IAS Success Story: 6वीं कक्षा में हुई फेल, बिना कोचिंग के पहले प्रयास में बनी IAS अफसर

punjabkesari.in Monday, May 18, 2020 - 10:38 AM (IST)

नई दिल्ली: हर जीवन की कहानी एक सी नहीं होती, लेकिन किसी मोड़ पर कुछ ऐसा होता है जिससे पूरी कहानी बदल जाती है। बहुत से उम्मीदवार अपना ख्वाब पूरा करने के लिए वर्षों तैयारी करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो पहले ही प्रयास में और बेहद कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर लेते हैं। इन्हीं होनहारों में से एक हैं पंजाब के गुरुदासपुर जिले से रुक्मिणी रियार की। 

 IAS Rukmani Riar

यह कहानी एक लड़की की है जो कक्षा 6वीं में फेल हो जाती है और पढ़ाई में आगे भी एवरेज रहती है। उसने यूपीएससी की तैयारी के लिए कैसे हौसला जुटाया होगा? यूपीएससी सिविल सेवा में दूसरा स्थान हासिल कर लोगों को आश्चर्य चकित कर दिया। रुक्मिणी रियार की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है। 

जानें रुक्मिणी रियार की IAS अफसर बनने की कहानी 

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जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
रुक्मिणी रियार का जन्म पंजाब के गुरुदासपुर जिले में हुआ था उनकी माता तकदीर कौर एक गृहणी थी और उनके पिता बलजिंदर सिंह रियार एक सेवानिवृत उप जिला अटॉर्नी हैं।  रुक्मिणी रियार अपनी प्रारंभिक पढ़ाई के कुछ वर्ष गुरुदासपुर में बिताये परन्तु कक्षा 4 में उनका एडमिशन एक बोर्डिंग स्कूल में करा दिया गया। 

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कक्षा 6 में हुई थी फेल 
अचानक बोर्डिंग स्कूल में जाने से रुक्मिणी रियार काफी प्रभावित हुई उन्हें इस नए वातावरण में खुद को ढालने में कुछ वक्त लग। आये इस बदलाव के कारण ही रुक्मिणी रियार कक्षा 6 में फेल हो गईं। वह बताती है कि फेल होने से वह इतनी शर्मिंदगी महसूस करने लगी कि उन्होंने अपने टीचर्स एंव पैरेंट्स से बात करना काफी कम कर दिया लेकिन वे इस असफलता से निराश होकर नहीं बैठी बल्कि सबक लेकर आगे बढ़ी। 

IAS बनने की मिली प्रेरणा
रुक्मिणी रियार ने अपनी असफलता से सबक लिया और आगे बढ़ती रहीं।  उन्होंने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस से मास्टर्स डिग्री हासिल की। इसके  बाद कई NGO में काम करके देश की और समाज की सेवा की। 

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इसी बीच उन्होंने यह महसूस किया कि समाज में कुछ बदलाव लाने के लिए ग्राउंड लेवल पर कुछ चेंजेज लाने आवश्यक हैं. यहीं से उन्हें IAS बनकर देश की सेवा करने की प्रेरणा मिली। 

बिना कोचिंग के पहले प्रयास में हासिल की दूसरी रैंक 
जिस परीक्षा को क्लियर करने के लिए परीक्षार्थी सालों-साल कठिन मेहनत करते हैं और अच्छी से अच्छी कोचिंग की मदद लेते हैं। उस परीक्षा को रुक्मिणी रियार ने बिना कोचिंग की मदद लिए ही अपने पहले ही प्रयास में क्लियर ही नहीं किया बल्कि UPSC (IAS) जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल किया। 

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-रुक्मिणी रियार ने वर्ष 2011 की यूपीएससी परीक्षा में यह रैंक हासिल किया था। रुक्मिणी रियार ने अपनी लगन और मेहनत से यह सिद्ध कर दिया है कि यदि आप में टैलेंट और दृढ इच्छाशक्ति है तो आप किसी भी उंचाई को छू सकते हैं। रुक्मिणी रियार राजस्थान में बूंदी जिले के जिला अधिकारी (DM) और उनके पति सिद्धार्थ सिहाग राजस्थान के झालावार जिले में DM हैं। 


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Author

Riya bawa

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