पुण्यतिथि विशेष: जब सुरक्षा थोपने पर बोले थे गांधी जी..छोड़ दूंगा दिल्ली

Wednesday, Jan 30, 2019 - 12:35 PM (IST)

नई दिल्लीः महात्मा गांधी वीवीआईपी कल्चर और नेताओं को दी जाने वाली सुरक्षा के सख्त खिलाफ थे। यहां तक कि जब केंद्र सरकार ने उन पर जान के खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा की आवश्यकता बताई थी, तब भी उन्होंने इनकार कर दिया था। गांधी ने अधिकारियों को लगभग चेतावनी भरे लहजे में यह भी कहा था कि अगर उन पर जबरदस्ती सुरक्षा थोपी गई तो वह दिल्ली छोड़ देंगे। बता दें कि आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। 30 जनवरी, 1948 को महत्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी।  

महात्मा गांधी के निजी सचिव वी कल्याणम ने राष्ट्रपिता के बारे में यह रोचक जानकारी बताई। उन्होंने बताया कि यद्यपि सरकार की तरफ से गांधी जी को उनकी हत्या से पहले कई बार चेतावनी दी गई कि उनकी जान को खतरा है, लेकिन राष्ट्रपिता ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि वह किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं चाहते हैं। 

  
कौन थे महात्मा गांधी

पोरबंदर के जिस घर में महात्मा गांधी पैदा हुए थे, उसे 1944 में उनके परिवार से खरीदकर बढ़ाया गया और उसका नाम कीर्ति मंदिर रखा गया। गांधी जी को महसूस करने के लिए यह अच्छी जगह है।

 
1916 में अमेरिका में पहला परिवार नियोजन केंद्र खोलने वाली मार्गरेट सैंगर ने गांधी जी से बात करते हुए कहा था, 'गर्भनिरोधक महिलाओं की आज़ादी का सबसे सुरक्षित माध्यम है।' गांधीजी का इस पर मानना था, 'महिलाओं को अपने पति को रोकना चाहिए, जबकि पुरुषों को अपनी कामुकता पर नियंत्रण करना चाहिए। सेक्स केवल वंश-वृद्धि के लिए होना चाहिए।'

 
सैंगर के अलावा एक महिला ने गांधीजी से पूछा था, 'क्या आत्म नियंत्रण के बाद गर्भनिरोधक सबसे उपयुक्त है?' गांधीजी ने जवाब दिया, 'क्या आप मानती हैं कि गर्भ निरोधक के ज़रिए शरीर की आज़ादी हासिल की जा सकती है। महिलाओं को सीखना चाहिए कि अपने पति को कैसे रोकें। पश्चिम की तरह गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने के गंभीर परिणाम होंगे।'

 
गांधीजी ने अपनी नातिन मनु को एक पत्र में लिखते हैं, 'कितने दुख की बात है कि आधुनिक लड़कियां फैशन को स्वास्थ्य से ज़्यादा महत्व देती हैं। मुस्लिम महिलाओं के पर्दा रखने से उनका स्वास्थ्य खराब होता है।' वह कहते थे कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिलने चाहिए।

 
महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। मरते समय उनके मुंह से 'राम... रा...म...' निकला था। उन्हें मारने वाली गोलियों में हिंदू और मुसलमान को अलग करने वाला ज़हर भरा था। मृत गांधी को उस हुकूमत का आखिरी वायसराय पहचान भी नहीं पाया था, जिस हुकूमत से उन्होंने देश आज़ाद कराया था।

 
1931 में इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में महात्मा गांधी ने कहा था, 'मैं जानता हूं कि हर ईमानदार अंग्रेज़ भारत को आज़ाद देखना चाहता है, लेकिन उनका यह मानना क्या दुख की बात नहीं कि ब्रिटिश सैनिकों के वहां से हटते ही दूसरे देश उस पर टूट पड़ेंगे? आपके बिना हमारा क्या होगा, इसकी इतनी ज़्यादा चिंता आप लोगों को क्यों हो रही है? अंग्रेज़ों से पहले के इतिहास में आपको हिंदू-मुस्लिम दंगों के उदाहण आज से कम मिलेंगे। औरंगजेब के शासनकाल में हमें दंगों का कोई हवाला नहीं मिलता।'

1921 में गांधीजी ने कहा था, 'अंग्रेज़ों से पहले का वक्त गुलामी का वक्त नहीं था। अकबर के समय में प्रताप का पैदा 


गांधी जी के साथ बिताए गए यादगार पलों के बारे में वह बताते हैं, 'एक बार गांधी जी ने एक रेलवे स्टेशन मास्टर को इसलिए फटकारा था क्योंकि उसने उनसे कहा था कि आप एक महान नेता है। आपको यात्रा के लिए टिकट लेने की क्या जरूरत है।' कल्याणम ने बताया, 'इस बात से गांधी जी इतने नाराज हुए और उन्होंने मुझे थर्ड क्लास कोच का टिकट खरीदने के लिए भेज दिया था जबकि रेलवे ने टॉप लीडर के लिए अलग से एक कोच भी बनाया था।' कल्याणम 1943 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए थे और उनकी मौत तक उनके साथ जुड़े रहे थे। 

Sonia Goswami

Advertising