अगर हिंदी में MA करने वाले LT बन सकते हैं तो फिर संस्कृत वाले शास्त्री क्यों नहीं?

Monday, Aug 28, 2017 - 03:40 PM (IST)

मंडी : प्रदेश के हजारों छात्रों ने संस्कृत में स्नातकोत्तर डिग्री इस उम्मीद में की थी कि वे भविष्य में स्कूलों में शास्त्री के पद पर सेवाएं देंगे लेकिन प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है। बता दें कि शास्त्री के पद के लिए सरकार व शिक्षा विभाग ने संस्कृत में मास्टर डिग्री प्राप्त अभ्यॢथयों को पात्र नहीं माना है। संस्कृत में स्नातकोत्तर चिंता ठाकुर, हेमलता, मंगला, दक्षा, शिप्रा, भुवनेश्वरी, ज्योति व कांता ने कहा है कि स्कूल से लेकर कालेज स्तर पर संस्कृत विषय में पढ़ाई की और बाद में संस्कृत में ही मास्टर डिग्री इस उम्मीद से की ताकि भविष्य में स्कूलों में शास्त्री के पद पर सेवाएं करने का अवसर मिल सके। खेद इस बात का है कि वर्तमान सिस्टम ने मास्टर डिग्री होते हुए भी शास्त्री के पद के लिए पात्र ही नहीं बनाया गया है।

उन्होंने सवाल उठाए हैं कि जिन अभ्यर्थियों ने शास्त्री में 3 वर्षीय कोर्स किया है, उन्हें ही शास्त्री पद के लिए पात्र माना गया है तो फिर 5 वर्ष तक संस्कृत पढऩे वाले अभ्यर्थियों को शास्त्री से वंचित क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदी में एम.ए. अभ्यर्थी भाषा अध्यापक बनने के लिए पात्र है तो संस्कृत में एम.ए. धारकों को शास्त्री बनने से वंचित क्यों किया जा रहा है। उन्होंने सी.एम. वीरभद्र सिंह सहित शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है कि संस्कृत विषय में 5 वर्ष लगाने वाले अभ्यर्थियों को भी शास्त्री पद के लिए योग्य घोषित किया जाए। 
 

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