Mission admission : एडमिश्न देने में मनमानी कर रहे है प्राइवेट स्कूल

Wednesday, Feb 21, 2018 - 11:04 AM (IST)

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में 15 फरवरी को नर्सरी दाखिले की पहली सूची जारी होने के बाद स्कूलों की मनमानी के चलते अभिभावकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस वर्ष दाखिले को लेकर स्कूलों को अपने निजी नॉर्म्स बनाने की छूट है जिसमें कई स्कूलों ने मनमानी की है। घर से स्कूल नजदीक होने के बावजूद कई अभिभावकों को नेबरहुड का फायदा नहीं मिल रहा। अलग-अलग स्कूलों के अलग-अलग मानकों पर नर्सरीडॉटकॉम के सुमित वोहरा का कहना है कि किसी ने 0-3 किलोमीटर की दूरी ली है तो किसी ने 4 या 5 किमी की दूरी नेबरहुड में शामिल की है। इसी तरह सिबलिंग(भाई-बहन) के लिए भी मानक ठीक से लागू नहीं किए जा रहे हैं। 

शिकायतों की होगी समीक्षा
दिल्ली सरकार से छात्र संघ प्रवक्ता अक्षय मराठे ने बताया कि दिल्ली में तकरीबन 2500 सरकारी- निजी स्कूल हैं जिनमें 80-90 अच्छे निजी स्कूलों में दाखिले पर सबका फोकस रहता है। इसलिए मारामारी रहती है।  1978 दिल्ली स्कूल एक्ट के तहत शिकायत मिलने पर स्कूल की मान्यता रद की जा सकती है। पिछले साल फीस वापसी के मुद्दे पर सरकार ने कहा था कि सरकार स्कूल को टेकओवर भी कर सकती है। दिल्ली सरकार को अभिभावकों की बहुत समस्याएं मिली हैं। जल्द ही सारी शिकायतों की समीक्षा की जाएगी। अक्षय ने बताया कि अभिभावक परेशान न हों सरकारी स्कूलों में भी अब बेहतर सुविधाएं व स्मार्ट क्लासेस जारी हैं। दिल्ली सरकार पायलट स्कूल पर काम कर रही है। 150 से ज्यादा सरकारी स्कूल अच्छी शिक्षा, वातावरण दे रहे हैं। जल्द ही खाली पड़े 27 हजार पद भरे जाएंगे। 

नेबरहुड का फायदा नहीं
अभिभावकों का कहना है कि कई स्कूलों में उन्हें नेबरहुड का भी फायदा नहीं मिला जबकि उनका घर 2-5 किमी के दायरे में ही है। इस बाबत स्कूलों का कहना है कि आजकल हर 4-5 किमी में 2 से अधिक स्कूल होते हैं। इसलिए वो आसपास के बच्चों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।

एनसीआर का रुख कर रहे अभिभावक
दाखिले की पहली सूची से कई अभिभावकों की आस टूट गई है। प्रतीक्षा सूची में भी अधिक लाइन होने से वह बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अभिभावक अब दिल्ली से सटे एनसीआर के स्कूलों का रुख कर रहे हैं। इनमें फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, बहादुरगढ़, कुंडली व गुरुग्राम प्राथमिकता में हैं। पंजाबी बाग में रहने वाले अभिभावक नरेश के मुताबिक उन्होंने 11 स्कूलों में आवेदन किया था लेकिन पहली सूची में ही उनके बच्चे का नाम कहीं नहीं आया। 

एज लिमिट और ईडब्ल्यूएस ने उलझाया 
निजी स्कूलों में एज लिमिट को लेकर भी अलग-अलग मानक हैं। कोई स्कूल 0-3 साल तो कोई 0-5 साल तक के बच्चों को एज लिमिट के मानक में रख रहा है। निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत सीटें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत भरनी हैं लेकिन कई स्कूलों में अब तक ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 10 फीसदी दाखिले भी नहीं हुए। 

Advertising