कोई नियम नहीं था स्कूल अपनी सुविधा के अनुसार दाखिला कर लेते थे।  एनसीईआरटी की गाइडलाइन के मुताबिक प्रवेश प्रक्रिया में मूल्यांकन या बातचीत शामिल नहीं होनी चाहिए। वहीं शिक्षकों को कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए और प्री स्कूल एजुकेशन में डिप्लोमा होना चाहिए। इसी के साथ 4 घंटे की क्लास में टीचर और बच्चों का अनुपात 1:25 होना चाहिए।  मतलब 25 बच्चों के लिए 1 टीचर क्लास में मौजूद रहे

गौरतलब है कि ये नर्सरी शिक्षा की गाइलाइन की कुछ शर्तें हैं जो शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राज्य सरकार के साथ इस हफ्ते साझा की है।  वहीं उन स्कूलों के प्री-स्कूल के रूप में जाना जाता है जिसमें  जो 3 साल से 6 साल के बच्चों के शिक्षा प्रदान करता है। प्री स्कूल और नर्सरी को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर आंगनवाड़ी, बलवाडी, नर्सरी, प्रारंभिक, प्री-प्राथमिक, एलकेजी और यूकेजी सहित विभिन्न नामों से जाना जाता है। वर्तमान में, नर्सरी शिक्षा के लिए कोई मॉडल पाठ्यक्रम नहीं है और स्कूल यह तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि बच्चों को क्या और कैसे सिखाया जाना चाहिए। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने नर्सरी प्रवेश के लिए मानदंडों को परिभाषित किया है। 

आपको बता दें, वर्तमान में नर्सरी शिक्षा के लिए कोई मॉडल पाठ्यक्रम नहीं है।  वहीं स्कूल पूरी तरह से स्वत्रंत हैं कि वह बच्चों को क्या और कैसे सिखाया जाना चाहिए। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने नर्सरी दाखिले के लिए मानदंडों को परिभाषित किया है।  साल 2013 में 'महिला एवं बाल विकास मंत्रालय' ने प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीईआरटी दस्तावेज पर पहली बार नीति जारी की थी।  इस नीति में बताया गया था कि बच्चों के लिए प्री-स्कूल दो साल के लिए होना चाहिए।  एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया आज देश भर के प्री-स्कूल में पढ़ाई काफी करवाई जा रही है जो छोटे बच्चों लिहाज से ठीक नहीं है। वहीं नर्सरी स्कूलों के लिए जारी इन गाइडलाइन से हम उन स्कूलों को शैक्षिक दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। ताकि बच्चों को पढ़ाई बोझ न लगे।

स्कूल कैंपस और इंफ्रास्ट्क्चर को लेकर भी दिशा निर्देश 
एनसीईआरटी ने स्कूल कैंपस और इंफ्रास्ट्क्चर को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किया है। जिसके तहत स्कूल के पास बच्चों के खेलने के लिए एरिया होना चाहिए वहीं स्कूल के चारों तरफ बाउंड्री होनी चाहिए। दिशा निर्देश के मुताबिक स्कूल की इमारत यातायात, तालाबों, कुओं, छिद्रों, खुली नालियों से दूर स्थित होनी चाहिए।लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय और परिसर में सीसीटीवी कैमरे होना चाहिए। प्रीस्कूल कक्षा के मानक आकार को भी परिभाषित किया गया है। जिसके तहत अधिकतम 25 बच्चों को समायोजित करने के लिए 8 x 6 वर्ग मीटर जगह होना जरुरी है। स्कूल में स्टाफ की नियुक्ति के लिए पुलिस वैरिफिकेशन जरूरी किया गया है।  

गाइडलाइ में प्री-स्कूल स्कूलों में पहले साल और दूसरे साल में तीन लक्ष्यों को बताया गया है।  ताकि बच्चे शुरुआती पढ़ाई को सही तरीके से समझ पाए। इसमें बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने, इफेक्टिव कम्यूनिकेटर और पर्यावरण से जुड़ने के बारे में पढ़ाया जाना जरूरी है। प्री-स्कूल के पहले साल में बच्चों की शिक्षा के लिए जारी एनसीईआरटी के दस्तावेज में 17 ऐसी बातें बताई गई है जो बच्चों को हर प्री-स्कूल में सीखानी चाहिए। 

जिसमें पहले साल में बच्चे को सुनना, प्रतिक्रिया देना औरआई कॉन्टेक्ट सीखाना जरूरी है।  वहीं दूसरे साल में बच्चे को "कौन", "क्या", "जहां" जैसे सरल प्रश्नों का जवाब देना सीखाना चाहिए। आपको बता दें, अभी ये गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। राज्य सरकार को एनसीईआरटी को दिशानिर्देशों और पाठ्यक्रमों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए दो सप्ताह लगेंगे। जिसके बाद इस गाइडलाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा

bharti

Advertising