शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों के नवाचार को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देगा एनसीईआरटी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 05:34 PM (IST)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने नवाचार पद्धतियों एवं प्रयोगों के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं में पठन पाठन के स्तर को बेहतर बनाने वाले शिक्षक एवं शिक्षक प्रशिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करने के लिये एक दशक पुरानी सम्मान योजना में बदलाव किया है । राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक अधिकारी ने बताया कि साल 2007 में शुरू इस योजना को ‘ स्कूलों एवं शिक्षक शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा के संबंध में नवाचार पद्धति एवं प्रयोगों पर अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धा ’ के रूप में जाना जाता था ।

उन्होंने बताया कि करीब 10 वर्ष बाद यह महसूस किया गया कि पठन पाठन में नवाचार एवं नये प्रयोग करने वाले शिक्षकों एवं शिक्षक प्रशिक्षकों के व्यक्तिगत प्रयासों को मान्यता प्रदान की जानी चाहिए । इसलिये इस योजना को नये स्वरूप में पेश किया गया है और अब इसे ‘‘शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों पर विद्यालयों और अध्यापक शिक्षा संस्थानों के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार’’ के रूप में जाना जायेगा । इस योजना के तहत 60 शिक्षक एवं शिक्षक प्रशिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किया जायेगा । इसमें 40 स्कूल शिक्षक होंगे । इन शिक्षकों में 20 प्री प्राइमरी या प्राथमिक स्कूल के शिक्षक होंगे जबकि 20 माध्यमिक स्तर या उच्च माध्यमिक स्तर के शिक्षक होंगे । इस योजना के तहत 20 शिक्षक प्रशिक्षकों को पुरस्कृत किया जायेगा जिसमें 10 प्री प्राइमरी या प्राथमिक स्तर के और 10 माध्यमिक स्तर के संस्थाओं के शिक्षक प्रशिक्षक होंगे ।  

31 जुलाई तक तक सकते है आवेदन 
इसके लिये शिक्षक एवं शिक्षक प्रशिक्षक परियोजना प्रस्ताव के साथ प्रत्येक वर्ष 31 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। शिक्षक एवं शिक्षक प्रशिक्षकों को यह बताना होगा कि स्कूल या कक्षा में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए किस प्रकार से माहौल को उन्होंने बेहतर बनाया । उन्हें यह भी बताना होगा कि छात्रों के र्लिनंग आउटकम के मूल्यांकन की व्यवस्था तथा शांति एवं अन्य मानवीय मूल्यों को विकसित करने के लिये क्या पहल की गई ।शिक्षकों को अपनी परियोजना प्रस्ताव में यह बताना होगा कि दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिये किस प्रकार की रणनीति विकसित की गई तथा कमजोर वर्ग के बच्चों को जागरूक बनाने के लिये क्या पहल की गई । परियोजना रिपोर्ट 5000 शब्दों में पेश करनी होगी और सारांश 500 शब्दों में पेश करना होगा ।  
 


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